माफी मांगना हो या फिर माफ करना, ये आसान भी है और कठिन भी अपनी गलती मान लेना और दूसरों की गलती माफ कर देना, हमें मानवीय बनाता है। माफी ना ही सौदेबाजी है, ना ही चालाकी। माफी मन का वो धरातल है, जहां अपनी भूल मानने वाले और माफ करने वाले दोनों की ही जीत होती है। माफी हमें बेहतर बनाती है।
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