हैं किस्से बहुत सारे
सुन पाओ तो कहें...

हर एक आंसू दबा
मुस्कुराहट तले

इस परदे को भेद पाओ
तो मिलें

मुसाफिर हैं
सफर के मंजिल का पता नहीं

टुकड़ों में बिखर गई
सुनो ना तुम जिंदगी


जो पढ़ पाओ
तो सिले...🕊️

~paakhi

Hindi Microfiction by Paakhi : 111866882

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