मेरी शख्शियत का पता में अब लगा नही सकता,
कौन हू में, क्या हू ये में अब बता नही सकता।
में दिन मे कुछ और रात मे कुछ और होता हू।
ईमानदारी से हर रिश्ता में अब निभा नही सकता।

- विपुल प्रीत -

-Vipul Borisa

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