नफरत के बाजार मे कोई अमन ले आए
अंधभक्तो की नजर ले आए
ये कोई कठपुतली तो नही है जिधर बोलो मुडजाए
ये उससे आगे है जंहा बोलो वंहा मर जाए
और जिंदगी को छोडकर यु ख्वाबो मे जीना
अच्छी बात तो नही
कोई इन बेकारो को भी जगाए
अंधो के शहर मे कीसी ने महल को तोडकर
खंडहर को भी इनहे जन्नत बताया है
कोई इन्हे हकीकत भी बताए
ये अपने ही है बस गलत स्कूल से
कोई इन्हे भी घर वापस ले आए