वो जो लोग हैं कहते हैं हम से,
तुम जो ज़ख़्मी हो,
तुम्हारे क़दमों से जो लहु बह रहे हैं,
ये तुम्हारे सफ़र को अधूरा कर देंगे,
तुम्हें हारने पर मज़बूर कर देंगे,
ये जो तुम्हारे ज़ख़्म, तुम्हारी चोट,
तुम्हारा दर्द है न,
तुमसे, तुम्हारे निशाँ छीन लेंगे,
क्या वाक़ई में?????