तू मेरे हर कस मैं हैं...जैसे की मेरी नस नस मैं है...
कोई तुझे पहचान ना ले..कहीं मुझमें तुझे जान ना ले...
चलो इस बहाने ही सही तेरा उन्वान "याद" रखता हूं....
और तुझसे ही कहता हूँ....ये याद तू बार बार आती है...मैं थका हारा घर आता हूं, और तू भी साथ चली आती है ये भूल जाता हू...
ये याद तू बार बार आती है....
मैं सायद तेरे सहर से बाइजजत लौट आऊ...
मगर मेरे zahan मैं तेरी मौजूदगी को कैसे भूल जाऊं...
मगर ये याद, तू मेरा पीछा किए घर तक आती है...
तूने ही खुद छोड़ा था मुजे ईन यादों के साथ...
ये याद तू बार बार ये क्यूँ भूल जाती है...
From heart..
Unwan "याद"