©आम्र पत्र
अहा! क्या खूब कहा
सहज ही आम्र पत्र ने..
नहीं सदैव कोई रंग यहाँ,
कोपल शैशव से सहज बढ़ता...
पीत-गेरुए का यह सफर..
नित बतलाता यह समझाता..
जीवन में एक-सा समय कहाँ..?
जीवन में एक ही सा रंग कहाँ...?
सहज ही दिखला गया..
यह आम्रप पत्र..अपने
बदलते स्वरूपों में सहज़ ही
जीवन की डगर।।
सादर प्रस्तुति
©अमित कुमार दवे, खड़गदा