प्रेम एक उपहार....❤️✍️
कभी किसिसे मत कहो की...तुम उसे प्रेम करते हो...
क्योंकि प्रेम कहने की बात थोड़िना हैं...प्रेम तो समझने की बात है, जब भी तुम्हे ऐसा कुछ लगे तो पहले ये मत कहो की...में तुमसे प्रेम करता हु या करती हूं, पहले थोड़ा रुक जाव....
पहले अपने हदय की धड़कनों को तेजिसे दौड़ने दो, मन में आहट को उमड़ने दो, चहेरेको बिना कोई बात मुस्कुराने दो, आपने भीतर होने वाले भाव को महेसुस करो...
फिर ऐसा कुछ लगे तो कहो, वो भी बोहोत जरूरी लगे तो ही कहो... वरना मौन ही रहो...
अगर सामने वाला समझता है तो उसे कुछ थोड़े बहुत शब्द कहने की जरूर नही है, सामने वाला समझता है तो उसे समझने का मौका दो, उसे मौका देकर तुम देखो की वो क्या समझता है..वो बिना कुछ कहे समझता है तो अपने शब्दो को वही पे रोक दो...
अपने अंदर होने वाले भाव को अपने आप ही बाहर आने दो।
आंखो को झुकने दो, सांसे को फूलने दो, रोआ - रोअ को जागने दो, बिजली जैसी करंट आपने आप में दौड़ने दो, अपने भीतर जो भाव पैदा हो रहा हैं उसे उपस्थित हों ने दो।
अपने हदय के भाव को मौका दो...
फिर कभी कहेना ही है तो कहो...की तुम उससे प्रेम करते हो।
ओर एक बात... प्रेम हे तो हे, उसे कहो या ना कहो कोई हर्ज नहीं , फिर भी कहना है तो कह देना।
ओर एक बात.....प्रेम कुछ भी नहीं है फिर भी इस ब्रह्मांड में प्रेम ही सबकुछ है, प्रेम ही एक ऐसी शक्ति है एक ऐसी ऊर्जा है जो पूरे ब्रह्मांड का सर्जन कर सकती हैं।
इसीलिए अपने जीवन में प्रेम का होना कोई उपहार से कम मत समझना , जो उपहार स्वयं तुम्हे ईश्वर देता है इसलिए इस उपहार को कभी मत ठुकराना, इस उपहार को कभी मत छोड़ोना, कभी मत भागना... अगर तुम भागे तो बोहोत कुछ चूक जाओगे...
ओर तुम चुके तो समझना तुम स्वयं ईश्वर को चुके....
ओर एक बात प्रेम हर किसीको नहीं होता, ओर हर किसीको नहीं मिलता।
अगर तुम्हे प्रेम होने का भाव हुआ है तो उस भाव को मुक्त कर देना, बांधे मत रखना, उसे होने देना.. चूकना मत, रोकना मत और भागना तो कभी मत....!!
पूजा..."अदल"
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