हम तुम्हारे शहर के सहर हो गए ।

शाम भी हो गए दोपहर हो गए ।।

चंद सिक्कों में अहसास हैं बिक गए ।

तेरे होने से हम बेखबर हो गए ।।

गहरी रातों में सिरहाने के तेरे सुख ।

आज मेरे लिए हैं जहर हो गए ।

स्वप्न में रोज मिलते है हमसे वे सब ।

जिनके ख्वाबों से हम आज फुर्र हो गए ।।

साथ होते थे तो प्यार था क्या पता ।

साथ छूटा लगा तुम तो हम हो गए ।।

Hindi Poem by Arun Kumar Dwivedi : 111752928
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