हम तुम्हारे शहर के सहर हो गए ।
शाम भी हो गए दोपहर हो गए ।।
चंद सिक्कों में अहसास हैं बिक गए ।
तेरे होने से हम बेखबर हो गए ।।
गहरी रातों में सिरहाने के तेरे सुख ।
आज मेरे लिए हैं जहर हो गए ।
स्वप्न में रोज मिलते है हमसे वे सब ।
जिनके ख्वाबों से हम आज फुर्र हो गए ।।
साथ होते थे तो प्यार था क्या पता ।
साथ छूटा लगा तुम तो हम हो गए ।।