चाहा तुझे दिलने मेरे, तो सांसों ने धोखा दिया
तेरा हुआ यूं इस तराह, की मुझसे हुआ मैं जुदा
संग ले गया तू फिर मेरे, जीने की सारी वजाह
तेरी खलिश, तेरी खला, को दिल में यू दी है ..जगह
मुझमें ही तु रहे.. यूं सदा,
आदत हैं तु बुरी या सजा
तुझ बिन भी तु लगे..लाजमी
बेहद हैं ये मेरी आशिक़ी...!!