समय चुनाव का आया
नेताओं का मन ललचाया
करने लगे वादे भरपूर
लगाने लगे पौधे और फूल
कृषि जगत पर समस्या जताई
जवानों की भी की खूब बढ़ाई
सड़के पक्की होने लगी
रैलियाँ भी जमकर निकाली गई
चुनाव का परिणाम है आया
देश ने एक नेता कुर्सी पर बैठाया
पकड़ ली कुर्सी उसने दोनों हाथों से
मुंह मोड़ लिया उसने अपने झूठे वादों से
कालीन पर चलकर भूल गया वह कांटों का दर्द क्या होता है
भूल गया वह एक भूखा बच्चा कैसे रोता है
भूल गया वह युवा बेरोजगार हो रहे हैं
भूल गया वह रोजाना दुराचार हो रहे हैं
भूल गया वह देश की शिक्षा दर कम है
भूल गया वह देश की अर्थव्यवस्था भी बेदम है
पर कोई नहीं,पाँच साल बाद उसे सब याद आ जाएगा
फिर एक महीने में वह देश की तरक्की कराएगा।