"आंखे"
ना देखे तुम्हें तो तरसती हैं आंखें,
बिन तेरे बहुत बरसती हैं आंखें।
मुझसे हो जितना अदावत करो तुम,
मगर फिर भी तुम पर हीं मरती हैं आंखें।
तुम्हें देखकर हीं ये रौशन हैं होती,
ना देखे तुम्हें तो तड़पती हैं आंखें।
'रवि' तुमने भी क्या मोहिनी मंत्र कर दी,
कि नाम तेरा हीं दिन रात जपती हैं आंखें।
आ भी जाओ कहीं मूंद ना जाएं ये आंखें,
कि बहुत प्यार करती है तुमसे ये आंखें।
© रवि प्रकाश सिंह"रमण"