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थोड़ी बातें थोड़ी मुलाकातें तो होंगी ही, संवरकर बिखरने के खेल बहोत लम्बे जो होते है । ~Shweta Pandey
कहानी माँ तुलसी की चलो कहानी बताऊ तुम्हे एक, माँ तुलसी की भक्ति,श्री हरी की लीला की, बैकुंठ में जब गंगा ने दिया माँ लक्ष्मी को श्राप, की धरती पर जन्मेगी वो दो रूपों के साथ, एक रूप में वृंदा बन सहे कष्ट अपार, और दूजे रूप में नदी बन किया जगत का उद्धार, जब हुआ भान तो हुआ बैकुंठ में कोलाहल, माँ लक्ष्मी को फिर श्री हरि ने किया आस्वत, सो मॉं लक्ष्मी ले वृंदा रूप मय दानव के घर है जन्मी, जालंधर से ब्याह हुआ जैसे निर्धारित थी करनी, श्री हरि की परम भक्त वृंदा कहलायी, हर भक्ति हर शक्ति से, जालंधर को अमरत्व दिलाई, जालंधर के करनी से आहत था सारा संसार ये, लेकिन वृंदा की सतीत्व रक्षा से, वो बच जाए हर बार, जब जालंधर पहुँचा माया से शिव का रूप धारण कर, कैलाश पर्वत पर माँ पार्वती के पास, तब माँ अपने माया योग से पहचान उसे हुई अंतर्ध्यान, माँ पार्वती ने सारा वृतांत ये जब सुनाया श्री हरि को, तब श्री हरि ने माया रच, रूप लिया फिर एक बार, जालंधर का रूप धर, किया वृंदा का सतीत्व बेकार, सत्य जानकर श्री हरि की, आहत हुई वो नार, क्रोध में आकर दे दिया परमेश्वर को ही श्राप, अपने भक्त के श्राप को श्री हरि ने भी किया स्वीकार, शालिग्राम पाषाण बने जग के पालनहार, ब्रम्हांड हुआ असंतुलन,मचा बैकुंठ में हाहाकार, करने को श्राप मुक्त श्री हरि को, हाथ जोड़ सब पैर पड़े उस नारी के, श्री हरि को श्राप मुक्त कर, किया उस सती ने अपना आत्मदाह, उस वृंदा के भस्म से हुई माँ तुलसी का पौधा, तब श्री हरि ने बताया सत्य वितान्त, तू कोई और नही है तू लक्ष्मी का अवतार, तेरी भक्ति निष्ठा और सतीत्व से हुआ मैं आज प्रसन्न, हर युग तुलसी रूप में, पूजी जाओगी तुम सदा मेरे ही संग, दे वरदान यह तुलसी को,देव-उठनी एकादशी में, व्याह रचाये शालिग्राम, मां तुलसी के संग ।। ~Shweta Pandey
*वो बनारस की दिवाली* बनारस की गलियों में, रोशनी का जादू छाया, दीपों की चमक देखो, हर दिल में है समाया। गंगा की लहरों पर, दीप जलते नन्हे से, सपनों की रौशनी में, खो गए सब रंगीन सपने से। बच्चों की हंसी में, गूंजती है खुशियां, फुलझड़ियों की आवाज़ में, छुपी है जिंदगियां। हर घर में उत्सव सा छाया, हर दिल में उमंग बसाया, बनारस की गलियों में, छा गया है रंग। रंग-बिरंगी रंगोली, हर घर पर है सजी, मिठाइयों की खुशबू, हर मन को भा गई। बाज़ारों की रौनक में, चहल-पहल का आलम, दीपों की इस महक में, बसी है बनारस की धड़कन। नदियों के किनारे, दीयों की कतारे, संगीत और नृत्य में, झूमता है संसार। बनारस की गलियों में, दिवाली का जश्न, हर दिल में बसी है, प्रेम की एक धुन। आओ मिलकर मनाएं, ये प्यार का त्यौहार, बनारस की गलियों में, बहे सुख-शांति का त्यौहार। दीप जलाकर सजीव करें, हर ख़्वाब को साकार, बनारस की दिवाली, है सबके लिए प्यार। ~Shweta Pandey
Happy Diwali💥 to you and your loved ones. May the warmth of this festival bring happiness and success in your life. May the lights of Diwali illuminate your life with eternal prosperity. Happy Diwali to you and your sweet family🩷✨ ~Shweta Pandey
"चाहा था तुम्हे अपनी जान से भी ज्यादा, किया यकीन तुझपर ईमान से भी ज्यादा, बेफवाई भी मंजूर थी हमे, लेकिन दिया दगा तुमने प्यार की आड़ में, अब नफरत है तुमसे बेसुमार से भी ज्यादा ।।" ~Shweta pandey ✍️
हेलो दोस्तो, कुछ दिन से नवरात्रि के त्यौहार में व्यस्तता के कारण "रूहानियत" के पार्ट पोस्ट नही कर पा रही थी उसके लिए सॉरी , आप आपको रेगुलर पोस्ट मिलेंगे बस अगर मातृभरती पर कोई ग्लिच ना आये तो । धन्यवाद ।
कभी कभी हम अपनी गलतियों से, खुद को मिले मौके भी खो देते है, फिर कर पछतावा, दोष खुदको देते है, फिर हार मंजिल, हर मोड़ छोड़ देते हैं, रास्ते वही थे, पर आस की कमी थी, दे नए बहाने सब डोर छोड़ देते है !! ~Shweta Pandey ✍️
अजी जबान तो हजार जुठ बोलती है, कभी आंखे भी पढ़कर देखिये, सारे राज ना खोल दिये तो देखिए । ~Shweta Pandey
नवरात्रि की हार्दिक सुभकामनाये 😊 https://www.instagram.com/reel/DAsTp7MM9ya/?igsh=MjkyZTY3dm11Njd1
कहने को तो बहोत सी बातें हैं, लेकिन क्या तुम सुन पाओगे? . . . . ~Shweta Pandey ✍️
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