भाईदूज
आजा भाई,इक थाली सजाऊँ;
तेरे संग भाईदूज मनाऊं...
रोली-चावल से तिलक लगाऊं;
तेरे लिए मंगल-गीत मैं गाऊँ...
खुशकिस्मत है तेरी बहना;
मुझे हमेशा तेरे दिल में रहना...
मुझे मिला"रचित"भाई जैसा गहना;
ईश्वर का शुक्रिया मनाऊं;
हरपल तुझ पर वारी जाऊं...
भाईदूज का पावन त्यौहार;
इसमें छिपा हम दोनों का प्यार...
खुशियों से तेरी झोली भर पाऊं;
ऐसा मैं वचन निभाऊं...
है मुझसे तू छोटा;लगता अब भी बच्चा...
तेरे संग फिर खेल-खिलाऊँ;खुद हारु, तुझको जिताऊं...
भाई तू दूर रहे या पास;मेरी तो यही है आस...
तेरी खुशहाली के दीप मैं जलाऊं;
हरपल दुआओं में तुझे मैं पाऊं;
तेरे संग भाईदूज मनाऊं...
मंजरी शर्मा ✍️