साथी कर चैन औ सब्र-ओ-क़रार की बातें,
आज की रात सिर्फ़ प्यार,प्यार की बातें।
तज़किरा कुछ मेरी रवानी का,
तेरे हद-ओ-हिसार की बातें।
तुझको छूना फ़क़त नज़र भर कर,
और तेरे निखार की बातें।
आसमाँ, चाँद ,ज़मीं और शबनम,
गुल, गुलिस्तां ,बहार की बातें।
हो रुबाई ग़ज़ल का ज़िक्र ज़रा,
कोई अफ़साना नज़्म और अशआर की बातें।
-मधुमयी