होती है ऐसी चाहत कि
दिल के निर्मल कागज पे
प्रेम की स्याही ढाल दू
एक क्षितिज, चांदनी जैसी कलम से
आकासी कागज पे तेरा नाम लिख दू
क्षितिज की चोकाचांड से रैंबो को
जिसको में तुम्हारी चुनरी बना दू
ओस पे गिरी पड़साई में
में तुज को ही देखू
ऐसी चाहत है मेरे दिल की।।।
-Patel Deven