ज़िन्दगी का ये सफर बोहत ही सुहाना है....
ज़िन्दगी का ये सफर बोहत ही सुहाना है...लेकिन...
यहाँ ठहरा कौन है,हर किसी को यहाँ से आगे ही जाना है।
न जाने ये मंज़र कब खत्म हो जाए,न जाने ये मंज़र कब खत्म हो जाए,कुछ अपना है और कुछ अफ़साना है।
ज़िन्दगी का ये सफर बोहत ही सुहाना है।।
कल का नही पता के ज़िन्दगी क्या मोड़ लेगी...कल का नही पता के ये ज़िन्दगी क्या मोड़ लेगी,इसलिए जिसे चाहा है उसे अभी ही अपनाना है।
छोड़ के एक सीढ़ी कौन ऊपर चढ़ पाया है.....के...छोड़ के एक सीढ़ी कौन ऊपर चढ़ पाया है...
यहां से हर किसी को पैदल ही जाना है।
के...ज़िन्दगी का ये सफर बोहत ही सुहाना है।।
आज यहां सब अपना से लगता है...आज यहां सब अपना से लगता है.....
हक़ीक़त होता हर सपना सा लगता है।
ज़िंदगी की सच्चाई को अबतक इतना ही जाना है...
जो भी खुशी के पल है उसे जी भर के जी लो..
कल का क्या पता कहाँ किसका ठिकाना है...
के...ज़िन्दगी का ये सफ़र बोहत ही सुहाना है।
ज़िन्दगी का ये सफर बोहत ही सुहाना है।