।। पापा ।।
जब मैंने होश संभाल था ,
मुँह से पहला शब्द निकाला था,
सबसे पहले मैंने आपको फुकारा था।।
मुझे मम्मी की डांट से आप बचाते थे,
मेरी बालसुलभ बातों पर आप मुशकुराते थे।
मेरी हर खुशी को अपना बनाया करते थे,
मेरी हर इच्छा को सदैव पूरा करते थे।।
एक आप ही थे जो मेरी बातें समझते थे।।
आपकी पॉकेट में रखा वो पेन,
जो मैं अक्सर निकाला करती थी,
उससे लिखकर में अपने आप को आपके जैसा समझा
करती थी।।
आपके प्यार की कोई सीमा नही थी,
आपने मुझे दुनिया की हर खुशी दी थी।।
आज भी अगर नही हमे कोई कमी,
तो वह भी आपका ही का प्यार है।।
मेरा जीवन सदैव आपसे ही उजियार है।।
आज आप नही पर आपकी यादे सदैव मेरे साथ है,
मेरी हर अनुभूति में आप मेरे साथ है।।
मेरे हर शब्द में आपका वास है।।
पर ईश्वर से मेरी बहुत शिकायत है,आज मेरी जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीज़ नही मेरे पास है ।।
।।राशि चतुर्वेदी।।