*बुलेट*
जब से हुए जवां, हसरत दिल में है,
एक बुलेट लेने की ख्वाहिश तब से है।
जब पढ़ते थे कॉलेज में, मां ने हमारी कह दिया कि अभी करो पढ़ाई,
फिर लगो नौकरी, जोड़ो पाई - पाई, कर लेना हसरत पूरी तब भाई।
फिर जब लगे नौकरी जब,
ढूंढी जानी लगी हमारे लिए छोकरी तब।
हमने कहा, रुको थोड़ा, मौज मस्ती हमें कर लेने दो,
जो ख्वाहिशें पाली है हमने, उन्हें पूरा कर लेने दो।
हुक्म आ गया नहीं जी, पहले परिवार बसा,
बुलेट लेने को पूरा जीवन है पड़ा।
शादी के बाद, श्रीमती जी का यह कहना है,
बुलेट तो छडे युवकों का गहना है।
जब भी सुनते है किसी सड़क पर जाती बुलेट की भारी आवाज़,
दिल पर गिर जाती है गाज।
अरमान आज भी दिल में है, पर पैसों का अभाव है,
बुलेट ना लें पाने का , हरा आज भी घाव है।
जाने कब पूरा होगा यह सपना, प्रयास अभी भी जारी है,
हिम्मत ना हारी मैंने, अगली बार इसी की बारी है।