Hindi Quote in Poem by Premdas Vasu Surekha

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**** है प्रकृति माँ ही वसु****


शुद्धकरणम् शुद्धपादम् शुद्धरूपम् है प्रकृति वसु
चारूदत्तम् नेत्रसौभ्यम् नर बना है आज पशु
करतवन्दन मलतअधरम् लाली दिख रही है

वरदान रूपम वरदान रूपम है
है प्रकृति मां ही वसु .......


थका हुआ नर छेड़ रहा अपने को ही मार रहा
झूठ मुठ और धोखा लपटी देखो दुनिया कह रहा
आत्मरूपम् प्रकृतिरूपम् आंखें बंद कर रहा

वर नहीं अब कुछ करने का
कर्मरूपम् धर्मरूपम्
है प्रकृति मां ही वसु


दिखाया है हमने दुनिया को प्रकृति हमारी दासी
वैभवता कि शून्यता में हो रही है बर्बादी
सत्य को अब जानो कर्मों की लीला होती है

अकर्मी जन का नाम
परख प्रकाश आज बनो
सद् ज्ञानरूपम् धर्मरूपम्
सत्यरूपम् सत्यरुपम्
है प्रकृति मां ही वसु.......


सद्कवि-- प्रेमदास वसु सुरेखा

Hindi Poem by Premdas Vasu Surekha : 111460561
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