Hindi Quote in Poem by Sweta Patel

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जन्म हुआ जब मेरा पापा की आंखो का सितार बनी,
लिया जब गोदी मे मा ने उसकी नयन का काजल बनी।

नन्हे कदम रखे मेने जमी पर तब दादाजी की छडी बनी,
सुनती थी कहानिया दादीमा की उसके प्रेम की साथी बनी।

खेलते खेलते लुका छुपी भाई के साथ बचपन की साथी बनी,
जब गइ पहली बार रसोई मे दीदी की मस्ती की रानी बनी।

पढने ने लगी स्कूल और कोलज मे सहेलियो की सखी बनी,
प्रेम से पाला थी जिस परिवार ने उसकी खुसी की सहभागी बनी।

विदा किया जब पिता ने पति के प्रेम की रानी बनी,
सास ससुर ससुराल के जीवन दिपक की ज्योती बनी।

मिला सौभाग्य जब माता बनने का बच्चो के सुखो मे राही बनी,
जब आया बुढापा मे बेटे के सर पे क्यू भारी बनी????




                  कड़वी सच्चाई है जीवन की एक स्त्री बेटी ,बहन ,पत्नी ,सखी ,माता बनकर सभी के जीवन मे दिपक की तरह ज्योत जलाती है उसी  औरत को जिन्दगी मे तिरस्कार का भोग बनना पडता है जिसके पास उसे उम्म्मीद होती है जीवन की वही उसका बहिष्कार करते है


               अगर आप भी एक भाई ,पिता ,पति,या पुत्र है तो आपके घर की और दुनिया की सभी स्त्री ओ की इज्जत और आदर करे।ताकी उसे कभी प्यार की कमी महसूस ना हो

Hindi Poem by Sweta Patel : 111459978
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