नारी व्यथा
बचपन से वृद्धावस्था तक, जीवन संघर्ष हमारा है।
हंसना भी मना रोना भी मना, क्यों ऐसा हाल हमारा है।।
आने जाने की पाबंदी, वाणी पे विराम तुम्हारा है।
नारी होना अभिशाप है क्या? झूठा सब प्यार दिखावा है।।
इस मन की व्यथा को कह न सके, हर इच्छाओं को मारा है।
पुरुषों की केवल अनुमति पर, ये सारा जीवन वारा है।।
- नवनीत कुमार सिंह ' नवीन '
#केवल