मोहब्बत हमें उनसे थी इस कदर
शहर में ढूंढ रहे थे उन्हें हर एक दर
मिले तो नहीं थे हैं कभी उन्हें बस
मुसकुराते हुए देखा था एक दफा
नजरो ने भी क्या कहर ठाया था हम पे
एक ही वार में दिल काफिर हो गया
ख्वाबों में भी तो उन्होंने जगह बना ली
हमारी दुनिया में हमें ही बेवफ़ा बना दिया
अगर मिले वो तो उनसे कहना जरूर
एक दीवाना आस लगाए बैठा है
फिर से इक बार मुलाकात की