बहरी दुनिया
शायद मेरी आह तुझे अखरने लगी ...
तभी अपनी रफ़्तार का बहाना बना मुझे अनसुना कर गयी ...
मेरा शौक नहीं अपनी बातें मनवाना,
किन्ही और आँखों को तेरी हिकारत से है बचाना !!
तुझसे अच्छी तो गली की पागल भिखारन...
मुझे देख कर मेरे मन का हिसाब गढ़ लेती है ..
आँखों की बोली पढ़ लेती है ....
उम्मीदों से, लकीरों से ...
तड़पते पाक ज़मीरों से ...
इशारों से ....दिल के ढोल गँवारों से ...
कभी तो भूलेगी अपनी और मेरी कमियाँ,
मेरी बात सुनेंगी ....समझेगी यह बहरी दुनिया!!
#ज़हन