ये कथा-कहानी चलने दे ,
खुद को तू मुझमें रहने दे।
तन बाहर- बाहर गलने दे ,
मन भीतर- भीतर जलने दे ।।
ये कथा- कहानी चलने दे.....
दरिया आंखों से बहने दे,
पीड़ा पर अंकुश तू रहने दे।
अधरो से सब कुछ बयां न कर,
कुछ काजल को भी कहने से।।
ये कथा कहानी चलने दे ...
दर्पण में सूरत देख जरा,
बाजारी मूरत देख जरा।
कोई मोल नही, कोई तोल नही,
पल भर की जरूरत देख जरा।
हर रात देह को सजने दे,
ये कथा कहानी चलने दे....
इन शर्तों पर तू प्यार न कर,
ये जिस्म का व्यापार न कर।
कुछ चित्र- चरित्र भी रहने दे,
संबंधों का संहार न कर।
अब औरत तो एक पलने दे,
ये कथा कहानी चलने दे.....