फितरत
"तुम उदास क्यों हो?" मैंने 2019 को उदास देखकर पूछा।
"अरे क्या बताऊं! मैने लोगों को खुशियां दी वो भूल गए और जाने अनजाने जो दर्द मैंनें दे दिये उसे समेटे बैठे हैं।मुझे भला बुरा भी कह रहे हैं।" 2019 ने रुआंसे होकर कहा।
"नाराज तो मैं भी हूँ तुमसे, मगर शिकायत नहीं करूंगी ।
वैसे भी हम इंसानों की फितरत ही ऐसी है।हमारे साथ कोई अच्छा करता है उसे भूल जाते हैं और जो बुरा करता है उसे याद रखते हैं।तुम चिंता मत करो। मुझे दुख भी है तुम्हारे जाने का ,किंतु प्रकृति के नियम को हम बदल नहीं सकते।तुम थोड़ा मुस्कराओ और जाओ।"
2019 मुस्कुराया और एक आंसू की बूंद गाल पर लुढ़क आई। मानों कह रहा हो मुझे इंसानों से अब कोई शिकायत नहीं।अलविदा!
मैं 2019 को अलविदा कहकर नववर्ष के स्वागत के लिए तैयारियां करने लगी।
एमके कागदाना
फतेहाबाद हरियाणा