हालात ए वक्त कुछ यूं बयां हुए, के कुछ तू सुने कुछ में सुनू, सुकुं ए दिल तो तब आए जब तू मुझसे और में तुझसे रूबरू हो जाएं।
हिज्र भी क्या खूब लिखा है तेरी मेरी चाहत का, मंजिल एक है फिर कु है रास्ते अलग अलग हो जाए।
खूबसूरती तो बस इसमें है , तेरे मेरे दिल में तसल्ली है,
शायद तू वहां और में यहां अपने अपने में शायद कहीं मस्त है।
ना जाने कब इस तसली का कतले आम हो जाए।
Nirãñtar