#काव्योत्सव (अध्यात्म)
यदि तू ऋचा है छंद बनकर मैं तेरा ही ज्ञान हूं ।
यदि तू है वाणी तो मैं तेरे वर्ण का आकार हूं ।।
तू दे रही है वर किसी को मैं तेरा वरदान हूं ।
तू आदिशक्ति महाशक्ति मैं शक्ति का संचार हूं ।।
तू है सविता मैं तेरा तय नाशकर प्रकाश हूं ।
तू दे रही आधार जिसको मैं वही अवतार हूं ।।
मां शारदे का पुत्र हूं ज्ञानका प्रकाश हूं ।
मैं तेरे बिन कुछ भी नहीं पर मैं तेरा आभास हूं ।।
- आनन्द गुर्जर 'सहोदर'