Hindi Quote in Poem by Roushan kumar

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अब नदियाँ सिमट सी गई है।
तेरे गाँव और मेरे गाँव के किनारे अब और पास आ गए है।।

मानो ये नदियाँ भी तेरे ही आने की राह देख रहीं हो।
मेरे और तेरे साथ होने की वादे जो सुनी थी इसने भी।।

तेरे जाने के बाद मेरा वजूद तो खो गया।
पर आज भी तेरी वजूद को इन हवाओं में मैं महशुस करता हूँ।

वक्त बीत गए कितने लेकिन तुझे भूलना मेरे बस में नही।
लौट आ फिर से अपनी गाँव मे मेरे वजूद को सजोने के खातिर।

वक्त फिर से लौट आएगा हवाओ के रुख के साथ।
उसी पल को फिर से जीने का मन कर रहा है।।

लौट आ इन नदी के किनारों के खातिर, लौट आ इन बहते हवाओ खातिर, लौट आ फिर से मेरे वजूद के खातिर।।

Hindi Poem by Roushan kumar : 111160318
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