नई ग़ज़ल
है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
मगर इतनी भी नही जितनी दोस्तों और लिखने के काम से
है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
इतनी भी नही जितनी माँ बाप से
है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
इतनी भी नही जितनी मजदूर को काम से
है तुज से मोहब्बत ओर तेरे नाम से
इतनी भी नही जितनी शराबी को जाम से
है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
इतनी भी नही जितनी आशिक को शाम से
है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
इतनी भी नही जितनी पुजारी को जाप से
है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
इतनी भी नही जितनी भग्त को भगवान से
है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
इतनी भो नही जितनी किसी मुसलमान को कुरान से
है मोहब्बत °°°°°°°
इतनी भीe नही जितनी राधा को श्याम से
है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
इतनी भी नही जितनी सागर को कलाम से
है मोहब्बत °°°°
इतनी भी नही जितनी सीता को राम से।
#सaगaर