जीन्हें रोज ही रोक टोक करना पडे उसे समझ ही नहीं होती वो मशीन समान है स्वीच दबाई तो चले स्वीच बंध की तो बंध हो गए | जीसे कभी ही रोक टोक करनी पडे उसमें समज होती है वो मानव होते है जीने सही गलत की पहेचान है और जीसे कभी रोकना टोकना ना पडे वो ईश्वर या कुदरत है जो कभी गलत नहीं करते |...ॐD