खुद से किए वादों से अच्छा कुछ भी नहीं
दोस्तों में किताबों से अच्छा कुछ भी नहीं !
उसकी महक़ है अब भी सीने में मेरे
रखे सूखे गुलाबों से अच्छा कुछ भी नहीं !
उसे छूकर नापाक हो जाती मुहब्बत मेरी
दिल में नेक इरादों से अच्छा कुछ भी नहीं !
मेरे छालों से मेरे हौसले की पहचान करना
बहते पसीने के ख़्वाबो से अच्छा कुछ भी नहीं!
यहाँ ख़ुद को खींचकर चलना पड़ता है आला
उफनते सीने की आवाजों से अच्छा कुछ भी नहीं !
आला चौहान"मुसाफ़िर"