# गजल .
चुपके चुपके सखियों से वो बातें करना भूल गई
मुझको देखा पनघट पे तो पानी भरना भूल गई
पहले शायद उसको मेरे चेहरे का अंदाज ना था
मुझसे आँखें टकराई तो खूद पे मरना भूल गई
सच पूछो तो मेरी वजहसे उसको ऐसा रोग लगा
काजल महेंदी कंगन बिंदिया से संवरना भूल गई
क्या जाने कब उससे मिलने आ जाउ ईस ख्वाहिश मे
छत पर बैठी रहती है वो छत से उतरना भूल गई