कुछ ऐसे बंधन होते है - अंजू खरबंदा
"क्या सच में ऐसा होता है!" पूरब ने पढते पढते कोहनी मारते हुए अभिनव से पूछा ।
"क्या ?" अभिनव ने चौंकते हुए कहा ।
"मैंने एक जगह पढ़ा था कि -
संबंध उसी आत्मा से
जुड़ता है जिनका हमसे
पिछले जन्मों का कोई रिश्ता होता है'
वरना दुनिया के इस भीड़ में कौन किसको जानता है ।"
किसी दार्शनिक की तरह पूरब बोला ।
"तुम क्यों पूछ रहे हो !" अभिनव की समझ में कुछ नहीं आ रहा था ।
"मुझे भी ऐसा ही महसूस हो रहा है आजकल !" ख्वाबों में खोये हुए पूरब ने कहा ।
"कैसा ?" अभिनव सिर खुजाते हुए बोला ।
"जैसे मैं उसे युगों युगों से जानता हूं !" ख्यालों की दुनिया में डूबे पूरब ने जवाब दिया ।
"किसे ?" अभिनव ने पूरब को झकझोरते हुए कहा ।
"है कोई सोशल मीडिया फ्रेंड !" पूरब अभिनव की आंखों में देखते हुए बोला ।
"तो !!!!" अभिनव ने आंखे फाङे पूछा ।
"यारा... उससे बातें करते हुए उसके सुख दुख अपने से लगने लगें हैं ।" पूरब ने अभिनव का हाथ थामते हुए कहा ।
"तुम ठीक तो हो ना !" अभिनव अचकचा सा गया ।
"तुम ही बताओ क्या खून के रिश्ते ही सब कुछ होते हैं !" पूरब ने अगला प्रश्न दागा ।
"मैंने ऐसा कब कहा !" अभिनव अपना हाथ छुङाते हुए बोला ।
"कुछ ऐसे बंधन होते है जो बिन बांधे बंध जाते है !" पूरब ने खुले आसमान की ओर देखते हुए गुनगुनाया ।
"जो बिन बांधे बंध जाते है वो जीवन भर तङपाते हैं ।" अभिनव ने गीत की अगली पंक्ति पूरी करते हुए पूरब को जमीन पर ला पटका ।