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Kirti kashyap

Kirti kashyap

@kirtimaheshkashyap939064


“आधी रात होने को है”

आधी रात होने को है,
और हम सुन सकते हैं अपनी ही साँसों का गूंजना।
रात के इस पहर में बहुत से ख़याल मन में आ रहे हैं —
गुज़री ज़िंदगी के दौर, बीते चेहरे, कुछ अधूरी बातें,
और माथे पर गहरी होती कुछ नई शिकनें।

कभी-कभी लगता है कि ज़िंदगी एक अंतहीन रास्ता है,
जो कहीं नहीं जाता।
आज भी वैसा ही लग रहा है —
उलझे, बेतरतीब ख़याल दौड़ रहे हैं मन के भीतर।

ज़िंदगी हमेशा एक जैसी नहीं रहती।
कभी ऐसा वक्त भी आता है
जब सब कुछ रंगहीन, बेमानी लगने लगता है।
ऐसे जीने से तो मर जाना बेहतर लगता है।
हर पल भारी लगने लगता है,
और अंधेरा अपना-सा लगने लगता है।

हम खुद को कैद कर लेते हैं एक दरवाज़े के पीछे,
हम बोलना बंद कर देते हैं —
और सुनने लगते हैं आधी रात के सन्नाटे में
घड़ी की टिक-टिक,
पानी की टपकती बूँदों की आवाज़।

फिर पता नहीं कब, साल गुज़र जाते हैं।
हम बूढ़े हो जाते हैं एक जवान शरीर में
और भी बहुत सी बातें हैं जो आधी रात में डराती हैं।
अकेलापन अब भी साथ है।
उदासी फैली है, और आँखें बंद नहीं होतीं।
नींद तो ऐसे वक्तों में चुपचाप निकल जाती है —
और आँखें सारी रात झपकती हैं,
फिर से खुल जाने को।

हाँ, एक वक़्त ऐसा भी आता है
जब हम कहना बंद कर देते हैं —
अपनी परेशानियाँ, भीतर के घाव,
नए हादसे, पिछली रात का बुख़ार,
या कोई मज़ेदार किस्सा।

हम कुछ भी कहना बंद कर देते हैं —
और एक रोज़,
हम जीना भी बंद कर देते हैं।

Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

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"माँ"

माँ फिर से चुप कराओ ना,
आपकी बेटी अब अंदर से रोती है।

माँ कोई लोरी सुनाओ ना,
आपकी गुड़िया पल ना सोती है।

माँ आँचल में छुपाओ ना,
एक दर्द की तकलीफ बहुत होती है।

माँ मेरे बचपन की बताओ ना,
जो मेरी यादों के सुनहरे मोती है।

माँ, माँ सीने से लगाओ ना,
आपकी लाड्डो बड़ी बेबस होती है।

Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

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EVERY GIRL DREAM ENDS WITH 👇

"काश मैं लड़का होती"

"रात भर दिल ने कोई अफ़साना कहा,
सुबह तक आँखों ने तरजुमा कर दिया।"

Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

"दिल का झूठा हाल"

अपने दिल का मैं झूठा हाल लिख रही हूँ,
तुम्हे फ़साने के लिए यारों मैं जाल लिख रही हूँ।

कभी इश्क़ नहीं किया मैंने किसी से,
पर इश्क़ पर उठे जो, वो सवाल लिख रही हूँ।

ना कभी दिल टूटा है ना किसी का साथ छूटा है,
लेकिन देखो कैसे टूटे दिलों का हाल लिख रही हूँ।

मेरी बातों में मत आना, दिमाग़ घूम जाएगा तुम्हारा,
मैं तो बस सबके दिलों का दर्द और मलाल लिख रही हूँ।

मैं तो शायरा हूँ, कल्पना को भी सच लिख देती हूँ,
अपने झूठ से सच्चाई को निहाल लिख रही हूँ।

कुछ ख़ास नहीं है मेरे पास, बस शब्दों की हेरा फेरी है,
अब ये मत बोल देना के कमाल लिख रही हूँ।

“कीर्ति” अच्छी शायरा है क्या, बताओ ना दोस्तों,
ये सच है या मैं बस ख्याल लिख रही हूँ।

Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

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“मेरे सब कुछ… तुम”

दिल की कसक, आँखों की तलब हो तुम,
रातों के सन्नाटे में, मेरी यादों का सबब हो तुम।

हर सफ़हा तेरे इश्क के जमाल से मुनव्वर है,
खामोशियों में गूंज, मेरी राहत-ए-लब हो तुम।

ये मोहब्बत की रवानी, ये वस्ल की बेताबियां,
मेरी रुह, मेरी धड़कन, मेरा क़ल्ब हो तुम।

तेरी यादों की नमी में भीगता मेरा हर लम्हा,
मेरी तन्हाइयों का सुकून, मेरा जज़्ब हो तुम।

हर इक आहट पर तलाशती है निगाहें तुझे,
मेरे दिल की सदा, मेरी इबादत, मेरे अदब हो तुम।

ये कैसी बेखुदी 'कीर्ति," ना कहा जाए ना रहा जाए,
मेरी ज़िन्दगी, मेरा मुक़द्दर, मेरा सब हो तुम।

Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️


कसक = तड़प
सबब = कारण
सफ़हा = पन्ना
जमाल = खूबसूरती
मुनव्वर = रोशन
राहत-ए-लब = लबों की राहत
वस्ल = मिलन
क़ल्ब = दिल
जज़्ब = भावना, एहसास से भी गहरा
सदा = पुकार
इबादत = भक्ति, पूजा
अदब = मोहब्बत में तहज़ीब

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"मैं अभी जीना चाहती हूँ"—


ऐ ज़िन्दगी, ज़रा ठहर जा।
इतनी जल्दी क्या है जाने की?
अभी तो मैंने तेरी धूप में अपनी परछाई तलाशनी शुरू की है।
अभी तो मेरी हथेलियों में कुछ अधूरी दुआएँ हैं,
साँसों में अनकहे ख्वाब,
और दिल में वो चाहतें जो अब तक नाम की मोहताज रहीं।

तेरे हर लम्हे को महसूस करना चाहती हूँ,
हर मुस्कुराहट को अपने भीतर सहेज लेना चाहती हूँ।
मत भाग,
अभी मेरे भीतर उम्मीद की एक नई कोंपल फूटी है,
जिसे तेरा साथ चाहिए—

रुक जा,
थोड़ा और, बस थोड़ा और ठहर जा।
मैं अभी जीना चाहती हूँ। —

Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

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"ज़ब दिल के दर्द लफ़्ज़ों में तब्दील किए जाते है तब,
कलम से निकले हर्फ़ स्याही नहीं खून से लिखें जाते है।"

Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

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“लबों पे हँसी ओढ़े हुए हैं, मगर दिल शिकस्ता बहुत है,
इन ख़ामोश निगाहों में मलाल-ए-दरहमस्ता बहुत है।” 💔

Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️


शिकस्ता = टूटा हुआ, बिखरा हुआ
मलाल-ए-दरहमस्ता =असीम और बिखरे हुए जज़्बातों की कसक/दर्द/ग़म

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“रूह का सुकूँ”

जो अब भी ख़्वाबों में मेरा इंतज़ार है,
वो मेरा इश्क़, मेरी मोहब्बत, मेरा प्यार है।

कल्ब मुनव्वर हो उठे उसके ख्याल भर से,
चश्म-ए-बद-दूर बडा दिलकश मेरा निगार है।

ग़म की आंधी कोसो दूर है अब मुझसे,
जबसे बन गया वो मेरा ग़मख़्वार है।

ज़हन-ए-दिल में बस गया है जो शख्स "कीर्ति"
वो मेरी रूह का सुकूँ, वही मेरा इफ़्तिख़ार है।

Kirti Kashyap "एक शायरा"✍️


कल्ब = दिल
मुनव्वर = रोशन
चश्म-ए-बद-दूर = नज़र ना लगे
दिलकश = प्यारा
निगार = महबूब
ग़मख़्वार = हमदर्द
इफ़्तिख़ार = शान, मान, सम्मान, गर्व

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