Most popular trending quotes in Hindi, Gujarati , English

World's trending and most popular quotes by the most inspiring quote writers is here on BitesApp, you can become part of this millions of author community by writing your quotes here and reaching to the millions of the users across the world.

New bites

💥 कहानी का नाम: "बारूद और बरसात"

(Romance meets Revenge in the shadows of bullets)


---

मुख्य किरदार:

रणवीर सोलंकी – एक पूर्व सैनिक, शांत पर खतरनाक, जिसकी आँखों में बसी है सिर्फ बदला।

जिया मिर्ज़ा – एक पत्रकार, जो सच की तलाश में है, और खुद अपने अतीत से लड़ रही है।

कैप्टन कबीर राय – रणवीर का पुराना दोस्त, अब दुश्मनों के साथ खड़ा।



---

कहानी की शुरुआत:

मानसून की पहली रात थी…
बाँद्रा की सड़कों पर पानी बह रहा था, पर रणवीर सोलंकी की आँखों में सिर्फ खून उतर आया था।

पिछले तीन साल से वो लापता था। सेना ने उसे "मरा हुआ" मान लिया, पर हकीकत में वो जिंदा था — जिंदा, लेकिन अंदर से जलता हुआ।

क्यों?
क्योंकि उसके ही दस्ते में एक गद्दार था, जिसने उसे मौत के मुँह में धकेला — कैप्टन कबीर राय।


---

ट्विस्ट: मुलाकात जिया से

रणवीर एक पुराने हथियार डीलर से मिल रहा था, तभी सामने आई — जिया मिर्ज़ा।
स्ट्रेट-कट बाल, चश्मे के पीछे आग सी आँखें। वो रणवीर का पीछा कर रही थी... एक सनसनीखेज कहानी के लिए।

"तुम हो न वो मरा हुआ सैनिक?" उसने धीमे से कहा।

रणवीर पलटा, उसकी गर्दन पर बंदूक तानी — "तुम हो कौन?"

"मैं वो हूँ जो तुम्हें फिर से जिंदा कर सकती है…" – जिया मुस्कुराई।


---

एक्सन की बारिश

जिया और रणवीर की जोड़ी जैसे आग और पेट्रोल थी।
रणवीर उसे अपने मिशन में शामिल नहीं करना चाहता था, लेकिन जिया की जिद — और उसकी गहराइयों में छिपे जख्म — रणवीर को तोड़ते चले गए।

वे एक साथ मुंबई के अंडरवर्ल्ड के दिल तक पहुंचे।
एक-एक कर गद्दारों की लिस्ट निकली — और रणवीर ने उन्हें ठिकाने लगाना शुरू कर दिया।

गोलियां चलीं, खून बहा — और दोनों के बीच एक अनकही मोहब्बत भी बहने लगी।


---

रोमांस का विस्फोट

एक रात बारिश में, रणवीर ने पूछा —
“अगर मैं आज ना बचा… तो?”

जिया ने होंठों पर उंगली रख दी —
“तुम पहले से ही मर चुके थे रणवीर… मैं तुम्हें जिंदा करने आई हूँ। अब तुम सिर्फ मेरे हो।”


---

अंतिम मुकाबला: दोस्त बना दुश्मन

आख़िरी भिड़ंत कबीर राय से थी — बंदरगाह के पास, एक जहाज पर।

रणवीर ने चीख कर कहा —
“तेरे लिए दोस्ती सिर्फ वर्दी थी… मेरे लिए जान।”

कबीर हँसा — “तेरी जान अब मेरी गोली में है।”

और फिर…
जिया ने पहली बार गोली चलाई।
सीधा कबीर के दिल में।


---

एपिलॉग: बारूद के बाद की बारिश

रणवीर और जिया ने सब कुछ छोड़ दिया।
हिमालय के किसी गाँव में एक छोटी सी किताबों की दुकान खोल ली।
हर शाम, वो एक-दूसरे की आँखों में वो जंग देखते हैं, जो कभी उन्होंने साथ लड़ी थी — और जीती भी।


---

🎬 Tagline:

"जहाँ गोलियों की गूंज में मोहब्बत की धड़कन छुपी हो — वहीं होती है असली कहानी।"

rajukumarchaudhary502010

🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"

📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।

(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)

[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"

🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं

रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।

एक हथियार डीलर से मिल रहा है।


डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"

(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"


---

🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं

जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।


जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"

(वो पीछा करती है)


---

🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़

रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।

अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।


रणवीर: "तुम कौन हो?"

जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"

रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"


---

🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:

[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"

rajukumarchaudhary502010

💍 "My Contract Wife" — पूरी कहानी (सारांश में)

मुख्य किरदार:

आरव सिंह मेवाड़ – एक अमीर, घमंडी और सख्तदिल बिज़नेसमैन।

रागिनी शर्मा – एक साधारण लेकिन आत्मसम्मानी लड़की, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है।



---

📖 कहानी की शुरुआत:

आरव को अपने बिज़नेस डील्स के लिए शादी करनी पड़ती है। लेकिन उसे असली शादी में विश्वास नहीं। उसे चाहिए सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट वाइफ – एक समझौते की पत्नी, जिससे वो एक तय समय बाद अलग हो सके।

उधर, रागिनी एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जिसका भाई इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। पैसों की कमी उसे मजबूर कर देती है कि वो आरव का प्रस्ताव स्वीकार कर ले — एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।


---

🔥 कहानी में ट्विस्ट:

शादी होती है — लेकिन दोनों के दिलों में दूरियां हैं।

आरव, रागिनी को बस एक सौदा मानता है।

रागिनी, खुद्दारी वाली लड़की है, लेकिन वो जानती है कि उसे क्यों ये समझौता करना पड़ा।


धीरे-धीरे, रागिनी की सादगी और अच्छाई आरव के पत्थर दिल में असर करने लगती है।
लेकिन तभी...

आरव की एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होती है।

रागिनी के भाई की सच्चाई सामने आती है।

एक बड़ा व्यापारिक धोखा, जो आरव को तबाह कर सकता है।



---

💔 अंतिम मोड़:

क्या आरव अपने झूठे अहंकार को छोड़कर रागिनी के प्यार को समझ पाएगा?
क्या रागिनी उस इंसान से वाकई प्यार कर बैठी है जिसने उससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट किया था?

क्या कॉन्ट्रैक्ट प्यार में बदल सकता है?
या ये रिश्ता सिर्फ एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा?

rajukumarchaudhary502010

💍 "My Contract Wife" — पूरी कहानी (सारांश में)

मुख्य किरदार:

आरव सिंह मेवाड़ – एक अमीर, घमंडी और सख्तदिल बिज़नेसमैन।

रागिनी शर्मा – एक साधारण लेकिन आत्मसम्मानी लड़की, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है।



---

📖 कहानी की शुरुआत:

आरव को अपने बिज़नेस डील्स के लिए शादी करनी पड़ती है। लेकिन उसे असली शादी में विश्वास नहीं। उसे चाहिए सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट वाइफ – एक समझौते की पत्नी, जिससे वो एक तय समय बाद अलग हो सके।

उधर, रागिनी एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जिसका भाई इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। पैसों की कमी उसे मजबूर कर देती है कि वो आरव का प्रस्ताव स्वीकार कर ले — एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।


---

🔥 कहानी में ट्विस्ट:

शादी होती है — लेकिन दोनों के दिलों में दूरियां हैं।

आरव, रागिनी को बस एक सौदा मानता है।

रागिनी, खुद्दारी वाली लड़की है, लेकिन वो जानती है कि उसे क्यों ये समझौता करना पड़ा।


धीरे-धीरे, रागिनी की सादगी और अच्छाई आरव के पत्थर दिल में असर करने लगती है।
लेकिन तभी...

आरव की एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होती है।

रागिनी के भाई की सच्चाई सामने आती है।

एक बड़ा व्यापारिक धोखा, जो आरव को तबाह कर सकता है।



---

💔 अंतिम मोड़:

क्या आरव अपने झूठे अहंकार को छोड़कर रागिनी के प्यार को समझ पाएगा?
क्या रागिनी उस इंसान से वाकई प्यार कर बैठी है जिसने उससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट किया था?

क्या कॉन्ट्रैक्ट प्यार में बदल सकता है?
या ये रिश्ता सिर्फ एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा?

rajukumarchaudhary502010

💍 "My Contract Wife" — पूरी कहानी (सारांश में)

मुख्य किरदार:

आरव सिंह मेवाड़ – एक अमीर, घमंडी और सख्तदिल बिज़नेसमैन।

रागिनी शर्मा – एक साधारण लेकिन आत्मसम्मानी लड़की, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है।



---

📖 कहानी की शुरुआत:

आरव को अपने बिज़नेस डील्स के लिए शादी करनी पड़ती है। लेकिन उसे असली शादी में विश्वास नहीं। उसे चाहिए सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट वाइफ – एक समझौते की पत्नी, जिससे वो एक तय समय बाद अलग हो सके।

उधर, रागिनी एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जिसका भाई इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। पैसों की कमी उसे मजबूर कर देती है कि वो आरव का प्रस्ताव स्वीकार कर ले — एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।


---

🔥 कहानी में ट्विस्ट:

शादी होती है — लेकिन दोनों के दिलों में दूरियां हैं।

आरव, रागिनी को बस एक सौदा मानता है।

रागिनी, खुद्दारी वाली लड़की है, लेकिन वो जानती है कि उसे क्यों ये समझौता करना पड़ा।


धीरे-धीरे, रागिनी की सादगी और अच्छाई आरव के पत्थर दिल में असर करने लगती है।
लेकिन तभी...

आरव की एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होती है।

रागिनी के भाई की सच्चाई सामने आती है।

एक बड़ा व्यापारिक धोखा, जो आरव को तबाह कर सकता है।



---

💔 अंतिम मोड़:

क्या आरव अपने झूठे अहंकार को छोड़कर रागिनी के प्यार को समझ पाएगा?
क्या रागिनी उस इंसान से वाकई प्यार कर बैठी है जिसने उससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट किया था?

क्या कॉन्ट्रैक्ट प्यार में बदल सकता है?
या ये रिश्ता सिर्फ एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा?

rajukumarchaudhary502010

🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"

📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।

(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)

[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"

🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं

रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।

एक हथियार डीलर से मिल रहा है।


डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"

(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"


---

🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं

जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।


जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"

(वो पीछा करती है)


---

🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़

रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।

अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।


रणवीर: "तुम कौन हो?"

जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"

रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"


---

🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:

[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"

rajukumarchaudhary502010

📝 My Contract Wife

✍️ लेखक: राजु कुमार चौधरी शैली में

"जिस प्यार की शुरुआत कागज़ से होती है, उसका अंजाम दिल तक पहुँच ही जाता है..."


---

प्रस्तावना

अर्जुन एक सफल बिजनेस मैन है — शांत, गंभीर और भावनाओं से दूर। उसका जीवन एकदम अनुशासित है, लेकिन भीतर एक वीरानगी है जिसे कोई समझ नहीं पाता। दूसरी ओर है अनन्या — चुलबुली, तेज़-तर्रार और ज़िंदगी को अपने अंदाज़ में जीने वाली लड़की। दोनों की दुनिया एक-दूसरे से बिल्कुल अलग। पर ज़िंदगी को किसे कब कहाँ ले जाए, ये किसी को नहीं पता।


---

कहानी शुरू होती है…

अर्जुन की माँ कैंसर की अंतिम स्टेज में थी। उनका एक ही सपना था – बेटे की शादी देखना। लेकिन अर्जुन शादी जैसे रिश्ते को वक़्त की बर्बादी मानता था। “माँ के लिए कर लूंगा, पर प्यार-व्यार मेरे बस का नहीं…” – यही सोच थी उसकी।

अनन्या की ज़िंदगी में तूफ़ान आया था। पिता का बिजनेस डूब चुका था, और ऊपर से कर्ज़दारों का दबाव। उसे पैसों की सख्त ज़रूरत थी।

एक कॉमन जान-पहचान के जरिए अर्जुन और अनन्या की मुलाकात होती है। अर्जुन ने सीधे प्रस्ताव रखा —

> “मुझसे एक साल के लिए शादी करोगी? सिर्फ नाम की शादी। माँ की वजह से। बदले में तुम्हें हर महीने 2 लाख रुपए मिलेंगे।”



अनन्या पहले तो चौंकी। फिर सोचा – “इससे बेहतर सौदा क्या होगा?”
शर्तें साफ थीं:

एक साल का कांट्रैक्ट

कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं

मीडिया, रिश्तेदारों से दूरी

माँ के सामने अच्छे पति-पत्नी का नाटक


अनन्या मान गई।


---

शादी… और उसका नाटक

शादी हुई। माँ की आँखों में खुशी के आँसू थे। अर्जुन और अनन्या ने ‘मियाँ-बीवी’ का रोल बड़ी सच्चाई से निभाया।

लेकिन रोज़मर्रा की जिंदगी ने अजीब मोड़ ले लिया।

अनन्या धीरे-धीरे अर्जुन की आदत बन गई — उसकी चाय का अंदाज़, उसकी बातें, उसके ताने… सब कुछ।
उधर अनन्या को भी एहसास हुआ कि अर्जुन उतना बेरुखा नहीं है जितना दिखता है।

वो अक्सर आधी रात को उठकर उसकी माँ की दवा देता।
पैसों के पीछे भागने वाला इंसान माँ के लिए पूजा करता दिखता।
अनन्या का दिल धड़क उठा।


---

कांट्रैक्ट के परे की दुनिया

एक दिन, माँ ने अर्जुन से कहा —

> “बेटा, ये लड़की हमारे घर की लक्ष्मी है। तूने इसे दिल से अपनाया या सिर्फ कांट्रैक्ट से?”



अर्जुन चुप रहा। पर मन में हलचल थी।
कांट्रैक्ट के 8 महीने बीत चुके थे। अब दिल और दिमाग के बीच की लड़ाई तेज़ हो चुकी थी।

एक रात अर्जुन ने पूछा —

> “अगर ये कांट्रैक्ट न होता… तब भी तुम मुझसे शादी करती?”



अनन्या ने पलटकर जवाब दिया —

> “अगर तुम्हारा दिल न होता, तो कांट्रैक्ट भी न होता…”




---

टूटता समझौता, जुड़ते दिल

एक दिन माँ का निधन हो गया। अंतिम संस्कार में पूरे गाँव ने देखा — अर्जुन ने पहली बार किसी के सामने रोया। अनन्या ने उसे बाँहों में भर लिया।

अब शादी का कारण जा चुका था।
कांट्रैक्ट पूरा हो चुका था।
एक साल बाद, अनन्या ने सूटकेस उठाया।

> “मैं जा रही हूँ… तुम्हारा कांट्रैक्ट पूरा हुआ…”



पर अर्जुन ने रास्ता रोक लिया।

> “अब मैं एक और कॉन्ट्रैक्ट चाहता हूँ…
इस बार बिना तारीख के, बिना शर्त के…
शादी नहीं — प्यार वाला रिश्ता… हमेशा का…”



अनन्या की आँखों से आँसू झरने लगे। वो मुस्कुराई।

> “अब तो पैसे भी नहीं लोगे?”



> “अब तो दिल दाँव पर है… क्या तुम लोगी?”



अनन्या ने उसका हाथ थाम लिया।


---

एपिलॉग

अब अर्जुन और अनन्या एक-दूसरे के लिए जीते हैं। बिजनेस पार्टनर, लाइफ पार्टनर, और दिल के साथी बन चुके हैं।

"कभी-कभी सबसे गहरे रिश्ते वहीं से शुरू होते हैं जहाँ दिल और दस्तखत दोनों मिलते हैं।"


---

🌟 सीख:

रिश्ते जब दिल से निभाए जाएँ, तो कांट्रैक्ट भी इश्क़ बन जाता है।

rajukumarchaudhary502010

🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"

📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।

(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)

[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"

🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं

रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।

एक हथियार डीलर से मिल रहा है।


डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"

(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"


---

🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं

जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।


जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"

(वो पीछा करती है)


---

🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़

रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।

अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।


रणवीर: "तुम कौन हो?"

जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"

रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"


---

🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:

[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"

rajukumarchaudhary502010

🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"

📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।

(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)

[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"

🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं

रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।

एक हथियार डीलर से मिल रहा है।


डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"

(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"


---

🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं

जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।


जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"

(वो पीछा करती है)


---

🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़

रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।

अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।


रणवीर: "तुम कौन हो?"

जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"

रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"


---

🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:

[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"

rajukumarchaudhary502010

💍 "My Contract Wife" — पूरी कहानी (सारांश में)

मुख्य किरदार:

आरव सिंह मेवाड़ – एक अमीर, घमंडी और सख्तदिल बिज़नेसमैन।

रागिनी शर्मा – एक साधारण लेकिन आत्मसम्मानी लड़की, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है।



---

📖 कहानी की शुरुआत:

आरव को अपने बिज़नेस डील्स के लिए शादी करनी पड़ती है। लेकिन उसे असली शादी में विश्वास नहीं। उसे चाहिए सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट वाइफ – एक समझौते की पत्नी, जिससे वो एक तय समय बाद अलग हो सके।

उधर, रागिनी एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जिसका भाई इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती है। पैसों की कमी उसे मजबूर कर देती है कि वो आरव का प्रस्ताव स्वीकार कर ले — एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के लिए।


---

🔥 कहानी में ट्विस्ट:

शादी होती है — लेकिन दोनों के दिलों में दूरियां हैं।

आरव, रागिनी को बस एक सौदा मानता है।

रागिनी, खुद्दारी वाली लड़की है, लेकिन वो जानती है कि उसे क्यों ये समझौता करना पड़ा।


धीरे-धीरे, रागिनी की सादगी और अच्छाई आरव के पत्थर दिल में असर करने लगती है।
लेकिन तभी...

आरव की एक्स गर्लफ्रेंड की एंट्री होती है।

रागिनी के भाई की सच्चाई सामने आती है।

एक बड़ा व्यापारिक धोखा, जो आरव को तबाह कर सकता है।



---

💔 अंतिम मोड़:

क्या आरव अपने झूठे अहंकार को छोड़कर रागिनी के प्यार को समझ पाएगा?
क्या रागिनी उस इंसान से वाकई प्यार कर बैठी है जिसने उससे सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट किया था?

क्या कॉन्ट्रैक्ट प्यार में बदल सकता है?
या ये रिश्ता सिर्फ एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा?

rajukumarchaudhary502010

फेरों के बाद भी शादियां नहीं टिकतीं
क्योंकि संसार के स्वीकार करने से
कुछ नहीं होता..

स्वीकार तो मनुष्य के हृदय को
करना होता है.

dipika9474

🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"

📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।

(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)

[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"

🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं

रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।

एक हथियार डीलर से मिल रहा है।


डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"

(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"


---

🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं

जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।


जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"

(वो पीछा करती है)


---

🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़

रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।

अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।


रणवीर: "तुम कौन हो?"

जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"

रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"


---

🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:

[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"

rajukumarchaudhary502010

"कभी न झुका नेपाल – गोरखों की गाथा"

✍️ राजु कुमार चौधरी द्वारा

> हिमगिरी के आँचल में बसा,
एक देश है बलिदानों का।
न किसी ने जंजीर पहनाई,
न कोई शिकारी बना शिकार का।

ये वो भूमि है वीरों की,
जहाँ गोरखा पैदा होता है।
तलवार नहीं, गर्जना से ही
दुश्मन का दिल रोता है।

ब्रिटिश आए घोड़े लेकर,
सोचा था जीत लेंगे सब कुछ।
पर नेपाल की माटी ने बोला —
"यहाँ लड़ाई होती है सच्ची, न साजिशवाली साजिश!"

सुगौली की स्याही से,
नक्शे में कुछ धब्बे आए।
पर आज़ादी की आत्मा
फिर भी न झुकी, न मिट पाई।

न ताज गया, न राज गया,
न खुद्दारी की बात गई।
गोरखा बोला —
“मातृभूमि के लिए तो जान भी सौगात है भाई!”

न कभी मुग़ल, न तैमूर आया,
न ब्रिटिश बन सका मालिक।
ये नेपाल है —
यहाँ हर बच्चा भी जन्म से स्वतंत्र सैनिक।




---

> 🌄 नेपाल कोई देश नहीं, एक प्रेरणा है।
🌪️ यहाँ न गुलामी आई, न आज़ादी गई।
🚩 क्योंकि यहाँ के लोग लड़ना नहीं, मरना जानते हैं — पर झुकना नहीं।

rajukumarchaudhary502010

🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"

📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।

(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)

[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"

🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं

रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।

एक हथियार डीलर से मिल रहा है।


डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"

(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"


---

🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं

जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।


जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"

(वो पीछा करती है)


---

🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़

रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।

अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।


रणवीर: "तुम कौन हो?"

जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"

रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"


---

🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:

[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"

rajukumarchaudhary502010

💥 कहानी का नाम: "बारूद और बरसात"

(Romance meets Revenge in the shadows of bullets)


---

मुख्य किरदार:

रणवीर सोलंकी – एक पूर्व सैनिक, शांत पर खतरनाक, जिसकी आँखों में बसी है सिर्फ बदला।

जिया मिर्ज़ा – एक पत्रकार, जो सच की तलाश में है, और खुद अपने अतीत से लड़ रही है।

कैप्टन कबीर राय – रणवीर का पुराना दोस्त, अब दुश्मनों के साथ खड़ा।



---

कहानी की शुरुआत:

मानसून की पहली रात थी…
बाँद्रा की सड़कों पर पानी बह रहा था, पर रणवीर सोलंकी की आँखों में सिर्फ खून उतर आया था।

पिछले तीन साल से वो लापता था। सेना ने उसे "मरा हुआ" मान लिया, पर हकीकत में वो जिंदा था — जिंदा, लेकिन अंदर से जलता हुआ।

क्यों?
क्योंकि उसके ही दस्ते में एक गद्दार था, जिसने उसे मौत के मुँह में धकेला — कैप्टन कबीर राय।


---

ट्विस्ट: मुलाकात जिया से

रणवीर एक पुराने हथियार डीलर से मिल रहा था, तभी सामने आई — जिया मिर्ज़ा।
स्ट्रेट-कट बाल, चश्मे के पीछे आग सी आँखें। वो रणवीर का पीछा कर रही थी... एक सनसनीखेज कहानी के लिए।

"तुम हो न वो मरा हुआ सैनिक?" उसने धीमे से कहा।

रणवीर पलटा, उसकी गर्दन पर बंदूक तानी — "तुम हो कौन?"

"मैं वो हूँ जो तुम्हें फिर से जिंदा कर सकती है…" – जिया मुस्कुराई।


---

एक्सन की बारिश

जिया और रणवीर की जोड़ी जैसे आग और पेट्रोल थी।
रणवीर उसे अपने मिशन में शामिल नहीं करना चाहता था, लेकिन जिया की जिद — और उसकी गहराइयों में छिपे जख्म — रणवीर को तोड़ते चले गए।

वे एक साथ मुंबई के अंडरवर्ल्ड के दिल तक पहुंचे।
एक-एक कर गद्दारों की लिस्ट निकली — और रणवीर ने उन्हें ठिकाने लगाना शुरू कर दिया।

गोलियां चलीं, खून बहा — और दोनों के बीच एक अनकही मोहब्बत भी बहने लगी।


---

रोमांस का विस्फोट

एक रात बारिश में, रणवीर ने पूछा —
“अगर मैं आज ना बचा… तो?”

जिया ने होंठों पर उंगली रख दी —
“तुम पहले से ही मर चुके थे रणवीर… मैं तुम्हें जिंदा करने आई हूँ। अब तुम सिर्फ मेरे हो।”


---

अंतिम मुकाबला: दोस्त बना दुश्मन

आख़िरी भिड़ंत कबीर राय से थी — बंदरगाह के पास, एक जहाज पर।

रणवीर ने चीख कर कहा —
“तेरे लिए दोस्ती सिर्फ वर्दी थी… मेरे लिए जान।”

कबीर हँसा — “तेरी जान अब मेरी गोली में है।”

और फिर…
जिया ने पहली बार गोली चलाई।
सीधा कबीर के दिल में।


---

एपिलॉग: बारूद के बाद की बारिश

रणवीर और जिया ने सब कुछ छोड़ दिया।
हिमालय के किसी गाँव में एक छोटी सी किताबों की दुकान खोल ली।
हर शाम, वो एक-दूसरे की आँखों में वो जंग देखते हैं, जो कभी उन्होंने साथ लड़ी थी — और जीती भी।


---

🎬 Tagline:

"जहाँ गोलियों की गूंज में मोहब्बत की धड़कन छुपी हो — वहीं होती है असली कहानी।"

rajukumarchaudhary502010

The upcoming Satsang and Gnanvidhi is happening in San Jose, USA

For detailed information, visit here: https://dbf.adalaj.org/YCDyXr4H

#USA #spiritualawakening #spirituality #SpiritualKnowledge #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

🎬 बारूद और बरसात – भाग 1: "मृत नहीं हूँ मैं"

📍 लोकेशन: मुंबई – बारिश से भीगी रात, गंदे गली-कूचों में सन्नाटा।

(कैमरा धीमे-धीमे गीली सड़क पर चलता है, एक बूढ़ी सी बिल्डिंग के दरवाज़े पर रुकता है। दरवाज़ा चरमराता है और खुलता है।)

[नैरेशन: रणवीर की आवाज़, धीमी, भारी आवाज़ में]
"तीन साल... तीन साल से मैं 'मरा हुआ' कहलाता हूँ... लेकिन मैं जिंदा हूँ... और अब, हर वो साँस, बारूद की गंध लाएगी।"

🎭 सीन 1: अंधेरे में एक परछाईं

रणवीर सोलंकी – दाढ़ी बढ़ी हुई, आँखों में आग, छाया की तरह चलता है।

एक हथियार डीलर से मिल रहा है।


डीलर: "मुझे लगा तू मरा हुआ है..."
रणवीर (आँखें तरेर कर): "गलती सबसे होती है।"

(रणवीर एक नक़्शा निकालता है – एक पुराने बंदरगाह का – और कहता है:)
"यहाँ से सब कुछ शुरू हुआ था... और यहीं खत्म होगा।"


---

🎭 सीन 2: पत्रकार की परछाईं

जिया मिर्ज़ा, स्मार्ट, बेधड़क रिपोर्टर – छिपकर रणवीर की तस्वीरें ले रही है।


जिया (मन में):
"ये वही है... कैप्टन रणवीर सोलंकी... जिसे तीन साल पहले देश ने मृत घोषित किया था। लेकिन अगर ये ज़िंदा है, तो कहानी सिर्फ सैनिक की नहीं, गद्दारी की है।"

(वो पीछा करती है)


---

🎭 सीन 3: पहली मुठभेड़

रणवीर को एहसास होता है कि कोई पीछा कर रहा है।

अचानक जिया को दीवार से दबोचता है, चाकू उसकी गर्दन के पास।


रणवीर: "तुम कौन हो?"

जिया (डरती नहीं):
"तुम्हें ज़िंदा देखने वाली पहली इंसान हूँ… और आख़िरी नहीं बनने वाली।"

रणवीर (गर्दन झुका कर):
"...बहुत बोलती हो।"


---

🎬 सीन कट – हल्की सी म्यूजिक बीट और बैकग्राउंड नैरेशन:

[रणवीर की आवाज़]
"जिंदगी ने मेरा सब कुछ छीना, अब मेरा एक ही मकसद है — कबीर राय। दोस्ती के नाम पर उसने जो किया... अब उसकी कीमत चुकानी होगी।"

rajukumarchaudhary502010

🐼🖤✨

hiralb

"उसकी मुस्कान में कुछ ऐसा था… जो हर दर्द को भुला दे।
सिर्फ उसका साथ ही काफी है, ज़िन्दगी को खूबसूरत बनाने के लिए। ❤️
#RomanticVibes #HindiPoetry #LoveFeelings #DilSe #writerneetusuthar000 "

neetusuthar035155

Title: Khud Se Pyar Karna Bhi Zaroori Hai

हर बार किसी और को खुश करने में खुद को खो दिया...
हर रिश्ते को निभाते-निभाते अपना मन मार लिया।
अब समझ आया —
ख़ुद से भी रिश्ता रखना पड़ता है।
जो आईने में दिखे, उससे भी प्यार करना सीखो।
क्योंकि जब तक तुम खुद को नहीं अपनाओगे,
दुनिया भी तुम्हें अधूरा ही समझेगी।
✍️ Pawan।

सोचिए… आख़िरी बार आपने अपने लिए क्या किया था?

Un Logo Ke Liye Jo Apne Aap Ko Bhool Gaye The.

#SelfLove #KhudSePyar #Inspiration #MentalHealth #Zindagi #Pawan

writerpawan

“क्या कभी पहाड़ की चुप्पी सुनी है?”
जहाँ कभी बच्चों की किलकारियाँ, माँ की थाली की खनक और खेतों में पिता की हलचल गूंजती थी — आज वहाँ सिर्फ़ नाटा है।

“जब पहाड़ रो पड़े” कोई साधारण किताब नहीं, एक जीती-जागती दस्तावेज़ है उन गाँवों की जो अब मानचित्र पर तो हैं, पर ज़िंदगी से कट चुके हैं। यह उन माँओं की पुकार है जो अब भी दरवाज़े खुले रखती हैं, उन पिता की चुप्पी है जो हर सुबह खेतों में उम्मीद बोते हैं, उन स्कूलों की दीवारें हैं जो अब भी बच्चों की आवाज़ सुनने को तरसती हैं।

ये किताब आँकड़ों की नहीं, आंसुओं की कहानी है। एक ऐसा सच जिसे हमने देखा है, महसूस किया है — लेकिन शायद स्वीकार नहीं किया।

अगर आपने भी कभी अपना गाँव छोड़ा है, या अब भी मन में उस मिट्टी की ख़ुशबू बसती है — तो ये किताब आपकी अपनी कहानी है।

Amazon की Best Seller सूची में शामिल “जब पहाड़ रो पड़े” आज एक भावनात्मक आंदोलन बन चुकी है।
इस किताब को पढ़िए, महसूस कीजिए… और सोचिए — क्या हम सिर्फ़ शहरों के नागरिक हैं, या उन गाँवों के भी ज़िम्मेदार हैं जो हमें जड़ें देते हैं?

📖 लेखक: धीरेंद्र सिंह बिष्ट
🎖 Amazon Bestseller | Anthropology Rank #72
📚 उपलब्ध है Now on Amazon

#जबपहाड़रोपड़े #PahadiBook #UttarakhandMigration #VillageStories #IndianAuthors #BookLoversIndia #AmazonBestseller #PahadKiPukar #EmotionalBooks #SaveOurVillages #HindiLiterature

dhirendra342gmailcom

💍 My Contract Wife

✍️ लेखक: राजु कुमार चौधरी शैली में – एक रोमांटिक-ड्रामा

प्रस्तावना:

प्यार वो एहसास है जो अक्सर बिना बुलाए चला आता है।
पर जब वही प्यार एक काग़ज़ी समझौते से शुरू हो… तो क्या वो सच्चा प्यार बन सकता है?


---

कहानी की शुरुआत

अर्जुन मेहरा, 30 साल का एक सफल बिजनेसमैन, दिल्ली की बड़ी कंपनी का सीईओ। उसकी ज़िंदगी में सब कुछ था — पैसा, पावर, प्रतिष्ठा… बस एक चीज़ की कमी थी – प्यार।
प्यार शब्द से उसे चिढ़ थी। उसे लगता था प्यार सिर्फ एक इमोशनल जाल है, जिसमें फँसकर लोग अपने करियर और पहचान को बर्बाद कर देते हैं।

पर उसकी माँ, सुनीता मेहरा — जो कैंसर से जूझ रही थीं — बस एक ही ख्वाहिश लेकर जी रही थीं:
“मेरे बेटे की शादी हो जाए… बस फिर मैं चैन से मर सकूंगी।”

माँ के आँसू देखकर पत्थर दिल अर्जुन भी पिघल गया। लेकिन वो दिल से शादी नहीं करना चाहता था। तभी उसने फैसला लिया —

> "अगर एक कांट्रैक्ट मैरिज हो जाए… एक साल के लिए… ताकि माँ को लग जाए कि मैं खुश हूँ…"




---

दूसरी ओर

अनन्या सिंह — 24 साल की एक होनहार लड़की, जिसने मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की थी। पर किस्मत ने धोखा दिया। उसके पिता का बिजनेस डूब गया। घर बिक गया। लोन और कर्ज़दारों की धमकी उसके दिन-रात खराब कर रहे थे।

उसे पैसों की सख्त ज़रूरत थी। और तभी उसकी मुलाकात हुई अर्जुन से — एक जान-पहचान वाले वकील के ज़रिए।

जब अर्जुन ने कांट्रैक्ट का प्रस्ताव दिया —

> "मुझसे शादी करो, एक साल के लिए। बदले में हर महीने 2 लाख मिलेंगे। माँ को लगेगा कि मेरी शादी हो गई है। एक साल बाद हम डाइवोर्स ले लेंगे।"



अनन्या पहले तो हैरान हुई, पर हालात ने उसे हाँ करने पर मजबूर कर दिया।


---

शादी: एक नाटक की शुरुआत

शादी सादगी से हुई। सिर्फ माँ के सामने एक ‘खुशहाल कपल’ का नाटक करना था।
अर्जुन और अनन्या एक ही बंगले में रहने लगे, पर अलग-अलग कमरों में।
माँ की आँखों में खुशी लौट आई। लेकिन असली संघर्ष अब शुरू हुआ।

अनन्या की हँसी, अर्जुन को परेशान करने लगी… और फिर लुभाने भी।

अर्जुन की चुप्पी, अनन्या को खलने लगी… फिर उसे समझने का मन करने लगा।


धीरे-धीरे, अनन्या अर्जुन के दिल की दीवारों में सेंध लगाने लगी।
वो जान गई थी — अर्जुन जितना सख्त दिखता है, अंदर से उतना ही टूटा हुआ है।


---

भावनाओं का बदलता मौसम

6 महीने बीते।
माँ अब पहले से बेहतर थीं।
अर्जुन ऑफिस के काम में कम और अनन्या की आदतों में ज़्यादा खो गया था।
वो जानता था कि ये सब अस्थाई है… पर दिल को कौन समझाए?

एक रात जब बिजली चली गई, तो दोनों बालकनी में बैठे चाँद की रोशनी में बातें करने लगे।
अनन्या ने कहा —

> “पता है अर्जुन, बचपन में मैं सोचा करती थी कि मेरी शादी किसी राजकुमार से होगी… मगर अब लगता है वो राजकुमार, सूट में बैठा, कानूनी कागज़ पर साइन करवा रहा है।”



अर्जुन मुस्कराया, पर दिल रो पड़ा।


---

टूटता अनुबंध, जुड़ते दिल

जब 11वाँ महीना आया, अनन्या की आँखों में डर दिखने लगा।
वो नहीं चाहती थी कि ये रिश्ता खत्म हो।
पर शर्तें तो पहले से तय थीं।

एक दिन अनन्या ने देखा — अर्जुन चुपचाप अपने कमरे में रो रहा था।
वो पास आई और बोली —

> “क्या हुआ?”



अर्जुन ने पहली बार खुलकर कहा —

> “मैंने इस कांट्रैक्ट से खुद को बचाना चाहा था… पर तुमने मेरी दीवारें गिरा दीं।
अब अगर तुम चली गईं… तो मैं फिर वही बन जाऊंगा जो पहले था — एक खाली खोल।”




---

कहानी का मोड़

अब एक नया डर दोनों के दिल में था —
क्या दूसरा भी वही महसूस करता है? या यह एकतरफा है?

फिर आया साल का आखिरी दिन।
डायवोर्स के पेपर तैयार थे। वकील बुलाया गया।

अनन्या ने काँपते हाथों से पेपर उठाए… साइन करने ही वाली थी, कि अर्जुन ने पेपर खींच लिए।

> “नहीं चाहिए ये साइन।
अब मैं तुम्हें कांट्रैक्ट वाइफ नहीं, मेरी ज़िंदगी की वाइफ बनाना चाहता हूँ।”



अनन्या की आँखें भर आईं।

> “तो फिर बोलो अर्जुन…
क्या अब ये रिश्ता बिना पैसे के भी चलेगा?”



> “अब ये रिश्ता सिर्फ दिल से चलेगा…
कागज़ों से नहीं।”




---

एपिलॉग: एक नई शुरुआत

अर्जुन और अनन्या ने दोबारा शादी की —
इस बार बिना कांट्रैक्ट, बिना शर्त।

अब उनका रिश्ता एक मिसाल बन चुका था।
दो लोग जो एक सौदे के तहत मिले,
प्यार की सबसे खूबसूरत मिसाल बन गए।


---

🌟 सीख:

रिश्ते अगर दिल से निभाए जाएँ, तो कागज़ों की कोई औकात नहीं होती।📝 My Contract Wife

✍️ लेखक: राजु कुमार चौधरी शैली में

"जिस प्यार की शुरुआत कागज़ से होती है, उसका अंजाम दिल तक पहुँच ही जाता है..."


---

प्रस्तावना

अर्जुन एक सफल बिजनेस मैन है — शांत, गंभीर और भावनाओं से दूर। उसका जीवन एकदम अनुशासित है, लेकिन भीतर एक वीरानगी है जिसे कोई समझ नहीं पाता। दूसरी ओर है अनन्या — चुलबुली, तेज़-तर्रार और ज़िंदगी को अपने अंदाज़ में जीने वाली लड़की। दोनों की दुनिया एक-दूसरे से बिल्कुल अलग। पर ज़िंदगी को किसे कब कहाँ ले जाए, ये किसी को नहीं पता।


---

कहानी शुरू होती है…

अर्जुन की माँ कैंसर की अंतिम स्टेज में थी। उनका एक ही सपना था – बेटे की शादी देखना। लेकिन अर्जुन शादी जैसे रिश्ते को वक़्त की बर्बादी मानता था। “माँ के लिए कर लूंगा, पर प्यार-व्यार मेरे बस का नहीं…” – यही सोच थी उसकी।

अनन्या की ज़िंदगी में तूफ़ान आया था। पिता का बिजनेस डूब चुका था, और ऊपर से कर्ज़दारों का दबाव। उसे पैसों की सख्त ज़रूरत थी।

एक कॉमन जान-पहचान के जरिए अर्जुन और अनन्या की मुलाकात होती है। अर्जुन ने सीधे प्रस्ताव रखा —

> “मुझसे एक साल के लिए शादी करोगी? सिर्फ नाम की शादी। माँ की वजह से। बदले में तुम्हें हर महीने 2 लाख रुपए मिलेंगे।”



अनन्या पहले तो चौंकी। फिर सोचा – “इससे बेहतर सौदा क्या होगा?”
शर्तें साफ थीं:

एक साल का कांट्रैक्ट

कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं

मीडिया, रिश्तेदारों से दूरी

माँ के सामने अच्छे पति-पत्नी का नाटक


अनन्या मान गई।


---

शादी… और उसका नाटक

शादी हुई। माँ की आँखों में खुशी के आँसू थे। अर्जुन और अनन्या ने ‘मियाँ-बीवी’ का रोल बड़ी सच्चाई से निभाया।

लेकिन रोज़मर्रा की जिंदगी ने अजीब मोड़ ले लिया।

अनन्या धीरे-धीरे अर्जुन की आदत बन गई — उसकी चाय का अंदाज़, उसकी बातें, उसके ताने… सब कुछ।
उधर अनन्या को भी एहसास हुआ कि अर्जुन उतना बेरुखा नहीं है जितना दिखता है।

वो अक्सर आधी रात को उठकर उसकी माँ की दवा देता।
पैसों के पीछे भागने वाला इंसान माँ के लिए पूजा करता दिखता।
अनन्या का दिल धड़क उठा।


---

कांट्रैक्ट के परे की दुनिया

एक दिन, माँ ने अर्जुन से कहा —

> “बेटा, ये लड़की हमारे घर की लक्ष्मी है। तूने इसे दिल से अपनाया या सिर्फ कांट्रैक्ट से?”



अर्जुन चुप रहा। पर मन में हलचल थी।
कांट्रैक्ट के 8 महीने बीत चुके थे। अब दिल और दिमाग के बीच की लड़ाई तेज़ हो चुकी थी।

एक रात अर्जुन ने पूछा —

> “अगर ये कांट्रैक्ट न होता… तब भी तुम मुझसे शादी करती?”



अनन्या ने पलटकर जवाब दिया —

> “अगर तुम्हारा दिल न होता, तो कांट्रैक्ट भी न होता…”




---

टूटता समझौता, जुड़ते दिल

एक दिन माँ का निधन हो गया। अंतिम संस्कार में पूरे गाँव ने देखा — अर्जुन ने पहली बार किसी के सामने रोया। अनन्या ने उसे बाँहों में भर लिया।

अब शादी का कारण जा चुका था।
कांट्रैक्ट पूरा हो चुका था।
एक साल बाद, अनन्या ने सूटकेस उठाया।

> “मैं जा रही हूँ… तुम्हारा कांट्रैक्ट पूरा हुआ…”



पर अर्जुन ने रास्ता रोक लिया।

> “अब मैं एक और कॉन्ट्रैक्ट चाहता हूँ…
इस बार बिना तारीख के, बिना शर्त के…
शादी नहीं — प्यार वाला रिश्ता… हमेशा का…”



अनन्या की आँखों से आँसू झरने लगे। वो मुस्कुराई।

> “अब तो पैसे भी नहीं लोगे?”



> “अब तो दिल दाँव पर है… क्या तुम लोगी?”



अनन्या ने उसका हाथ थाम लिया।


---

एपिलॉग

अब अर्जुन और अनन्या एक-दूसरे के लिए जीते हैं। बिजनेस पार्टनर, लाइफ पार्टनर, और दिल के साथी बन चुके हैं।

"कभी-कभी सबसे गहरे रिश्ते वहीं से शुरू होते हैं जहाँ दिल और दस्तखत दोनों मिलते हैं।"


---

🌟 सीख:

रिश्ते जब दिल से निभाए जाएँ, तो कांट्रैक्ट भी इश्क़ बन जाता है।भाग ३३: “विवेक की जीत – प्यार की नई राह”

विवेक और उसकी पत्नी ने फैसला किया कि वे एक-दूसरे के लिए समय देंगे।
छोटे-छोटे पल जोड़ेंगे, जो प्यार के बड़े पुल बनेंगे।


---

परिवार की सोच में बदलाव

विवेक के परिजन भी धीरे-धीरे मानने लगे कि रिश्ता सिर्फ नाम का नहीं, भावना का होता है।

एक दिन मम्मी ने कहा —

> “मैंने देखा है तुम्हारे चेहरे की खुशी।
शायद प्यार वक्त मांगता है, लेकिन आता जरूर है।”




---

आरुषि और अर्जुन का आशीर्वाद

आरुषि ने कहा —

> “प्यार की असली ताकत तब आती है जब हम धैर्य और समझदारी से काम लें।”



अर्जुन ने जोड़ा —

> “और जब दो लोग सच में चाहते हैं, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।”




---

दोनों के बीच बढ़ता रिश्ता

विवेक और उसकी पत्नी ने साथ में छुट्टियां बिताईं, छोटे-छोटे गिफ्ट दिए, और एक-दूसरे की पसंद-नापसंद समझी।

हर दिन उनका रिश्ता थोड़ा और गहरा होता गया।


---

🌟 जारी रहेगा…

💡 सीख:

> प्यार के लिए धैर्य और समझना सबसे बड़ा मंत्र है।



अब बताओ…
क्या आप देखना चाहते हैं कि विवेक की कहानी कैसे आगे बढ़ेगी?
क्या उनके बीच के रिश्ते में और मजबूती आएगी?
और क्या अर्जुन-आरुषि इस सफर में उनकी मदद करेंगे

rajukumarchaudhary502010

💍 My Contract Wife

✍️ लेखक: राजु कुमार चौधरी शैली में – एक रोमांटिक-ड्रामा

प्रस्तावना:

प्यार वो एहसास है जो अक्सर बिना बुलाए चला आता है।
पर जब वही प्यार एक काग़ज़ी समझौते से शुरू हो… तो क्या वो सच्चा प्यार बन सकता है?


---

कहानी की शुरुआत

अर्जुन मेहरा, 30 साल का एक सफल बिजनेसमैन, दिल्ली की बड़ी कंपनी का सीईओ। उसकी ज़िंदगी में सब कुछ था — पैसा, पावर, प्रतिष्ठा… बस एक चीज़ की कमी थी – प्यार।
प्यार शब्द से उसे चिढ़ थी। उसे लगता था प्यार सिर्फ एक इमोशनल जाल है, जिसमें फँसकर लोग अपने करियर और पहचान को बर्बाद कर देते हैं।

पर उसकी माँ, सुनीता मेहरा — जो कैंसर से जूझ रही थीं — बस एक ही ख्वाहिश लेकर जी रही थीं:
“मेरे बेटे की शादी हो जाए… बस फिर मैं चैन से मर सकूंगी।”

माँ के आँसू देखकर पत्थर दिल अर्जुन भी पिघल गया। लेकिन वो दिल से शादी नहीं करना चाहता था। तभी उसने फैसला लिया —

> "अगर एक कांट्रैक्ट मैरिज हो जाए… एक साल के लिए… ताकि माँ को लग जाए कि मैं खुश हूँ…"




---

दूसरी ओर

अनन्या सिंह — 24 साल की एक होनहार लड़की, जिसने मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की थी। पर किस्मत ने धोखा दिया। उसके पिता का बिजनेस डूब गया। घर बिक गया। लोन और कर्ज़दारों की धमकी उसके दिन-रात खराब कर रहे थे।

उसे पैसों की सख्त ज़रूरत थी। और तभी उसकी मुलाकात हुई अर्जुन से — एक जान-पहचान वाले वकील के ज़रिए।

जब अर्जुन ने कांट्रैक्ट का प्रस्ताव दिया —

> "मुझसे शादी करो, एक साल के लिए। बदले में हर महीने 2 लाख मिलेंगे। माँ को लगेगा कि मेरी शादी हो गई है। एक साल बाद हम डाइवोर्स ले लेंगे।"



अनन्या पहले तो हैरान हुई, पर हालात ने उसे हाँ करने पर मजबूर कर दिया।


---

शादी: एक नाटक की शुरुआत

शादी सादगी से हुई। सिर्फ माँ के सामने एक ‘खुशहाल कपल’ का नाटक करना था।
अर्जुन और अनन्या एक ही बंगले में रहने लगे, पर अलग-अलग कमरों में।
माँ की आँखों में खुशी लौट आई। लेकिन असली संघर्ष अब शुरू हुआ।

अनन्या की हँसी, अर्जुन को परेशान करने लगी… और फिर लुभाने भी।

अर्जुन की चुप्पी, अनन्या को खलने लगी… फिर उसे समझने का मन करने लगा।


धीरे-धीरे, अनन्या अर्जुन के दिल की दीवारों में सेंध लगाने लगी।
वो जान गई थी — अर्जुन जितना सख्त दिखता है, अंदर से उतना ही टूटा हुआ है।


---

भावनाओं का बदलता मौसम

6 महीने बीते।
माँ अब पहले से बेहतर थीं।
अर्जुन ऑफिस के काम में कम और अनन्या की आदतों में ज़्यादा खो गया था।
वो जानता था कि ये सब अस्थाई है… पर दिल को कौन समझाए?

एक रात जब बिजली चली गई, तो दोनों बालकनी में बैठे चाँद की रोशनी में बातें करने लगे।
अनन्या ने कहा —

> “पता है अर्जुन, बचपन में मैं सोचा करती थी कि मेरी शादी किसी राजकुमार से होगी… मगर अब लगता है वो राजकुमार, सूट में बैठा, कानूनी कागज़ पर साइन करवा रहा है।”



अर्जुन मुस्कराया, पर दिल रो पड़ा।


---

टूटता अनुबंध, जुड़ते दिल

जब 11वाँ महीना आया, अनन्या की आँखों में डर दिखने लगा।
वो नहीं चाहती थी कि ये रिश्ता खत्म हो।
पर शर्तें तो पहले से तय थीं।

एक दिन अनन्या ने देखा — अर्जुन चुपचाप अपने कमरे में रो रहा था।
वो पास आई और बोली —

> “क्या हुआ?”



अर्जुन ने पहली बार खुलकर कहा —

> “मैंने इस कांट्रैक्ट से खुद को बचाना चाहा था… पर तुमने मेरी दीवारें गिरा दीं।
अब अगर तुम चली गईं… तो मैं फिर वही बन जाऊंगा जो पहले था — एक खाली खोल।”




---

कहानी का मोड़

अब एक नया डर दोनों के दिल में था —
क्या दूसरा भी वही महसूस करता है? या यह एकतरफा है?

फिर आया साल का आखिरी दिन।
डायवोर्स के पेपर तैयार थे। वकील बुलाया गया।

अनन्या ने काँपते हाथों से पेपर उठाए… साइन करने ही वाली थी, कि अर्जुन ने पेपर खींच लिए।

> “नहीं चाहिए ये साइन।
अब मैं तुम्हें कांट्रैक्ट वाइफ नहीं, मेरी ज़िंदगी की वाइफ बनाना चाहता हूँ।”



अनन्या की आँखें भर आईं।

> “तो फिर बोलो अर्जुन…
क्या अब ये रिश्ता बिना पैसे के भी चलेगा?”



> “अब ये रिश्ता सिर्फ दिल से चलेगा…
कागज़ों से नहीं।”




---

एपिलॉग: एक नई शुरुआत

अर्जुन और अनन्या ने दोबारा शादी की —
इस बार बिना कांट्रैक्ट, बिना शर्त।

अब उनका रिश्ता एक मिसाल बन चुका था।
दो लोग जो एक सौदे के तहत मिले,
प्यार की सबसे खूबसूरत मिसाल बन गए।


---

🌟 सीख:

रिश्ते अगर दिल से निभाए जाएँ, तो कागज़ों की कोई औकात नहीं होती।📝 My Contract Wife

✍️ लेखक: राजु कुमार चौधरी शैली में

"जिस प्यार की शुरुआत कागज़ से होती है, उसका अंजाम दिल तक पहुँच ही जाता है..."


---

प्रस्तावना

अर्जुन एक सफल बिजनेस मैन है — शांत, गंभीर और भावनाओं से दूर। उसका जीवन एकदम अनुशासित है, लेकिन भीतर एक वीरानगी है जिसे कोई समझ नहीं पाता। दूसरी ओर है अनन्या — चुलबुली, तेज़-तर्रार और ज़िंदगी को अपने अंदाज़ में जीने वाली लड़की। दोनों की दुनिया एक-दूसरे से बिल्कुल अलग। पर ज़िंदगी को किसे कब कहाँ ले जाए, ये किसी को नहीं पता।


---

कहानी शुरू होती है…

अर्जुन की माँ कैंसर की अंतिम स्टेज में थी। उनका एक ही सपना था – बेटे की शादी देखना। लेकिन अर्जुन शादी जैसे रिश्ते को वक़्त की बर्बादी मानता था। “माँ के लिए कर लूंगा, पर प्यार-व्यार मेरे बस का नहीं…” – यही सोच थी उसकी।

अनन्या की ज़िंदगी में तूफ़ान आया था। पिता का बिजनेस डूब चुका था, और ऊपर से कर्ज़दारों का दबाव। उसे पैसों की सख्त ज़रूरत थी।

एक कॉमन जान-पहचान के जरिए अर्जुन और अनन्या की मुलाकात होती है। अर्जुन ने सीधे प्रस्ताव रखा —

> “मुझसे एक साल के लिए शादी करोगी? सिर्फ नाम की शादी। माँ की वजह से। बदले में तुम्हें हर महीने 2 लाख रुपए मिलेंगे।”



अनन्या पहले तो चौंकी। फिर सोचा – “इससे बेहतर सौदा क्या होगा?”
शर्तें साफ थीं:

एक साल का कांट्रैक्ट

कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं

मीडिया, रिश्तेदारों से दूरी

माँ के सामने अच्छे पति-पत्नी का नाटक


अनन्या मान गई।


---

शादी… और उसका नाटक

शादी हुई। माँ की आँखों में खुशी के आँसू थे। अर्जुन और अनन्या ने ‘मियाँ-बीवी’ का रोल बड़ी सच्चाई से निभाया।

लेकिन रोज़मर्रा की जिंदगी ने अजीब मोड़ ले लिया।

अनन्या धीरे-धीरे अर्जुन की आदत बन गई — उसकी चाय का अंदाज़, उसकी बातें, उसके ताने… सब कुछ।
उधर अनन्या को भी एहसास हुआ कि अर्जुन उतना बेरुखा नहीं है जितना दिखता है।

वो अक्सर आधी रात को उठकर उसकी माँ की दवा देता।
पैसों के पीछे भागने वाला इंसान माँ के लिए पूजा करता दिखता।
अनन्या का दिल धड़क उठा।


---

कांट्रैक्ट के परे की दुनिया

एक दिन, माँ ने अर्जुन से कहा —

> “बेटा, ये लड़की हमारे घर की लक्ष्मी है। तूने इसे दिल से अपनाया या सिर्फ कांट्रैक्ट से?”



अर्जुन चुप रहा। पर मन में हलचल थी।
कांट्रैक्ट के 8 महीने बीत चुके थे। अब दिल और दिमाग के बीच की लड़ाई तेज़ हो चुकी थी।

एक रात अर्जुन ने पूछा —

> “अगर ये कांट्रैक्ट न होता… तब भी तुम मुझसे शादी करती?”



अनन्या ने पलटकर जवाब दिया —

> “अगर तुम्हारा दिल न होता, तो कांट्रैक्ट भी न होता…”




---

टूटता समझौता, जुड़ते दिल

एक दिन माँ का निधन हो गया। अंतिम संस्कार में पूरे गाँव ने देखा — अर्जुन ने पहली बार किसी के सामने रोया। अनन्या ने उसे बाँहों में भर लिया।

अब शादी का कारण जा चुका था।
कांट्रैक्ट पूरा हो चुका था।
एक साल बाद, अनन्या ने सूटकेस उठाया।

> “मैं जा रही हूँ… तुम्हारा कांट्रैक्ट पूरा हुआ…”



पर अर्जुन ने रास्ता रोक लिया।

> “अब मैं एक और कॉन्ट्रैक्ट चाहता हूँ…
इस बार बिना तारीख के, बिना शर्त के…
शादी नहीं — प्यार वाला रिश्ता… हमेशा का…”



अनन्या की आँखों से आँसू झरने लगे। वो मुस्कुराई।

> “अब तो पैसे भी नहीं लोगे?”



> “अब तो दिल दाँव पर है… क्या तुम लोगी?”



अनन्या ने उसका हाथ थाम लिया।


---

एपिलॉग

अब अर्जुन और अनन्या एक-दूसरे के लिए जीते हैं। बिजनेस पार्टनर, लाइफ पार्टनर, और दिल के साथी बन चुके हैं।

"कभी-कभी सबसे गहरे रिश्ते वहीं से शुरू होते हैं जहाँ दिल और दस्तखत दोनों मिलते हैं।"


---

🌟 सीख:

रिश्ते जब दिल से निभाए जाएँ, तो कांट्रैक्ट भी इश्क़ बन जाता है।भाग ३३: “विवेक की जीत – प्यार की नई राह”

विवेक और उसकी पत्नी ने फैसला किया कि वे एक-दूसरे के लिए समय देंगे।
छोटे-छोटे पल जोड़ेंगे, जो प्यार के बड़े पुल बनेंगे।


---

परिवार की सोच में बदलाव

विवेक के परिजन भी धीरे-धीरे मानने लगे कि रिश्ता सिर्फ नाम का नहीं, भावना का होता है।

एक दिन मम्मी ने कहा —

> “मैंने देखा है तुम्हारे चेहरे की खुशी।
शायद प्यार वक्त मांगता है, लेकिन आता जरूर है।”




---

आरुषि और अर्जुन का आशीर्वाद

आरुषि ने कहा —

> “प्यार की असली ताकत तब आती है जब हम धैर्य और समझदारी से काम लें।”



अर्जुन ने जोड़ा —

> “और जब दो लोग सच में चाहते हैं, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।”




---

दोनों के बीच बढ़ता रिश्ता

विवेक और उसकी पत्नी ने साथ में छुट्टियां बिताईं, छोटे-छोटे गिफ्ट दिए, और एक-दूसरे की पसंद-नापसंद समझी।

हर दिन उनका रिश्ता थोड़ा और गहरा होता गया।


---

🌟 जारी रहेगा…

💡 सीख:

> प्यार के लिए धैर्य और समझना सबसे बड़ा मंत्र है।



अब बताओ…
क्या आप देखना चाहते हैं कि विवेक की कहानी कैसे आगे बढ़ेगी?
क्या उनके बीच के रिश्ते में और मजबूती आएगी?
और क्या अर्जुन-आरुषि इस सफर में उनकी मदद करेंगे

rajukumarchaudhary502010

💍 My Contract Wife

✍️ लेखक: राजु कुमार चौधरी शैली में – एक रोमांटिक-ड्रामा

प्रस्तावना:

प्यार वो एहसास है जो अक्सर बिना बुलाए चला आता है।
पर जब वही प्यार एक काग़ज़ी समझौते से शुरू हो… तो क्या वो सच्चा प्यार बन सकता है?


---

कहानी की शुरुआत

अर्जुन मेहरा, 30 साल का एक सफल बिजनेसमैन, दिल्ली की बड़ी कंपनी का सीईओ। उसकी ज़िंदगी में सब कुछ था — पैसा, पावर, प्रतिष्ठा… बस एक चीज़ की कमी थी – प्यार।
प्यार शब्द से उसे चिढ़ थी। उसे लगता था प्यार सिर्फ एक इमोशनल जाल है, जिसमें फँसकर लोग अपने करियर और पहचान को बर्बाद कर देते हैं।

पर उसकी माँ, सुनीता मेहरा — जो कैंसर से जूझ रही थीं — बस एक ही ख्वाहिश लेकर जी रही थीं:
“मेरे बेटे की शादी हो जाए… बस फिर मैं चैन से मर सकूंगी।”

माँ के आँसू देखकर पत्थर दिल अर्जुन भी पिघल गया। लेकिन वो दिल से शादी नहीं करना चाहता था। तभी उसने फैसला लिया —

> "अगर एक कांट्रैक्ट मैरिज हो जाए… एक साल के लिए… ताकि माँ को लग जाए कि मैं खुश हूँ…"




---

दूसरी ओर

अनन्या सिंह — 24 साल की एक होनहार लड़की, जिसने मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की थी। पर किस्मत ने धोखा दिया। उसके पिता का बिजनेस डूब गया। घर बिक गया। लोन और कर्ज़दारों की धमकी उसके दिन-रात खराब कर रहे थे।

उसे पैसों की सख्त ज़रूरत थी। और तभी उसकी मुलाकात हुई अर्जुन से — एक जान-पहचान वाले वकील के ज़रिए।

जब अर्जुन ने कांट्रैक्ट का प्रस्ताव दिया —

> "मुझसे शादी करो, एक साल के लिए। बदले में हर महीने 2 लाख मिलेंगे। माँ को लगेगा कि मेरी शादी हो गई है। एक साल बाद हम डाइवोर्स ले लेंगे।"



अनन्या पहले तो हैरान हुई, पर हालात ने उसे हाँ करने पर मजबूर कर दिया।


---

शादी: एक नाटक की शुरुआत

शादी सादगी से हुई। सिर्फ माँ के सामने एक ‘खुशहाल कपल’ का नाटक करना था।
अर्जुन और अनन्या एक ही बंगले में रहने लगे, पर अलग-अलग कमरों में।
माँ की आँखों में खुशी लौट आई। लेकिन असली संघर्ष अब शुरू हुआ।

अनन्या की हँसी, अर्जुन को परेशान करने लगी… और फिर लुभाने भी।

अर्जुन की चुप्पी, अनन्या को खलने लगी… फिर उसे समझने का मन करने लगा।


धीरे-धीरे, अनन्या अर्जुन के दिल की दीवारों में सेंध लगाने लगी।
वो जान गई थी — अर्जुन जितना सख्त दिखता है, अंदर से उतना ही टूटा हुआ है।


---

भावनाओं का बदलता मौसम

6 महीने बीते।
माँ अब पहले से बेहतर थीं।
अर्जुन ऑफिस के काम में कम और अनन्या की आदतों में ज़्यादा खो गया था।
वो जानता था कि ये सब अस्थाई है… पर दिल को कौन समझाए?

एक रात जब बिजली चली गई, तो दोनों बालकनी में बैठे चाँद की रोशनी में बातें करने लगे।
अनन्या ने कहा —

> “पता है अर्जुन, बचपन में मैं सोचा करती थी कि मेरी शादी किसी राजकुमार से होगी… मगर अब लगता है वो राजकुमार, सूट में बैठा, कानूनी कागज़ पर साइन करवा रहा है।”



अर्जुन मुस्कराया, पर दिल रो पड़ा।


---

टूटता अनुबंध, जुड़ते दिल

जब 11वाँ महीना आया, अनन्या की आँखों में डर दिखने लगा।
वो नहीं चाहती थी कि ये रिश्ता खत्म हो।
पर शर्तें तो पहले से तय थीं।

एक दिन अनन्या ने देखा — अर्जुन चुपचाप अपने कमरे में रो रहा था।
वो पास आई और बोली —

> “क्या हुआ?”



अर्जुन ने पहली बार खुलकर कहा —

> “मैंने इस कांट्रैक्ट से खुद को बचाना चाहा था… पर तुमने मेरी दीवारें गिरा दीं।
अब अगर तुम चली गईं… तो मैं फिर वही बन जाऊंगा जो पहले था — एक खाली खोल।”




---

कहानी का मोड़

अब एक नया डर दोनों के दिल में था —
क्या दूसरा भी वही महसूस करता है? या यह एकतरफा है?

फिर आया साल का आखिरी दिन।
डायवोर्स के पेपर तैयार थे। वकील बुलाया गया।

अनन्या ने काँपते हाथों से पेपर उठाए… साइन करने ही वाली थी, कि अर्जुन ने पेपर खींच लिए।

> “नहीं चाहिए ये साइन।
अब मैं तुम्हें कांट्रैक्ट वाइफ नहीं, मेरी ज़िंदगी की वाइफ बनाना चाहता हूँ।”



अनन्या की आँखें भर आईं।

> “तो फिर बोलो अर्जुन…
क्या अब ये रिश्ता बिना पैसे के भी चलेगा?”



> “अब ये रिश्ता सिर्फ दिल से चलेगा…
कागज़ों से नहीं।”




---

एपिलॉग: एक नई शुरुआत

अर्जुन और अनन्या ने दोबारा शादी की —
इस बार बिना कांट्रैक्ट, बिना शर्त।

अब उनका रिश्ता एक मिसाल बन चुका था।
दो लोग जो एक सौदे के तहत मिले,
प्यार की सबसे खूबसूरत मिसाल बन गए।


---

🌟 सीख:

रिश्ते अगर दिल से निभाए जाएँ, तो कागज़ों की कोई औकात नहीं होती।📝 My Contract Wife

✍️ लेखक: राजु कुमार चौधरी शैली में

"जिस प्यार की शुरुआत कागज़ से होती है, उसका अंजाम दिल तक पहुँच ही जाता है..."


---

प्रस्तावना

अर्जुन एक सफल बिजनेस मैन है — शांत, गंभीर और भावनाओं से दूर। उसका जीवन एकदम अनुशासित है, लेकिन भीतर एक वीरानगी है जिसे कोई समझ नहीं पाता। दूसरी ओर है अनन्या — चुलबुली, तेज़-तर्रार और ज़िंदगी को अपने अंदाज़ में जीने वाली लड़की। दोनों की दुनिया एक-दूसरे से बिल्कुल अलग। पर ज़िंदगी को किसे कब कहाँ ले जाए, ये किसी को नहीं पता।


---

कहानी शुरू होती है…

अर्जुन की माँ कैंसर की अंतिम स्टेज में थी। उनका एक ही सपना था – बेटे की शादी देखना। लेकिन अर्जुन शादी जैसे रिश्ते को वक़्त की बर्बादी मानता था। “माँ के लिए कर लूंगा, पर प्यार-व्यार मेरे बस का नहीं…” – यही सोच थी उसकी।

अनन्या की ज़िंदगी में तूफ़ान आया था। पिता का बिजनेस डूब चुका था, और ऊपर से कर्ज़दारों का दबाव। उसे पैसों की सख्त ज़रूरत थी।

एक कॉमन जान-पहचान के जरिए अर्जुन और अनन्या की मुलाकात होती है। अर्जुन ने सीधे प्रस्ताव रखा —

> “मुझसे एक साल के लिए शादी करोगी? सिर्फ नाम की शादी। माँ की वजह से। बदले में तुम्हें हर महीने 2 लाख रुपए मिलेंगे।”



अनन्या पहले तो चौंकी। फिर सोचा – “इससे बेहतर सौदा क्या होगा?”
शर्तें साफ थीं:

एक साल का कांट्रैक्ट

कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं

मीडिया, रिश्तेदारों से दूरी

माँ के सामने अच्छे पति-पत्नी का नाटक


अनन्या मान गई।


---

शादी… और उसका नाटक

शादी हुई। माँ की आँखों में खुशी के आँसू थे। अर्जुन और अनन्या ने ‘मियाँ-बीवी’ का रोल बड़ी सच्चाई से निभाया।

लेकिन रोज़मर्रा की जिंदगी ने अजीब मोड़ ले लिया।

अनन्या धीरे-धीरे अर्जुन की आदत बन गई — उसकी चाय का अंदाज़, उसकी बातें, उसके ताने… सब कुछ।
उधर अनन्या को भी एहसास हुआ कि अर्जुन उतना बेरुखा नहीं है जितना दिखता है।

वो अक्सर आधी रात को उठकर उसकी माँ की दवा देता।
पैसों के पीछे भागने वाला इंसान माँ के लिए पूजा करता दिखता।
अनन्या का दिल धड़क उठा।


---

कांट्रैक्ट के परे की दुनिया

एक दिन, माँ ने अर्जुन से कहा —

> “बेटा, ये लड़की हमारे घर की लक्ष्मी है। तूने इसे दिल से अपनाया या सिर्फ कांट्रैक्ट से?”



अर्जुन चुप रहा। पर मन में हलचल थी।
कांट्रैक्ट के 8 महीने बीत चुके थे। अब दिल और दिमाग के बीच की लड़ाई तेज़ हो चुकी थी।

एक रात अर्जुन ने पूछा —

> “अगर ये कांट्रैक्ट न होता… तब भी तुम मुझसे शादी करती?”



अनन्या ने पलटकर जवाब दिया —

> “अगर तुम्हारा दिल न होता, तो कांट्रैक्ट भी न होता…”




---

टूटता समझौता, जुड़ते दिल

एक दिन माँ का निधन हो गया। अंतिम संस्कार में पूरे गाँव ने देखा — अर्जुन ने पहली बार किसी के सामने रोया। अनन्या ने उसे बाँहों में भर लिया।

अब शादी का कारण जा चुका था।
कांट्रैक्ट पूरा हो चुका था।
एक साल बाद, अनन्या ने सूटकेस उठाया।

> “मैं जा रही हूँ… तुम्हारा कांट्रैक्ट पूरा हुआ…”



पर अर्जुन ने रास्ता रोक लिया।

> “अब मैं एक और कॉन्ट्रैक्ट चाहता हूँ…
इस बार बिना तारीख के, बिना शर्त के…
शादी नहीं — प्यार वाला रिश्ता… हमेशा का…”



अनन्या की आँखों से आँसू झरने लगे। वो मुस्कुराई।

> “अब तो पैसे भी नहीं लोगे?”



> “अब तो दिल दाँव पर है… क्या तुम लोगी?”



अनन्या ने उसका हाथ थाम लिया।


---

एपिलॉग

अब अर्जुन और अनन्या एक-दूसरे के लिए जीते हैं। बिजनेस पार्टनर, लाइफ पार्टनर, और दिल के साथी बन चुके हैं।

"कभी-कभी सबसे गहरे रिश्ते वहीं से शुरू होते हैं जहाँ दिल और दस्तखत दोनों मिलते हैं।"


---

🌟 सीख:

रिश्ते जब दिल से निभाए जाएँ, तो कांट्रैक्ट भी इश्क़ बन जाता है।भाग ३३: “विवेक की जीत – प्यार की नई राह”

विवेक और उसकी पत्नी ने फैसला किया कि वे एक-दूसरे के लिए समय देंगे।
छोटे-छोटे पल जोड़ेंगे, जो प्यार के बड़े पुल बनेंगे।


---

परिवार की सोच में बदलाव

विवेक के परिजन भी धीरे-धीरे मानने लगे कि रिश्ता सिर्फ नाम का नहीं, भावना का होता है।

एक दिन मम्मी ने कहा —

> “मैंने देखा है तुम्हारे चेहरे की खुशी।
शायद प्यार वक्त मांगता है, लेकिन आता जरूर है।”




---

आरुषि और अर्जुन का आशीर्वाद

आरुषि ने कहा —

> “प्यार की असली ताकत तब आती है जब हम धैर्य और समझदारी से काम लें।”



अर्जुन ने जोड़ा —

> “और जब दो लोग सच में चाहते हैं, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।”




---

दोनों के बीच बढ़ता रिश्ता

विवेक और उसकी पत्नी ने साथ में छुट्टियां बिताईं, छोटे-छोटे गिफ्ट दिए, और एक-दूसरे की पसंद-नापसंद समझी।

हर दिन उनका रिश्ता थोड़ा और गहरा होता गया।


---

🌟 जारी रहेगा…

💡 सीख:

> प्यार के लिए धैर्य और समझना सबसे बड़ा मंत्र है।



अब बताओ…
क्या आप देखना चाहते हैं कि विवेक की कहानी कैसे आगे बढ़ेगी?
क्या उनके बीच के रिश्ते में और मजबूती आएगी?
और क्या अर्जुन-आरुषि इस सफर में उनकी मदद करेंगे

rajukumarchaudhary502010