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New bites

क्या हो अगर जिस दिन आपकी शादी हो उसे दिन आपको पता चले कि आप दो बच्चे की maa हो?
आरोही अपने प्यार तरुण से शादी करने वाली थी पर उसे दिन, उसे पता चलता है कि वह दो बच्चों की मां है और यह बच्चे कोई और नहीं शिवाय कपाड़िया के है ......जो उसका कॉलेज फ्रेंड था।
तो अब इस हालत में क्या करेगी आरोही क्या टूट जाएगा तरुण और आरोही का रिश्त? या
उनका रिश्ता इस शिवाय नाम के तूफान का मिलकर सामना करेगा।
क्या आरोही अपना पाएगी उन दो बच्चों को या कर बैठेगी अपने ही बच्चों से नफरत।
जानने के लिए पड़ी है, मेरी कहानी" बंधन उलझे रिश्तों का"।




yah question ladkiyon ke liye kya karoge aap आरोही ki jagah hoti to?
wait guys! aapke liye bhi question hai kya karoge aap ,agar Tarun ki jagah ho to Aarohi ko chhodkar chale jaaoge ya uska Sath nibhaoge.

mayahanchate855175

( Poetry with Marathi & Eng words)
By Fazal Esaf



I kept my दुखं folded in an old diary,
tucked between pages no one reads anymore.
Your name — it still trembles in my throat,
जणू उच्चारलं तर सगळं पुन्हा तुटून पडेल.

I once tried to forget you in busy streets and कामाच्या गर्दीत,
but your silence followed like a shadow,
soft… cruel… familiar.
People said, “पुरुष मजबूत असतो,”
but how do I explain the storm inside that breaks without sound?

At night, I sit with शब्द,
not to write, but to bleed.
My poems don’t ask for readers anymore —
they just sit beside me like सावत्र मित्र,
reminding me you were once real.

I never burned memories;
I let them grow — like wildflowers on abandoned soil.
Now, even the wind carries your voice,
हळुवार... पण असह्य.

Let me vanish in verses no one recites,
a man who once loved, fully and softly,
आणि हरवला, शब्दांमध्येच.

fazalesaf2973

हसतमुखे हे शेतकरी दाम्पत्य जणू मातीच्या कुशीत फुललेलं सोनं आहे. तिच्या डोळ्यांत घराचा उजेड तर त्याच्या हाती श्रमाचा गंध आहे. त्यांची प्रेमभरी हसरी नजर आभाळालाही लाजवेल अशी आहे. कधी शब्द न वापरता ते एकमेकांशी संवाद साधतात, हीच त्यांच्या सहजीवनाची खरी ओळख आहे. जीवनाच्या धूपछायांमध्येही त्यांच्या हास्याचं ऊन कधीच मावळत नाही.

fazalesaf2973

gautam0218

gautam0218

gautam0218

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कमाल की है ये दुनिया जनाब…
कभी नज़रों से तौलती है,
तो कभी ज़ुबान से बोलती है —
आपके हुनर की ख़ूबियाँ भी, और कमियाँ भी।
✍️ धीरेंद्र सिंह बिष्ट, लेखक – “बर्फ के पीछे कोई था”

📖 अब उपलब्ध है – Amazon, Flipkart और Notion Press पर।
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👉 पढ़िए एक ऐसी कहानी, जो कहती है — “जब कहानियाँ चुप होती हैं, तो पत्थर बोलते हैं…”

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dhirendra342gmailcom

દિલમાં દિલ મળે તો ખબર પડે  કે લાગણીઓ પસરાઈ રહી છે.

આંખમાં આંખ મળે તો ખબર પડે વેદના છલકાઈ રહી છે.

હાથમાં હાથ પરોવીએ તો ખબર પડે પ્રેમની અભિવ્યક્તિ થયી રહી છે.

બે મીઠી પ્રેમની વાત કરીએ તો ખબર પડે બંને બાજુ સરખી જ્યોત પ્રગટી રહી છે.

prajapatibhanuben1970gmail.com165106

"Unka dimple sirf ek muskaan nahi...
Woh ek chaand hai jo andheron mein bhi roshni deta hai.
Woh RM hain — jinmein tahzeeb bhi hai,
charm bhi aur ek sukoon bhara andaaz bhi."

Good evening BTSarmy 💜💜❤️❤️

inkimagination

लोक कथा: "सच्चाई की ताकत"

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था। वह गरीब था लेकिन दिल से बहुत ईमानदार और मेहनती। उसकी ज़मीन छोटी थी, पर वह हर दिन कड़ी मेहनत करता था, अपने परिवार के लिए।

एक दिन उसने खेत में हल चला रहा था, तो हल की नोक कहीं फंस गई। जब वह उसे निकालने गया, तो उसे ज़मीन के नीचे से एक बड़ा संदूक मिला। संदूक में सोने-चांदी के आभूषण और धन-दौलत भरी हुई थी।

किसान ने सोचा, "इतनी दौलत पाकर मैं तो अमीर हो जाऊंगा! पर अगर मैं इसे छुपा लूँ तो मेरे गाँव वाले क्या कहेंगे?" उसने तुरंत फैसला किया कि वह गाँव के मुखिया के पास जाकर यह ख़ज़ाना सौंप देगा।

गाँव के मुखिया ने धन को देखकर कहा, "यह खजाना तो राजा का है, इसे तुरंत राजमहल भेजो।" किसान ने पूरी ईमानदारी से खजाना राजा तक पहुंचाया।

राजा बहुत खुश हुआ और उसने किसान को बहुत इनाम दिया। उसने कहा, "तुम्हारी ईमानदारी ने तुम्हें अमीर तो बनाया ही, साथ ही तुम्हारा नाम भी हमारे राज्य में अमर कर दिया।"

सीख:

ईमानदारी और सच्चाई की कोई कीमत नहीं होती, वह इंसान को असली दौलत देती है। दौलत जो चोरी या छल से मिले, वह कभी टिकती नहीं। असली सफलता तो वही है जो सही रास्ते से मिले।https://www.amazon.in/dp/1612681131?tag=rajukumar-21

rajukumarchaudhary502010

लोक कथा: "सच्चाई की ताकत"

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था। वह गरीब था लेकिन दिल से बहुत ईमानदार और मेहनती। उसकी ज़मीन छोटी थी, पर वह हर दिन कड़ी मेहनत करता था, अपने परिवार के लिए।

एक दिन उसने खेत में हल चला रहा था, तो हल की नोक कहीं फंस गई। जब वह उसे निकालने गया, तो उसे ज़मीन के नीचे से एक बड़ा संदूक मिला। संदूक में सोने-चांदी के आभूषण और धन-दौलत भरी हुई थी।

किसान ने सोचा, "इतनी दौलत पाकर मैं तो अमीर हो जाऊंगा! पर अगर मैं इसे छुपा लूँ तो मेरे गाँव वाले क्या कहेंगे?" उसने तुरंत फैसला किया कि वह गाँव के मुखिया के पास जाकर यह ख़ज़ाना सौंप देगा।

गाँव के मुखिया ने धन को देखकर कहा, "यह खजाना तो राजा का है, इसे तुरंत राजमहल भेजो।" किसान ने पूरी ईमानदारी से खजाना राजा तक पहुंचाया।

राजा बहुत खुश हुआ और उसने किसान को बहुत इनाम दिया। उसने कहा, "तुम्हारी ईमानदारी ने तुम्हें अमीर तो बनाया ही, साथ ही तुम्हारा नाम भी हमारे राज्य में अमर कर दिया।"

सीख:

ईमानदारी और सच्चाई की कोई कीमत नहीं होती, वह इंसान को असली दौलत देती है। दौलत जो चोरी या छल से मिले, वह कभी टिकती नहीं। असली सफलता तो वही है जो सही रास्ते से मिले।https://www.amazon.in/dp/1612681131?tag=rajukumar-21

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लोक कथा: "सच्चाई की ताकत"

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था। वह गरीब था लेकिन दिल से बहुत ईमानदार और मेहनती। उसकी ज़मीन छोटी थी, पर वह हर दिन कड़ी मेहनत करता था, अपने परिवार के लिए।

एक दिन उसने खेत में हल चला रहा था, तो हल की नोक कहीं फंस गई। जब वह उसे निकालने गया, तो उसे ज़मीन के नीचे से एक बड़ा संदूक मिला। संदूक में सोने-चांदी के आभूषण और धन-दौलत भरी हुई थी।

किसान ने सोचा, "इतनी दौलत पाकर मैं तो अमीर हो जाऊंगा! पर अगर मैं इसे छुपा लूँ तो मेरे गाँव वाले क्या कहेंगे?" उसने तुरंत फैसला किया कि वह गाँव के मुखिया के पास जाकर यह ख़ज़ाना सौंप देगा।

गाँव के मुखिया ने धन को देखकर कहा, "यह खजाना तो राजा का है, इसे तुरंत राजमहल भेजो।" किसान ने पूरी ईमानदारी से खजाना राजा तक पहुंचाया।

राजा बहुत खुश हुआ और उसने किसान को बहुत इनाम दिया। उसने कहा, "तुम्हारी ईमानदारी ने तुम्हें अमीर तो बनाया ही, साथ ही तुम्हारा नाम भी हमारे राज्य में अमर कर दिया।"

सीख:

ईमानदारी और सच्चाई की कोई कीमत नहीं होती, वह इंसान को असली दौलत देती है। दौलत जो चोरी या छल से मिले, वह कभी टिकती नहीं। असली सफलता तो वही है जो सही रास्ते से मिले।https://www.amazon.in/dp/1612681131?tag=rajukumar-21

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लोक कथा: "सच्चाई की ताकत"

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था। वह गरीब था लेकिन दिल से बहुत ईमानदार और मेहनती। उसकी ज़मीन छोटी थी, पर वह हर दिन कड़ी मेहनत करता था, अपने परिवार के लिए।

एक दिन उसने खेत में हल चला रहा था, तो हल की नोक कहीं फंस गई। जब वह उसे निकालने गया, तो उसे ज़मीन के नीचे से एक बड़ा संदूक मिला। संदूक में सोने-चांदी के आभूषण और धन-दौलत भरी हुई थी।

किसान ने सोचा, "इतनी दौलत पाकर मैं तो अमीर हो जाऊंगा! पर अगर मैं इसे छुपा लूँ तो मेरे गाँव वाले क्या कहेंगे?" उसने तुरंत फैसला किया कि वह गाँव के मुखिया के पास जाकर यह ख़ज़ाना सौंप देगा।

गाँव के मुखिया ने धन को देखकर कहा, "यह खजाना तो राजा का है, इसे तुरंत राजमहल भेजो।" किसान ने पूरी ईमानदारी से खजाना राजा तक पहुंचाया।

राजा बहुत खुश हुआ और उसने किसान को बहुत इनाम दिया। उसने कहा, "तुम्हारी ईमानदारी ने तुम्हें अमीर तो बनाया ही, साथ ही तुम्हारा नाम भी हमारे राज्य में अमर कर दिया।"

सीख:

ईमानदारी और सच्चाई की कोई कीमत नहीं होती, वह इंसान को असली दौलत देती है। दौलत जो चोरी या छल से मिले, वह कभी टिकती नहीं। असली सफलता तो वही है जो सही रास्ते से मिले।https://gigl.page.link/ZySKZrCuoWCzEHjx8https://www.amazon.in/dp/1612681131?tag=rajukumar-21

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लोक कथा: "सच्चाई की ताकत"

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था। वह गरीब था लेकिन दिल से बहुत ईमानदार और मेहनती। उसकी ज़मीन छोटी थी, पर वह हर दिन कड़ी मेहनत करता था, अपने परिवार के लिए।

एक दिन उसने खेत में हल चला रहा था, तो हल की नोक कहीं फंस गई। जब वह उसे निकालने गया, तो उसे ज़मीन के नीचे से एक बड़ा संदूक मिला। संदूक में सोने-चांदी के आभूषण और धन-दौलत भरी हुई थी।

किसान ने सोचा, "इतनी दौलत पाकर मैं तो अमीर हो जाऊंगा! पर अगर मैं इसे छुपा लूँ तो मेरे गाँव वाले क्या कहेंगे?" उसने तुरंत फैसला किया कि वह गाँव के मुखिया के पास जाकर यह ख़ज़ाना सौंप देगा।

गाँव के मुखिया ने धन को देखकर कहा, "यह खजाना तो राजा का है, इसे तुरंत राजमहल भेजो।" किसान ने पूरी ईमानदारी से खजाना राजा तक पहुंचाया।

राजा बहुत खुश हुआ और उसने किसान को बहुत इनाम दिया। उसने कहा, "तुम्हारी ईमानदारी ने तुम्हें अमीर तो बनाया ही, साथ ही तुम्हारा नाम भी हमारे राज्य में अमर कर दिया।"

सीख:

ईमानदारी और सच्चाई की कोई कीमत नहीं होती, वह इंसान को असली दौलत देती है। दौलत जो चोरी या छल से मिले, वह कभी टिकती नहीं। असली सफलता तो वही है जो सही रास्ते से मिले।कभी-कभी ज़िंदगी हमें इतना तोड़ देती है…
कि इंसान को खुद पर भी शक होने लगता है।
लेकिन वही ज़िंदगी हमें वो मोड़ भी देती है…
जहाँ से उड़ान शुरू होती है।

ये कहानी है आदित्य की…
एक ऐसे लड़के की जिसने ज़मीन से आसमान तक का सफर तय किया –
लेकिन बिना शॉर्टकट, बिना किसी चमत्कार के।
सिर्फ अपने हौसले, मेहनत और विश्वास के दम पर।

आदित्य सिंह – बिहार के एक छोटे गाँव का लड़का।
पिता खेती करते थे, माँ गृहिणी थीं।
घर में टीवी नहीं था, मोबाइल नहीं था…
बस था तो एक सपना – IAS बनना।

जब वो अपनी माँ से कहता, "मैं अफसर बनूंगा…"
तो माँ मुस्कुरा देतीं… और कहतीं,
"तू कुछ भी कर सकता है, बेटा… तू मेरा शेर है।"

गाँव वाले हँसते थे, दोस्त मज़ाक उड़ाते –
"तू IAS?"
लेकिन आदित्य के कानों में सिर्फ माँ की बात गूंजती –
"तू कर सकता है…"

12वीं के बाद उसने ग्रेजुएशन किया – गाँव में रहकर ही।
कोचिंग नहीं थी… YouTube पर फ्री लेक्चर देखे।
गाँव के छोटे पुस्तकालय में बैठकर घंटों नोट्स बनाता।

पहली बार परीक्षा दी… और फेल हो गया।
रात को खूब रोया… अकेले… माँ के सामने नहीं।
पर सुबह उठते ही… फिर से किताबों में झुक गया।

दूसरी बार… फिर असफल।
तीसरी बार… सिर्फ दो नंबर से चूक गया।
सबसे बड़ा झटका था।

लोग बोले – “अब छोड़ दे।”
पर आदित्य ने कहा –
"आखिरी बार सही… लेकिन इस बार जान लगा दूंगा।"

सुबह 5 बजे उठना… 14 घंटे पढ़ाई…
सोशल मीडिया बंद… दुनिया से दूरी…
सिर्फ किताबें, चाय, और सपना।

चौथी बार परीक्षा दी…
हर पेपर में आत्मविश्वास था।

रिज़ल्ट आया…
दोस्त ने फोन कर कहा – "भाई… तू टॉप 50 में है!"
वो चुप रहा…
फिर माँ की गोद में सिर रखकर… फूट-फूट कर रो पड़ा।
आज उसका सपना… सच था।

गाँव में ढोल बजे…
जिसे लोग ‘बेकार’ कहते थे… अब उसे ‘साहब’ कहा जाने लगा।
माँ की आँखें नम थीं… लेकिन मुस्कान थी।

अब वही लोग इंटरव्यू लेने आए…
जो कभी कहते थे – "तेरे बस का नहीं।"

ज़िंदगी में गिरना ज़रूरी है…
क्योंकि तभी तो उड़ने का हौसला पैदा होता है।

अगर आदित्य… उस छोटे गाँव का लड़का…
बिना साधन, बिना कोचिंग…
देश का अफसर बन सकता है –
तो आप क्यों नहीं?

"हार सकते हो… लेकिन हार मानना मत।"

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आपका एक Like…
एक नए आदित्य को हिम्मत दे सकता हैhttps://gigl.page.link/ZySKZrCuoWCzEHjxhttps://www.amazon.in/dp/1612681131?tag=rajukumar-2https://www.amazon.in/dp/1612681131?tag=rajukumar-2

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लोक कथा: "सच्चाई की ताकत"

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था। वह गरीब था लेकिन दिल से बहुत ईमानदार और मेहनती। उसकी ज़मीन छोटी थी, पर वह हर दिन कड़ी मेहनत करता था, अपने परिवार के लिए।

एक दिन उसने खेत में हल चला रहा था, तो हल की नोक कहीं फंस गई। जब वह उसे निकालने गया, तो उसे ज़मीन के नीचे से एक बड़ा संदूक मिला। संदूक में सोने-चांदी के आभूषण और धन-दौलत भरी हुई थी।

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गाँव के मुखिया ने धन को देखकर कहा, "यह खजाना तो राजा का है, इसे तुरंत राजमहल भेजो।" किसान ने पूरी ईमानदारी से खजाना राजा तक पहुंचाया।

राजा बहुत खुश हुआ और उसने किसान को बहुत इनाम दिया। उसने कहा, "तुम्हारी ईमानदारी ने तुम्हें अमीर तो बनाया ही, साथ ही तुम्हारा नाम भी हमारे राज्य में अमर कर दिया।"

सीख:

ईमानदारी और सच्चाई की कोई कीमत नहीं होती, वह इंसान को असली दौलत देती है। दौलत जो चोरी या छल से मिले, वह कभी टिकती नहीं। असली सफलता तो वही है जो सही रास्ते से मिले।https://www.amazon.in/dp/1612681131?tag=rajukumar-21

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बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था। वह गरीब था लेकिन दिल से बहुत ईमानदार और मेहनती। उसकी ज़मीन छोटी थी, पर वह हर दिन कड़ी मेहनत करता था, अपने परिवार के लिए।

एक दिन उसने खेत में हल चला रहा था, तो हल की नोक कहीं फंस गई। जब वह उसे निकालने गया, तो उसे ज़मीन के नीचे से एक बड़ा संदूक मिला। संदूक में सोने-चांदी के आभूषण और धन-दौलत भरी हुई थी।

किसान ने सोचा, "इतनी दौलत पाकर मैं तो अमीर हो जाऊंगा! पर अगर मैं इसे छुपा लूँ तो मेरे गाँव वाले क्या कहेंगे?" उसने तुरंत फैसला किया कि वह गाँव के मुखिया के पास जाकर यह ख़ज़ाना सौंप देगा।

गाँव के मुखिया ने धन को देखकर कहा, "यह खजाना तो राजा का है, इसे तुरंत राजमहल भेजो।" किसान ने पूरी ईमानदारी से खजाना राजा तक पहुंचाया।

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एक दिन उसने खेत में हल चला रहा था, तो हल की नोक कहीं फंस गई। जब वह उसे निकालने गया, तो उसे ज़मीन के नीचे से एक बड़ा संदूक मिला। संदूक में सोने-चांदी के आभूषण और धन-दौलत भरी हुई थी।

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बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था। वह गरीब था लेकिन दिल से बहुत ईमानदार और मेहनती। उसकी ज़मीन छोटी थी, पर वह हर दिन कड़ी मेहनत करता था, अपने परिवार के लिए।

एक दिन उसने खेत में हल चला रहा था, तो हल की नोक कहीं फंस गई। जब वह उसे निकालने गया, तो उसे ज़मीन के नीचे से एक बड़ा संदूक मिला। संदूक में सोने-चांदी के आभूषण और धन-दौलत भरी हुई थी।

किसान ने सोचा, "इतनी दौलत पाकर मैं तो अमीर हो जाऊंगा! पर अगर मैं इसे छुपा लूँ तो मेरे गाँव वाले क्या कहेंगे?" उसने तुरंत फैसला किया कि वह गाँव के मुखिया के पास जाकर यह ख़ज़ाना सौंप देगा।

गाँव के मुखिया ने धन को देखकर कहा, "यह खजाना तो राजा का है, इसे तुरंत राजमहल भेजो।" किसान ने पूरी ईमानदारी से खजाना राजा तक पहुंचाया।

राजा बहुत खुश हुआ और उसने किसान को बहुत इनाम दिया। उसने कहा, "तुम्हारी ईमानदारी ने तुम्हें अमीर तो बनाया ही, साथ ही तुम्हारा नाम भी हमारे राज्य में अमर कर दिया।"

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एक दिन उसने खेत में हल चला रहा था, तो हल की नोक कहीं फंस गई। जब वह उसे निकालने गया, तो उसे ज़मीन के नीचे से एक बड़ा संदूक मिला। संदूक में सोने-चांदी के आभूषण और धन-दौलत भरी हुई थी।

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एक दिन उसने खेत में हल चला रहा था, तो हल की नोक कहीं फंस गई। जब वह उसे निकालने गया, तो उसे ज़मीन के नीचे से एक बड़ा संदूक मिला। संदूक में सोने-चांदी के आभूषण और धन-दौलत भरी हुई थी।

किसान ने सोचा, "इतनी दौलत पाकर मैं तो अमीर हो जाऊंगा! पर अगर मैं इसे छुपा लूँ तो मेरे गाँव वाले क्या कहेंगे?" उसने तुरंत फैसला किया कि वह गाँव के मुखिया के पास जाकर यह ख़ज़ाना सौंप देगा।

गाँव के मुखिया ने धन को देखकर कहा, "यह खजाना तो राजा का है, इसे तुरंत राजमहल भेजो।" किसान ने पूरी ईमानदारी से खजाना राजा तक पहुंचाया।

राजा बहुत खुश हुआ और उसने किसान को बहुत इनाम दिया। उसने कहा, "तुम्हारी ईमानदारी ने तुम्हें अमीर तो बनाया ही, साथ ही तुम्हारा नाम भी हमारे राज्य में अमर कर दिया।"

सीख:

ईमानदारी और सच्चाई की कोई कीमत नहीं होती, वह इंसान को असली दौलत देती है। दौलत जो चोरी या छल से मिले, वह कभी टिकती नहीं। असली सफलता तो वही है जो सही रास्ते से मिले।

rajukumarchaudhary502010

*Tadap*
Kabhi mehsoos kare koi mera tadapana,
Samjhe woh nadan, dard ka raaz.

Jahan dil bhool gaya raasta,
Wahan roshni bhi chhup gayi.

Chuppi teri, waqt ka zehar,
Mere chehre se ujala cheen liya.

Phir bhi jagi hai chahat,
Pal-pal tu tha mere saath.

Mehboob tha, par chala gaya,
Main raha gehra, bedard aur akela |
_Mohiniwrites

neelamshah6821