रूह से रूह तक

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यह कहानी पूरी तरह से एक काल्पनिक रचना है, जिसका किसी भी जाति, धर्म, समुदाय या किसी वास्तविक घटना से कोई संबंध नहीं है। यह केवल मेरे मनोभावों और कल्पनाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना या किसी भी प्रकार का विवाद उत्पन्न करना नहीं है। यदि लिखते समय मुझसे कोई त्रुटि हुई हो, कोई शब्द या प्रसंग अनुचित लगा हो, तो कृपया इसे अनजाने में हुई भूल समझकर क्षमा करें। आपके विचारों और भावनाओं का मैं पूर्ण सम्मान करता हूँ।

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रूह से रूह तक - चैप्टर 1

यह कहानी पूरी तरह से एक काल्पनिक रचना है, जिसका किसी भी जाति, धर्म, समुदाय या किसी वास्तविक घटना कोई संबंध नहीं है। यह केवल मेरे मनोभावों और कल्पनाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना या किसी भी प्रकार का विवाद उत्पन्न करना नहीं है। यदि लिखते समय मुझसे कोई त्रुटि हुई हो, कोई शब्द या प्रसंग अनुचित लगा हो, तो कृपया इसे अनजाने में हुई भूल समझकर क्षमा करें। आपके विचारों और भावनाओं का मैं पूर्ण सम्मान करता हूँ।बनारस के एक पॉश इलाके में स्थित भव्य हवेली में सुबह का शुभारंभ हो ...Read More

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रूह से रूह तक - चैप्टर 2

अर्निका के सभी ने नाश्ता खत्म करने के बाद सभी हॉल में आकर बैठ गए।तभी दादाजी ने अर्चना से का कोई कॉल आया? उसकी बिजनेस ट्रिप कब खत्म होगी?"अर्चना ने जवाब दिया,"हाँ, कल बात हुई थी। अभी उसका काम पूरा नहीं हुआ, इसलिए उसे लौटने में थोड़ा समय लगेगा।"दादाजी ने सिर हिलाते हुए कहा,"ठीक है, उम्मीद है वह जल्द आ जाएगा।"फिर उन्होंने अपनी लाडली पोती अर्निका की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोले,"बेटा, मुझे पता है कि बचपन से तेरा सपना एक अच्छी डॉक्टर बनने का था, और अब तू उसे पूरा करने के लिए जा रही है। लेकिन ...Read More