Rooh se Rooh tak - 7 in Hindi Love Stories by IMoni books and stories PDF | रूह से रूह तक - चैप्टर 7

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रूह से रूह तक - चैप्टर 7

जैसे ही घायल लड़का बेहोश हुआ, उसका भाई घबरा गया।

"भाई! प्लीज! आंखें खोलो!" वह उसे हिलाने लगा, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

अर्निका ने उसकी नब्ज जांची और चिंतित स्वर में कहा, "इसकी हालत बिगड़ रही है, हमें इसे तुरंत अस्पताल ले जाना होगा!"

इनाया ने फोन निकालकर एंबुलेंस बुलाने की कोशिश की, लेकिन नेटवर्क नहीं था।

सान्या ने तुरंत पानी की कुछ बूंदें उसके चेहरे पर छिड़की, मगर कोई असर नहीं हुआ।

इनाया ने गंभीर स्वर में कहा, "मुझे लगता है कि गोली लगने से इसकी बॉडी में जहर फैल रहा है।"

अर्निका ने उसकी धीमी होती सांसें देखी और जल्दी से बोली, "हमें CPR देना होगा!" वह घायल लड़के को सीधा लिटाकर उसकी छाती को दबाने लगी, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।

इनाया ने सुझाया, "तुझे इसे माउथ-टू-माउथ रेस्क्यू ब्रेथ देनी होगी, शायद इससे यह होश में आ जाए।"

अर्निका ने उसे अजीब नजरों से देखा और झिझकते हुए कहा, "ये काम तू कर, मैं नहीं कर सकती!"

इनाया ने हाथ जोड़ते हुए कहा, "मुझे मत देख, तुझे ही इनकी मदद करनी थी, तो अब पूरी कर!" वह दूर हटकर खड़ी हो गई और चिल्लाकर बोली, "जो करना है जल्दी कर, हमारे पास ज्यादा समय नहीं है!"

सान्या ने गंभीरता से कहा, "तू बनने वाली डॉक्टर है, इसे अपने पहले मरीज की तरह देख। अगर मुझे आता, तो मैं कर देती, लेकिन मुझे नहीं आता!"

बहन की बात सुनकर अर्निका ने गहरी सांस ली और हिम्मत जुटाई। उसने माउथ-टू-माउथ रेस्क्यू ब्रेथ देना शुरू किया।

पास खड़ा घायल लड़के का भाई गुस्से से इनाया को घूरने लगा, लेकिन कुछ सोचकर चुप रह गया।

अर्निका ने तीन-चार बार कोशिश की, मगर कोई असर नहीं हुआ। उसने सोचा कि आखिरी बार ट्राई करना चाहिए।

जैसे ही उसने एक और बार सांस दी, घायल लड़के ने हल्की करवट ली, उसकी पलकें धीरे-धीरे खुलीं।

उसे महसूस हुआ कि कोई उसके चेहरे के बहुत करीब था… और कुछ पल पहले, एक हल्की गर्माहट उसके होंठों को छूकर गुजरी थी।


उसकी सांसें भारी थीं, दर्द से कराहते हुए उसने धीमी आवाज़ में पूछा, "कौन...?"

अर्निका ने राहत की सांस ली और अपने रुमाल से उसका माथा पोंछते हुए कहा, "थैंक गॉड, तुम होश में आ गए!"

पीछे खड़े उसके भाई ने चिंतित होकर पूछा, "भाई! तुम ठीक तो हो?"

घायल लड़के ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "मैं ठीक हूं, पागल... चिंता मत कर!"

इनाया, जो अब तक दूर खड़ी सब देख रही थी, झुंझलाकर बोली, "चलो, अब यह ड्रामा खत्म हुआ, तो क्या हम यहां से निकल सकते हैं?"

यह सुनकर घायल लड़के का भाई गुस्से से इनाया की तरफ देखने लगा, लेकिन अर्निका ने माहौल संभालते हुए कहा, "उसका मतलब ऐसा नहीं था, हम बस तुम्हें जल्दी अस्पताल पहुंचाना चाहते हैं।"

अर्निका और घायल लड़के का भाई उसे सहारा देकर कार की तरफ ले जाने लगे।

जैसे ही अर्निका उसके करीब आई, घायल लड़के की नज़रें उस पर टिक गईं। खासकर जब उसे एहसास हुआ कि यही लड़की थी जिसने उसे बचाने के लिए अपने मुंह से सांस दी थी। उसके लिए यह पहली बार था—आज तक किसी लड़की ने उसे इस तरह छुआ तक नहीं था, और अर्निका वो पहली लड़की थी जिसने अनजाने में ही सही, उसके होठों को छुआ था।

सान्या ने कार का दरवाजा खोलते हुए कहा, "जल्दी अंदर बैठो, हमें यहां से निकलना होगा!"

अर्निका उसे कार में बैठाने ही वाली थी कि तभी तीन-चार वैन तेज़ी से वहां आकर रुकीं। दरवाजे खुलते ही उनमें से कई गुंडे बाहर निकले।

सबकी निगाहें उन पर टिक गईं।

जैसे ही गुंडों ने देखा कि दोनों लड़के जिंदा हैं, उनके लीडर ने आगे बढ़कर कुटिल हंसी के साथ कहा, "तो तुम दोनों अभी भी जिंदा हो? हमने नहीं सोचा था कि तुम बच जाओगे, लेकिन अब... अब तुम नहीं बच पाओगे!"

सान्या घबरा गई और धीरे से बोली, "ये लोग कौन हैं? और यहां क्या कर रहे हैं?"

इनाया ने गंभीर स्वर में कहा, "मैंने पहले ही कहा था, यह कोई एक्सीडेंट नहीं था। किसी ने जानबूझकर इन पर हमला किया था!"


घायल लड़कों में से एक, जो मुश्किल से खड़ा हो पा रहा था, दर्द से कराहते हुए बोला, "तुम तीनों तुरंत यहां से निकल जाओ, हम इनसे निपट लेंगे!"

अर्निका ने उसकी आँखों में देखा और बिना कुछ कहे अपना सिर न में हिला दिया।

गुंडों का लीडर आगे बढ़ा और ठंडी हंसी के साथ बोला, "हमने तुम्हें रास्ते से हटाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन..."

तभी उसकी नज़र तीनों लड़कियों पर पड़ी, और वह व्यंग्यात्मक लहजे में बोला, "क्या बात है! ये परियां तुम्हें बचाने आई हैं? अफसोस, ये तुम्हें बचा नहीं पाएंगी!"

फिर उसने लड़कियों की तरफ देखते हुए कहा, "बेहतर होगा कि तुम तीनों अभी यहां से निकल जाओ और इन्हें हमारे हवाले कर दो। वरना, हालात और बिगड़ जाएंगे!"

सान्या ने घबराकर अर्निका की बांह पकड़ ली और फुसफुसाई, "अब क्या करें?"

इनाया, जो अब तक शांत थी, गहरी सांस लेकर सीधे बोली, "तुम्हें लगता है कि हम इतनी आसानी से यहां से चले जाएंगे?"

लीडर ने उसे घूरते हुए कहा, "तुम लोगों का यहां कोई काम नहीं है, निकल जाओ, वरना—"

उससे पहले कि वह कुछ और कहता, उसके एक गुंडे ने फुसफुसाकर कहा, "भाई, एक काम करते हैं... इन दोनों लड़कों को तो मारना ही है, लेकिन ये लड़कियाँ भी कमाल की हैं! बड़ी खूबसूरत लग रही हैं।"

लीडर ने उसे गुस्से से देखा और कहा, "बस! लड़की देखी नहीं कि अपनी गंदी सोच चालू हो गई?"

फिर वह तीनों लड़कियों की तरफ घूरते हुए बोला, "तुम्हारे पास आखिरी मौका है—अभी के अभी यहां से निकल जाओ, वरना इन दोनों के साथ-साथ तुम्हें भी—"

अर्निका ने उसकी बात बीच में काटते हुए सख्त आवाज़ में कहा, "तुम्हारी इतनी औकात नहीं कि बनारस में हमें हाथ भी लगा सको! हिम्मत है, तो ज़रा कोशिश करके देखो!"



लीडर अर्निका की बात सुनकर थोड़ा चौंका, फिर उसकी आँखों में गुस्से की लपटें उठने लगीं।

"बड़ी तेज़ जबान चलती है तेरी!" वह गुर्राया। "अब देखता हूँ, कितनी हिम्मत है तुम लोगों में!"

उसने इशारा किया, और उसके गुंडे धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे।

"अर्निका, अब क्या करें?" सान्या ने घबराकर फुसफुसाया।

इनाया ने झटके से सान्या को पीछे किया और आगे बढ़ते हुए बोली, "पहले सोच लो, हम इतनी भी कमजोर नहीं हैं जितना तुम समझ रहे हो!"

लीडर हँसते हुए बोला, "ओह, तो तुम लड़कियाँ खुद को बहुत बहादुर समझती हो?"

अर्निका ने ठंडे लहजे में जवाब दिया, "बहादुरी देखी ही कहां है तुम लोगों ने?" फिर उसने इनाया की तरफ देखा और कहा, "तुम दोनों इन्हें संभालो, मैं इन गुंडों को देखती हूँ।"

इनाया ने तुरंत पूछा, "क्या तू अकेले इन्हें संभाल पाएगी? मैं भी तेरे साथ देती हूँ!"

अर्निका हल्की मुस्कान के साथ बोली, "तुझे शक है मुझ पर?"

इनाया ने सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, बस ऐसे ही कहा था।"

यह सब सुन रहे घायल लड़कों में से ज्यादा जख्मी लड़के ने मुश्किल से कहा, "सुनो, ये लोग बहुत खतरनाक हैं। तुम लोग इनसे नहीं लड़ पाओगी। प्लीज़, यहाँ से निकल जाओ! हम ये नहीं सह सकते कि हमारी वजह से तुम्हें कुछ हो जाए!"

दूसरे लड़के ने भी उसका समर्थन किया, "हाँ, तुम लोगों को यहाँ से चले जाना चाहिए।"

अर्निका ने एक पल के लिए उनकी ओर देखा, फिर बिना कुछ कहे इनाया को हल्का सा इशारा किया।

इसके बाद उसने अपनी जैब से एक रुमाल निकाला और अपने चेहरे पर बाँध लिया। फिर उसने अपनी जैकेट की चेन खोली, एक कदम पीछे हटकर मुड़ी और सीधा गुंडों की तरफ देखने लगी।



लीडर ने अर्निका की हरकतें देखकर ताली बजाई और व्यंग्य से मुस्कुराया।

"वाह! हिम्मत तो बहुत है तुम्हारे अंदर! लेकिन यह बहादुरी तुम्हें महंगी पड़ेगी!"

अर्निका ने कोई जवाब नहीं दिया, बस एक नजर इनाया और सान्या की तरफ डाली। वे दोनों समझ गईं कि अब बचने का कोई रास्ता नहीं है—बस लड़ना ही पड़ेगा।

लीडर के इशारे पर तीन गुंडे अर्निका की ओर बढ़े।

पहला गुंडा झपट्टा मारने ही वाला था कि अर्निका फुर्ती से झुकी, उसकी कलाई पकड़कर उसे ज़मीन पर पटक दिया। वह दर्द से कराह उठा।

दूसरा गुंडा गुस्से में तेज़ी से उसकी तरफ लपका, लेकिन अर्निका ने अपनी जैकेट का इस्तेमाल करते हुए उसकी गर्दन जकड़ ली और ज़ोर से धक्का देकर उसे पीछे फेंक दिया।

तीसरा गुंडा भी हमले के लिए बढ़ा, लेकिन अर्निका ने एक झटके में उसे भी ज़मीन पर गिरा दिया।

अर्निका की फुर्ती देखकर घायल लड़के हैरान रह गए। उनमें से एक, जो ज्यादा घायल था, उसकी आँखों में अर्निका को देखकर एक अलग ही चमक आ गई। उसने मन ही मन सोचा, "ये बाकी लड़कियों जैसी नहीं है…"

तभी चौथा गुंडा पीछे से अर्निका पर हमला करने के लिए दौड़ा, लेकिन इनाया ने तुरंत देख लिया और चिल्लाई, "कुकी, पीछे!"

अर्निका ने बिना मुड़े ही एक तेज़ किक मारी, जिससे वह गुंडा हवा में पलटकर ज़मीन पर जा गिरा।



लीडर, जो अब तक तमाशा देख रहा था, गुस्से से बौखला गया। उसने चिल्लाकर अपने आदमियों को अर्निका को घेरने का आदेश दिया।

लीडर की आवाज़ सुनते ही सभी गुंडे अर्निका की ओर घूरने लगे।

सान्या घबराकर बोली, "इनाया, अब क्या होगा?"

इनाया ने आत्मविश्वास से जवाब दिया, "चिंता मत कर, कुकी सब संभाल लेगी!"

यह कहकर उसने कार से एक हॉकी स्टिक निकाली और अर्निका की तरफ उछालते हुए बोली, "कुकी, पकड़ इसे और इन सबकी अच्छी तरह खबर ले!"

अर्निका ने स्टिक पकड़कर गुंडों की तरफ एक शरारती मुस्कान फेंकी और बोली, "तुम लोगों ने बहुत बड़ी गलती कर दी!"

इसके बाद वह तेजी से वार करने लगी। कोई भी गुंडा हमला करने की कोशिश करता, इससे पहले ही अर्निका अपनी फुर्ती से उसे ज़मीन पर गिरा देती। कुछ ही मिनटों में सारे गुंडे दर्द से कराहते हुए ज़मीन पर पड़े थे।

ईनाया और सान्या यह देखकर खुशी से उछल पड़ीं।

"कुकी! बहुत बढ़िया!" ईनाया ने जोश में चिल्लाया।

लीडर यह देखकर और ज्यादा भड़क गया। उसने अपने सबसे ताकतवर आदमी को इशारा किया, "इसे खत्म करो!"

वह गुंडा बाकी सबसे लंबा-चौड़ा था और पूरी ताकत से अर्निका की ओर झपटा।

लेकिन अर्निका शांत रही।

जैसे ही वह पास आया, अर्निका नीचे झुकी और स्टिक से इतनी जोरदार वार किया कि वह आदमी हवा में घूमता हुआ ज़मीन पर गिर पड़ा और वहीं बेहोश हो गया।

यह देखकर लीडर को भी समझ आ गया कि उसने इन लोगों को कमज़ोर समझकर बहुत बड़ी गलती कर दी। उसने गुस्से से अर्निका को घूरते हुए गुर्राया, "तूने बहुत बड़ी गलती कर दी, लड़की! इसका अंजाम तुझे भुगतना पड़ेगा!"

इतना कहकर उसने खुद अर्निका पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन अर्निका पहले से तैयार थी। उसने पूरी ताकत से लीडर के पेट पर एक जोरदार घूंसा मारा, जिससे वह लड़खड़ाकर पीछे हट गया।



"अब भी मौका है, भाग जाओ!" अर्निका ने ठंडे स्वर में कहा।

लीडर ने अपने ज़मीन पर गिरे हुए आदमियों को देखा, फिर दांत पीसते हुए गुर्राया, "इतनी हिम्मत कि तू मुझे भागने को कह रही है? तुझे ज़िंदा नहीं छोड़ूंगा!"

यह कहकर उसने झटके से एक चाकू निकाला और अर्निका पर हमला करने के लिए लपका।

सान्या घबरा गई और चिल्लाई, "कुकी, संभल कर!"

लीडर ने पूरी ताकत से चाकू चलाया, लेकिन अर्निका फुर्ती से एक कदम पीछे हट गई, जिससे वार खाली चला गया।

"इतनी आसानी से नहीं, दोस्त!" अर्निका ने हल्की मुस्कान के साथ कहा।

लीडर गुस्से में फिर झपटा, लेकिन इस बार अर्निका पहले से तैयार थी। जैसे ही उसने हमला किया, अर्निका झुकी और अपनी हॉकी स्टिक से उसकी कलाई पर इतनी ज़ोर से वार किया कि चाकू उसके हाथ से छूटकर दूर जा गिरा।

लीडर दर्द से कराह उठा, लेकिन उसने हार मानने के बजाय घूंसा मारने की कोशिश की।

अर्निका उसकी चाल पहले ही भांप चुकी थी। उसने तेजी से स्टिक घुमाई और लीडर के घुटनों पर इतनी ज़ोरदार मार मारी कि वह दर्द से चीखते हुए ज़मीन पर गिर पड़ा।

"अब तुम्हारा खेल खत्म!" अर्निका ने ठंडे स्वर में कहा और लगातार उस पर वार करने लगी।

लीडर ज़मीन पर तड़प रहा था, लेकिन उसकी आँखों में अभी भी गुस्से की चमक थी। उसने उठने की कोशिश की, लेकिन अर्निका ने उसे कोई मौका नहीं दिया। उसने स्टिक से उसकी पसलियों पर एक और ज़ोरदार वार किया, जिससे वह दर्द से चीख उठा।

"तुझे कितनी बार गिराऊं, समझ नहीं आता?" अर्निका ने सख्त लहजे में कहा।



लीडर ने हांफते हुए अपनी आँखें उठाईं और अपने बचे-खुचे आदमियों की तरफ देखा, जो पहले ही भागने की तैयारी कर रहे थे।

"अब भी मौका है, दुम दबाकर भाग जाओ!" इनाया ने चुनौती भरे लहजे में कहा।

लीडर ने गुस्से से दांत पीसे और लड़खड़ाते हुए अपनी वैन की ओर बढ़ने लगा। "आज के लिए हार मान रहा हूँ, लेकिन अगली बार तुम लोगों को नहीं छोड़ूंगा!" उसने गुस्से में कहा।

उसके आदमी उसे सहारा देकर गाड़ी तक ले गए और जैसे ही उसने दरवाज़े की ओर कदम बढ़ाया, उसने एक बार फिर अर्निका की ओर देखा। उसकी आँखों में क्रोध और बदले की भावना साफ झलक रही थी।

"तुम लोगों ने बहुत बड़ी गलती कर दी है... इसका अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहो!"

अर्निका एक कदम आगे बढ़ी, उसकी आँखों में वही ठंडापन था। "अगर अगली बार हमारे सामने आए, तो भागने का भी मौका नहीं मिलेगा!"

लीडर ने गुस्से से एक आखिरी नज़र डाली, फिर गाड़ी का दरवाजा पटककर अंदर बैठ गया। कुछ ही पलों में उनकी गाड़ी धूल उड़ाते हुए वहां से ओझल हो गई।

सान्या ने लंबी सांस ली और कहा, "यार, ये लोग इतनी आसानी से पीछा छोड़ने वाले नहीं लगते!"

"कोई बात नहीं, हम भी डरने वालों में से नहीं हैं!" अर्निका ने शांत लहजे में कहा और इनाया की ओर देखा। "अब जल्दी से इन्हें अस्पताल ले चलते हैं!"



ईनाया ने सिर हिलाया और सभी कार में बैठ गए। अर्निका ने तुरंत गाड़ी स्टार्ट की और वे तेज़ी से वहां से निकल गए।

जैसे ही कार हाईवे पर दौड़ने लगी, अंदर का माहौल थोड़ा भारी था। दोनों घायल लड़कों के चेहरे पर दर्द साफ झलक रहा था, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे का हाथ थाम रखा था, मानो एक-दूसरे को हिम्मत दे रहे हों।

सान्या बार-बार पीछे मुड़कर देख रही थी, उसे डर था कि कहीं वे गुंडे उनका पीछा न कर रहे हों।

"कुकी, तू ठीक तो है ना?" सान्या ने चिंतित होकर पूछा।

"हाँ, मैं ठीक हूँ," अर्निका ने लंबी सांस लेते हुए जवाब दिया।

ईनाया ने घायल लड़कों की ओर देखा और नरम लहजे में पूछा, "क्या तुम बता सकते हो कि तुम लोगों पर हमला क्यों हुआ? और तुम लोग कहाँ के हो?"

दूसरा लड़का, जो थोड़ा कम घायल था, बोला, "हम... हम बिज़नेस मीटिंग से लौट रहे थे। हमें नहीं पता था कि कोई हमारी जान का दुश्मन बन जाएगा।"

पहला लड़का, जो ज्यादा घायल था, दर्द से कराहते हुए बोला, "वे लोग हमें रास्ते से हटाना चाहते थे... क्योंकि हमने उनकी प्रोजेक्ट फाइल देख ली थी, इसलिए उन्होंने हम पर हमला किया।"

फिर उसने अर्निका की तरफ देखा और धीमी आवाज़ में कहा, "क्या मैं तुम्हारा नाम जान सकता हूँ?"

अर्निका थोड़ा रुकी, फिर जवाब दिया, "मेरा नाम अर्निका त्रिपाठी है।"

लड़के ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "थैंक यू, हमारी मदद करने के लिए। अगर तुम लोग समय पर नहीं आते, तो शायद हम बहुत बड़ी मुसीबत में फँस जाते।"

अर्निका ने सिर हिलाया और बोली, "कोई बात नहीं, लेकिन मुझे लग रहा है कि तुम लोग यहाँ के नहीं हो?"

दूसरे लड़के ने उसकी बात पर हामी भरी, "हाँ, अर्निका जी, आप सही कह रही हैं।"

ईनाया ने उत्सुकता से पूछा, "तो फिर आप लोग हैं कहाँ के?"

लड़का थोड़ी देर तक ईनाया को देखता रहा, फिर अर्निका की ओर मुड़ा और बोला, "हम मुंबई से हैं।"



"मुंबई?" सान्या ने हैरानी से दोहराया। "मतलब, तुम लोग यहाँ बनारस में क्या कर रहे थे?"

दूसरे लड़के ने थोड़े गुस्से से जवाब दिया, "भाई ने पहले ही बताया था कि हम यहाँ बिज़नेस डील के लिए आए थे। हमें नहीं पता था कि हमारे दुश्मन यहाँ हम पर हमला कर देंगे!"

उसकी गुस्से भरी बात सुनकर ईनाया कुछ कहने ही वाली थी कि अर्निका ने उसे आँखों से इशारा कर चुप रहने के लिए कहा। इसके बाद कार में एक अजीब सी ख़ामोशी छा गई।

कुछ समय बाद वे बनारस की मेन सिटी में पहुँच गए। अर्निका ने सीधा हॉस्पिटल की तरफ गाड़ी मोड़ दी। रास्ते में उसने अपने मोबाइल से किसी को कॉल किया और कहा, "तुम तुरंत हॉस्पिटल पहुँचो। घबराने की जरूरत नहीं, हम तीनों ठीक हैं, लेकिन यहाँ किसी को तुम्हारी जरूरत है। और हाँ, घर में किसी को कुछ मत बताना, वरना सब परेशान हो जाएंगे।"

फोन रखते ही उसने स्पीड बढ़ा दी। करीब दस मिनट बाद वे हॉस्पिटल पहुँच गए। ईनाया फटाफट गाड़ी से उतरी और रिसेप्शन पर जाकर बोली, "जल्दी से स्ट्रेचर लाओ! इन लोगों की हालत ठीक नहीं है!"

जल्द ही मेडिकल स्टाफ स्ट्रेचर लेकर आया और घायल लड़कों को अंदर ले जाया जाने लगा।

तभी एक डॉक्टर वहाँ आया और सख्त लहजे में बोला, "यह एक्सीडेंट केस लग रहा है। हम बिना पुलिस की अनुमति के इनका इलाज नहीं कर सकते।"

दूसरा लड़का अपनी पहचान बताने ही वाला था कि अर्निका ने बीच में ही कहा, "यह कोई पुलिस स्टेशन नहीं है कि आप अपनी मर्ज़ी से फैसले लेंगे! और रही इन लोगों की बात, तो इन्हें मैं यहाँ लेकर आई हूँ। एक हॉस्पिटल का पहला काम इलाज करना होता है, न कि पुलिस का इंतज़ार करना!"

डॉक्टर और बाकी स्टाफ कुछ कहने ही वाले थे कि पीछे से एक सख्त आवाज़ आई, "इन्होंने बिलकुल सही कहा!"

सभी ने मुड़कर देखा। एक प्रभावशाली महिला तेज़ कदमों से आगे आई और डॉक्टर को घूरते हुए बोली, "इनका इलाज अभी के अभी शुरू करो!"

डॉक्टर ने जैसे ही उस महिला को देखा, तुरंत सिर झुकाकर बोला, "जी, मैडम! मैं अभी इंतज़ाम करवाता हूँ!"

वह महिला अपने authoritative अंदाज़ में खड़ी थी। उसकी आँखों में तेज़ था और चेहरे पर गुस्से की लकीरें।



सान्या ने धीरे से ईनाया के कान में फुसफुसाया, "चाची इतनी रात को यहाँ?"

ईनाया ने हल्की आवाज़ में जवाब दिया, "कुकी ने कॉल करके बुला लिया।"

अर्निका उस महिला के पास गई और धीरे से बोली, "आप इनका जल्दी इलाज कर दीजिए।"

महिला ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा, "तुम लोग ठीक तो हो ना?"

ईनाया ने सिर हिलाते हुए कहा, "हम ठीक हैं, आप इन दोनों का इलाज कीजिए। एक को गोली लगी है!"

महिला ने सिर हिलाया और बिना देर किए ओटी की तरफ बढ़ गई। तीनों लड़कियाँ भी उसके पीछे-पीछे चल पड़ीं।

कुछ समय बाद, दूसरा लड़का अपने घाव की पट्टी करवाकर बाहर आया और ऑपरेशन थियेटर की तरफ देखने लगा।

सान्या ने उसे देखते हुए कहा, "तुम हेल्प डेस्क से अपने घरवालों को कॉल करके बुला लो।"

लड़के ने हामी भरी और फोन करने चला गया। कुछ देर बाद लौटकर उसने कहा, "मैंने कॉल कर दिया है, वे कुछ ही देर में आ जाएंगे।"

थोड़ा समय बीतने के बाद, एक नर्स बाहर आई और अर्निका को एक कागज़ थमाया। अर्निका ने उसे खोलकर देखा—उसमें लिखा था:

"तुम लोग घर जाओ, बहुत रात हो गई है। घर में किसी को पता भी नहीं है। कल शाम तुम्हें निकलना है, इसलिए आराम करो। इस लड़के को कुछ नहीं होगा।"

अर्निका ने वह नोट पढ़कर लड़के की तरफ देखा और कहा, "हमें अब निकलना चाहिए, रात बहुत हो गई है और तुम्हारे घरवाले भी आते ही होंगे।"

लड़के ने कृतज्ञता से अर्निका की ओर देखा और कहा, "तुम लोगों ने जो किया, उसके लिए शुक्रिया। अगर तुम लोग ना होते, तो न जाने क्या होता।"

अर्निका हल्के से मुस्कुराई, फिर तीनों ने उससे विदा ली और वहाँ से निकल गईं।

जैसे ही वे कार लेकर हॉस्पिटल से बाहर निकलीं, तभी तीन-चार कारें हॉस्पिटल के अंदर दाखिल हुईं। अगर अर्निका और उसकी दोस्त एक पल और रुकतीं, तो वे पहचान जातीं कि ये वही लोग हैं, जिन्हें सुबह मंदिर में गुंडों से बचाया था।



अर्निका की कार के निकल जाने के कुछ ही मिनटों बाद, तीन-चार गाड़ियाँ हॉस्पिटल के बाहर आकर रुकीं। पहली कार से एक बुज़ुर्ग महिला उतरीं—दादी। उनके साथ घर की बाकी बहुएँ भी थीं। सभी तेजी से हॉस्पिटल के अंदर दाखिल हुईं और सीधे रिसेप्शन पर जाकर पूछा, "कुछ समय पहले यहाँ एक घायल लड़का लाया गया था। वह अभी कहाँ है?"

रिसेप्शनिस्ट ने उन्हें ऑपरेशन थियेटर की तरफ जाने का इशारा किया। यह सुनकर वे तुरंत लिफ्ट से ऊपर ओटी के पास पहुँचीं। वहाँ जाकर देखा कि एक लड़का ओटी के बाहर बैठा था और टकटकी लगाए दरवाजे की ओर देख रहा था।

दादी ने उसके पास जाकर धीरे से कहा, "छोटू, तू ठीक है ना?"

दादी की आवाज़ सुनकर वह लड़का चौंका और उनकी ओर मुड़ा। उसकी आँखों में हल्की नमी थी, लेकिन खुद को संभालते हुए उसने कहा, "दादी, भैया अभी ओटी के अंदर हैं… डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं।"

दादी ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा और बोलीं, "भगवान का शुक्र है, बेटा। हमें जैसे ही खबर मिली, हम तुरंत यहाँ आ गए।"

इतने में उन महिलाओं में से एक, जो घायल लड़के की माँ थी, घबराहट और चिंता से रोने लगीं।

दादी ने उन्हें दिलासा देते हुए कहा, "संभालो खुद को, मजली बहू। हमारे प्रिंस को कुछ नहीं होगा। देखना, वह जल्दी ठीक हो जाएगा।"

बाकी महिलाएँ भी उनके पास आ गईं। उनमें से एक, जो लड़के की माँ थीं, घबराई आवाज़ में बोलीं, "छोटू, ये सब कैसे हुआ? तुम दोनों पर किसने हमला किया?"

छोटू ने एक पल के लिए चुप्पी साध ली। फिर गहरी सांस लेते हुए बोला, "माँ, अगर आज वो तीन लड़कियाँ ना होतीं, तो शायद हम दोनों जिंदा नहीं बचते। उन्होंने हमारी जान बचाई।"

दादी ने हैरानी से पूछा, "लड़कियाँ? कौन लड़कियाँ?"


छोटू थोड़ा रुका, फिर धीरे से बोला, "हम नहीं जानते कि वो कौन थीं। लेकिन उनमें से एक का नाम अर्निका था… अर्निका त्रिपाठी!"

जैसे ही यह नाम दादी के कानों में पड़ा, उनके चेहरे का रंग अचानक बदल गया। उनकी आँखों में हल्की हैरानी और किसी भूली-बिसरी याद की झलक थी।

"अर्निका त्रिपाठी?" दादी ने धीमी आवाज़ में दोहराया। "क्या तुमने सही सुना?"

छोटू ने सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ, दादी। उन्होंने ही हमें अस्पताल तक पहुँचाया और डॉक्टरों से हमारी देखभाल करने को कहा।"

दादी के दिमाग में किसी चेहरे की हल्की छवि उभरी, लेकिन उन्होंने खुद को समझाया कि शायद यह कोई और होगी। "कैसे एक ही नाम की दो लड़कियाँ हो सकती हैं?" उन्होंने सोचा और ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।

लेकिन बाकी महिलाएँ एक-दूसरे को देखने लगीं। 'अर्निका' नाम सुनते ही सुबह हुई घटना उनकी यादों में ताज़ा हो गई।

दादी कुछ और पूछने ही वाली थीं कि ओटी का दरवाजा खुला, और माधवी जी बाहर आईं। उन्हें देखते ही दादी और बाकी लोग उनकी ओर बढ़े।

"डॉक्टर, वह अब कैसा है?" दादी ने चिंतित स्वर में पूछा।

माधवी जी ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "पेशेंट अब खतरे से बाहर है। गोली हाथ में लगी थी, हमने निकाल दी है। कुछ और चोटें भी थीं, लेकिन अब वह ठीक हैं। हाँ, उन्हें होश में आने में थोड़ा समय लगेगा, क्योंकि हमने नींद का इंजेक्शन दिया है। कुछ देर बाद उन्हें वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा, फिर आप उनसे मिल सकते हैं।"

यह कहकर माधवी जी आगे बढ़ गईं।

दादी ने चैन की सांस ली और बाकी लोगों की ओर देखा। "भगवान का शुक्र है, मेरा बच्चा अब खतरे से बाहर है।"

छोटू कुछ पल रुका, फिर धीमे स्वर में बोला, "हम नहीं जानते कि वे कौन थीं, लेकिन उनमें से एक का नाम अर्निका था… अर्निका त्रिपाठी!"

जैसे ही यह नाम दादी के कानों में पड़ा, उनके चेहरे का रंग बदल गया। उनकी आँखों में हैरानी और किसी भूली-बिसरी याद की झलक उभरी।

"अर्निका त्रिपाठी?" दादी ने आश्चर्य से दोहराया। "क्या तुमने ठीक सुना?"

छोटू ने सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ, दादी। उन्होंने ही हमें अस्पताल तक पहुँचाया और डॉक्टरों से हमारी देखभाल करने को कहा।"

दादी के दिमाग में सुबह देखा एक चेहरा उभर आया, लेकिन उन्होंने खुद को समझाया, "शायद यह कोई और होगी। एक ही नाम की दो लड़कियाँ भी तो हो सकती हैं।" इसलिए उन्होंने ज़्यादा नहीं सोचा।

पर बाकी महिलाएँ एक-दूसरे को देखने लगीं। 'अर्निका' नाम सुनते ही सुबह की घटना उनकी यादों में ताज़ा हो गई।

दादी कुछ और पूछने ही वाली थीं कि ऑपरेशन थिएटर का दरवाजा खुला और माधवी जी बाहर आईं। उन्हें देखते ही दादी और बाकी लोग उनके पास पहुँच गए।

"डॉक्टर, अब वह कैसा है?" दादी ने चिंतित स्वर में पूछा।

माधवी जी ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "मरीज अब खतरे से बाहर है। गोली हाथ में लगी थी, जिसे निकाल दिया गया है। कुछ और चोटें थीं, लेकिन अब वह ठीक हैं। हाँ, होश में आने में थोड़ा समय लगे