Rooh se Rooh tak - 2 in Hindi Love Stories by IMoni books and stories PDF | रूह से रूह तक - चैप्टर 2

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रूह से रूह तक - चैप्टर 2

अर्निका के सभी ने नाश्ता खत्म करने के बाद सभी हॉल में आकर बैठ गए।

तभी दादाजी ने अर्चना से पूछा,
"विवान का कोई कॉल आया? उसकी बिजनेस ट्रिप कब खत्म होगी?"

अर्चना ने जवाब दिया,
"हाँ, कल बात हुई थी। अभी उसका काम पूरा नहीं हुआ, इसलिए उसे लौटने में थोड़ा समय लगेगा।"

दादाजी ने सिर हिलाते हुए कहा,
"ठीक है, उम्मीद है वह जल्द आ जाएगा।"

फिर उन्होंने अपनी लाडली पोती अर्निका की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोले,
"बेटा, मुझे पता है कि बचपन से तेरा सपना एक अच्छी डॉक्टर बनने का था, और अब तू उसे पूरा करने के लिए जा रही है। लेकिन मैं ये भी जानता हूँ कि तुझे डिज़ाइनिंग का भी बहुत शौक है।"

थोड़ा ठहरकर उन्होंने आगे कहा,
"तेरे डिज़ाइन किए हुए साड़ी कलेक्शन कितने फेमस हुए थे! इसलिए, अगर कभी तुझे समय मिले, तो वहाँ फैशन डिज़ाइनिंग का कोर्स भी कर लेना। मुझे पता है कि दोनों चीज़ें मैनेज करना मुश्किल होगा, लेकिन तू बहुत टैलेंटेड है… इस गधे से भी ज्यादा!"

दादाजी की बात सुनकर अर्निका हँस पड़ी और बोली,
"दादाजी! आप भैया को गधा कह रहे हैं?"


अद्विक ने नाराज़गी भरे अंदाज में कहा,
"हाँ हाँ, सबके सामने मेरी इंसल्ट हो रही है, और तू बस हँस रही है!"

सब ज़ोर से हँस पड़े।

दादाजी ने मुस्कुराते हुए अर्निका के सिर पर प्यार से हाथ फेरा और बोले,
"बेटा, मैं बस चाहता हूँ कि तू अपने हर हुनर को पहचाने और उनका पूरा इस्तेमाल करे। अगर कभी मौका मिले, तो डिजाइनिंग को भी ज़रूर एक बार सोचना।"

अर्निका ने उनकी बात ध्यान से सुनी और सिर हिलाते हुए कहा,
"वादा करती हूँ, दादाजी! अगर सही समय आया, तो इस हुनर को भी ज़रूर आज़माऊँगी!"

इसी बीच अर्चना चाय और स्नैक्स लेकर आ गईं और सबके सामने रख दिए।

माधवी मुस्कुराते हुए बोलीं,
"वैसे, लाडो का हर हुनर किसी न किसी से आया है! बिजनेस माइंड अपने पापा और बड़े पापा से, दयालुता अपनी बड़ी माँ से, लोगों की मदद करने की आदत मुझसे, संगीत और डांस का शौक अपनी दादी से, और एडवेंचर वाली आदत इस अद्विक महाराज से!"

तभी दादाजी हँसते हुए बोले,
"गलत कह रही हो, बहू! लाडो की बिजनेस माइंडेड सोच मुझसे आई है, और उसकी एडवेंचर की आदत अपने पापा से। अनिरुद्ध जब पढ़ाई कर रहा था, तब भी दोस्तों के साथ रेस लगाने में सबसे आगे रहता था! इस बेवकूफ (अनिरुद्ध) को लगता है कि हमें कुछ नहीं पता, लेकिन मुझे सब मालूम रहता है!"

दादाजी की बात सुनकर अनिरुद्ध और उनके बड़े भाई सोक हो गया 

अद्विक ने उत्सुकता से पूछा,
"पापा भी रेस करते थे?"

दादी मुस्कुराकर बोलीं,
"हाँ! इसे तो रेसिंग का बहुत शौक था। सपना था कि इनका नाम बड़े रेसर्स की लिस्ट में हो, लेकिन जब से इसने बिजनेस संभाला, सबकुछ बदल गया..."

तभी अर्निका अपने पापा के पास आई और उनके हाथ पकड़कर बोली,
"पापा, मैं आपका यह सपना पूरा करूँगी। चाहे समय लगे, लेकिन मैं वादा करती हूँ कि एक दिन आपको गर्व महसूस कराऊँगी!"

अनिरुद्ध ने अर्निका की आँखों में देखा, जो आत्मविश्वास और संकल्प से भरी हुई थीं। हल्के से मुस्कुराते हुए उन्होंने उसका माथा चूमा और बोले,
"मुझे तुम पर पूरा भरोसा है, बेटा!"



अनिरुद्ध ने प्यार से अर्निका का सिर सहलाया और बोले,
"मेरी लाडो, तुम्हें यह करने की जरूरत नहीं है। रेसिंग बहुत रिस्की है, इसलिए तुम अपने सपनों पर ध्यान दो। लेकिन याद रखना, जिंदगी में हर सपना पाने के लिए मेहनत और संघर्ष बहुत जरूरी है।"

अर्निका मुस्कुराकर आत्मविश्वास से बोली,
"पापा, आप चिंता मत करो। मैंने आज तक कभी हार मानना नहीं सीखा, और आगे भी कभी नहीं मानूंगी!"

दादाजी ने गर्व से कहा,
"देखा, यही है हमारी अर्निका! जो ठान ले, उसे पूरा करके ही मानती है!"

अद्विक ने मजाकिया अंदाज में कहा,
"अच्छा, तो अब घर में एक डॉक्टर, एक डिजाइनर, एक बिजनेसवुमन और अब एक रेसर भी होने वाली है! वाह, क्या बात है!"

तभी सान्या ने नखरे दिखाते हुए कहा,
"भाई, आप मुझे भूल गए? घर में एक आर्टिस्ट भी है! और वैसे भी, कुकी के जाने के बाद मैं भी बैंगलोर चली जाऊंगी, लेकिन किसी को मेरी परवाह ही नहीं है!"

यह कहकर उसने मुँह फुला लिया।

अर्निका ने हँसते हुए सान्या को प्यार से खींचकर अपने पास बैठाया और बोली,
"अरे मेरी ड्रामा क्वीन, तुझे कोई कैसे भूल सकता है? तू तो हमारी सबसे टैलेंटेड आर्टिस्ट है! और रही बात तेरे बैंगलोर जाने की, तो तुझे हम ऐसे ही जाने देंगे क्या?"



अद्विक ने शरारती अंदाज में कहा,
"हाँ हाँ, जैसे ही तेरा फ्लाइट टाइम आएगा, हम तुझे बाँधकर रख लेंगे!"

सान्या ने गुस्से में मुँह बनाते हुए कहा,
"आप सब बहुत बुरे हो! आपको बस मुझे तंग करने में मजा आता है!"

दादी ने प्यार से सान्या को गले लगाते हुए कहा,
"अरे बेटा, तुझे तंग नहीं कर रहे, बस मजाक कर रहे हैं। तू जहाँ भी रहेगी, खुश रहेगी, यही हमारी दुआ है!"

माधवी हंसते हुए बोलीं,
"अब बस करो, ये इमोशनल बातें! बहुत हो गया!"

तभी अनिरुद्ध ने पूछा,
"तुम तीनों तो बाहर जाने वाले थे, कब जा रहे हो?"

सान्या उत्साहित होकर बोली,
"चाचा, थोड़ी देर में निकल रहे हैं, और आज तो जमकर शॉपिंग करेंगे!"

शॉपिंग का नाम सुनते ही अनिरुद्ध ने अपना डेबिट कार्ड निकाला और अर्निका की ओर बढ़ाते हुए बोले,
"जो भी चाहिए, बेहिचक ले लेना।"

लेकिन अर्निका ने मुस्कुराते हुए कार्ड लेने से मना कर दिया और बोली,
"पापा, मेरे पास पैसे हैं, इसलिए इसकी जरूरत नहीं। जब जरूरत होगी, तब आपसे खुद मांग लूंगी।"

अनिरुद्ध ने गर्व से अपनी बेटी को देखा और हल्के से मुस्कुराते हुए बोले,
"ठीक है, लेकिन जब जरूरत हो, मुझसे जरूर ले लेना।"

तभी अद्विक मजाकिया अंदाज में बोला,
"पापा, कभी हमसे भी पूछ लिया करो कि हमें पैसे चाहिए या नहीं! इसको तो जरूरत ही नहीं पड़ती, हर महीने आप, बड़े पापा और दादाजी इसे पॉकेट मनी देते हैं। ऊपर से यह खुद भी कंपनी के लिए डिजाइन बनाकर पैसे कमाती है, और अब तो बड़े भाई भी इसे पैसे दे देते हैं! इस फैक्ट, इसके पास जितना पैसा है, उतना तो मेरे पास भी नहीं है! इसलिए, ये कार्ड मुझे ही दे दो!"

अद्विक की बात सुनकर बड़े पापा हंसते हुए उसके पास आए, उसके कान पकड़कर बोले,
"तू मेरी दोनों बेटियों पर इतनी नज़र रखता है, लेकिन खुद को भूल गया? तुझे भी हर महीने पॉकेट मनी मिलती है, और अब तो तू त्रिपाठी टेक्सटाइल का CEO भी है! तेरे पास पूरा फाइनेंस डिपार्टमेंट है, तो तुझे इस कार्ड की क्या जरूरत?"

यह सुनकर सब हंस पड़े, और अद्विक शर्मा गया। तभी उसकी दोनों बहनें उसके पास आकर अजीब तरह से उसे घूरने लगीं।

अद्विक थोड़ा डरकर बोला,
"तुम दोनों मुझे ऐसे क्यों देख रही हो?"

सान्या और अर्निका एक साथ मुस्कुराते हुए बोलीं,
"भाई, आज का पूरा शॉपिंग और खाने का खर्चा तुम पर रहेगा! और हाँ, हमें घूमाने भी तुम ही ले जाओगे, ठीक है?"



अद्विक चौंकते हुए बोला,
"अरे, ये क्या नया प्लान बना रही हो तुम दोनों?"

सान्या ने शरारती अंदाज में कहा,
"बस, आज का पूरा खर्चा आप पर होगा, और कोई बहाने नहीं चलेंगे!"

बड़े पापा हंसते हुए बोले,
"हां हां, अब तक तुम दूसरों की जेब पर नजर रखते थे, आज अपनी जेब हल्की करने की बारी है! चलो, अपनी बहनों की हर बात मानो, नहीं तो...!"

तभी पीछे से एक आवाज आई,
"और इन दोनों के साथ मेरा भी खर्चा आप ही उठाएंगे, भईया!"

सभी ने मुड़कर देखा तो दरवाजे पर बुआ और उनकी फैमिली खड़ी थी।

बुआ की बेटी इनाया दौड़कर आई और अर्निका व सान्या के साथ मिलकर बोली,
"मेरी भी शॉपिंग है भाई! मैं भी तो कुकी के साथ मुंबई पढ़ने जा रही हूँ!"

(वैसे, मैं भूल ही गई थी कि आप लोगोको बबातना की हम लोग “ कुकी ” किसे कह रही हूँ—दरअसल, सभी भाई-बहन अर्निका को 'कुकी' कहकर बुलाते हैं!)

अद्विक ने माथा पकड़ते हुए कहा,
"ओह, अब तो लगता है कि मुझे अपनी कंपनी का बजट चेक करना पड़ेगा!"

बड़े पापा हंसते हुए बोले,
"चलो, अब तुम्हें सबका दायित्व संभालना सीखना चाहिए!"

अद्विक ने गहरी सांस लेते हुए कहा,
"ठीक है, ठीक है! आज मैं तुम सबकी शॉपिंग का जिम्मा लेता हूँ, लेकिन एक शर्त है!"

इनाया, सान्या और अर्निका ने उत्सुकता से पूछा,
"क्या शर्त है?"



अद्विक शरारत से मुस्कुराते हुए बोला,
"आज तुम तीनों मेरी पसंद के कपड़े ही लोगी, और अगर मैंने कुछ खाने के लिए कहा, तो मना नहीं करोगी!"

अर्निका ने आंखें घुमाते हुए कहा,
"मतलब, हमें वही लेना होगा जो आप कहोगे? ये तो बेइमानी है!"

इनाया ने तुरंत अद्विक की बात काटते हुए कहा,
"लेकिन मुफ्त की शॉपिंग में शर्तें नहीं लगाई जातीं, तो ये डील हमें मंजूर नहीं!"

उनकी बातें सुनकर सभी ज़ोर से हंस पड़े।

इसके बाद अर्निका और घर के बाकी बच्चे बुआ और फूफा जी से मिलने लगे और हंसी-मजाक में वक्त गुजरने लगा।
उधर, अर्चना और माधवी चाय और स्नैक्स की तैयारी करने किचन में चली गईं।

दादी ने प्यार से बुआ और फूफा जी से पूछा,
"तो बताइए, इस बार कितने दिनों के लिए आए हैं?"

बुआ मुस्कुराकर बोलीं,
"बस, ज्यादा दिन नहीं रुक पाएंगे। इनाया और अर्निका के मुंबई जाने के बाद वापस चली जाऊंगी।"

फूफा जी ने अद्विक की ओर देखते हुए पूछा,
"और बेटा, बिजनेस कैसा चल रहा है?"

अद्विक ने विनम्रता से जवाब दिया,
"सब बढ़िया चल रहा है, फूफा जी! बस, काम थोड़ा बढ़ गया है।"

बुआ हल्के ताने भरे अंदाज में बोलीं,
"हाँ हाँ, और इस बिजी शेड्यूल में हमारी लाडो को छोड़कर सबके लिए वक्त निकाल लेते हो, है ना?"

अद्विक हंसते हुए बोला,
"अरे बुआ, ऐसा कुछ नहीं है! लाडो तो मेरी जान है, और आप देख ही रही हैं कि घर में आते ही सबसे पहले उसी से मिलने गया था!"



दादी मुस्कुराते हुए बोलीं,
"हमारी लाडो के बिना ये घर अधूरा लगेगा।"

उनकी बात सुनते ही माहौल हल्का सा उदास हो गया, लेकिन अद्विक ने तुरंत बात बदलते हुए कहा,
"अच्छा, अब ये इमोशनल बातें बंद करो! हमें शॉपिंग के लिए निकलना है, और हां, इस बार मैं तुम्हारी हर पसंद को approve नहीं करने वाला!"

इनाया ने चिढ़ते हुए कहा,
"तो फिर पैसे भी मत दो, हम अपने पैसों से खरीद लेंगे!"

अद्विक ने सिर पकड़ते हुए कहा,
"तुम लोग अपनी बातों में हमेशा मुझे हरा देती हो!"

सब ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगे, और घर का माहौल फिर से खुशनुमा हो गया।

तभी दादाजी बोले,
"चलो, अब सब जल्दी तैयार हो जाओ!"

दादाजी की बात सुनते ही सबने "हाँ!" कहते हुए अपने-अपने कमरों की ओर दौड़ लगा दी।

कुछ देर बाद, सब तैयार होकर नीचे आ गए।
अर्निका, सान्या और इनाया ने स्टाइलिश आउटफिट पहने थे और तीनों बेहद खूबसूरत लग रही थीं।
अद्विक, जो पहले से ही बाहर खड़ा था, उन्हें देखकर मुस्कुराया और मजाकिया अंदाज में बोला,
"वाह! लगता है, आज पूरा मॉल तुम तीनों के स्टाइल से जलने वाला है!"



इनाया ने शरारत से कहा,
"तो फिर भाई, शॉपिंग का बजट भी वैसा ही रखना!"

अद्विक ने ठहाका लगाते हुए कहा,
"अभी से डिमांड शुरू?"

दादी ने प्यार से समझाया,
"जितना भी खरीदना है, खरीदो बेटा, लेकिन ज्यादा देर मत करना। जल्दी वापस आ जाना!"

फूफा जी ने हंसते हुए कहा,
"बच्चों से ये उम्मीद मत रखिए, जब शॉपिंग पर जाएं तो वक्त का पता ही नहीं चलता!"

सब हंस पड़े।

तभी अर्निका बोली,
"दादी, आप चिंता मत करो। अगर किसी ने कुछ कहा, तो मैं चुप नहीं बैठूंगी!"आप को पता है ना मुझे किया बुलाते है 

दादी हंसते हुए बोलीं,
"हां हां, मुझे पता है, सब तुझे झांसी की रानी कहते हैं!"

सबकी हंसी के बीच अद्विक ने कार की चाबी उठाई और कहा,
"चलो, निकलते हैं, वरना बातें करते-करते ही शाम हो जाएगी!"

अर्निका, सान्या, इनाया और अद्विक कार में बैठकर शॉपिंग मॉल की ओर रवाना हो गए।

सभी के जाने के बाद घर में बाकी लोग उनकी बातें करने लगे।

दादी ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
"देखो, कितने हंसी-खुशी निकल गए! लेकिन जब अर्निका और बाकी दोनों भी चली जाएगी, तब ये घर सूना-सूना लगेगा..."



माधवी ने दादी का हाथ थामते हुए कहा,
"मांजी, हमारी लाडो वहां भी खुश रहेगी और हमें रोज वीडियो कॉल करेगी। वो हमें मिस करेगी, लेकिन हम उसे ज्यादा मिस करेंगे।"

फूफा जी ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
"अभी तो घर कितना भरा-भरा लगता है, लेकिन कुछ ही दिनों में सब बदल जाएगा। इनाया के बिना हमारा घर भी सूना हो जाएगा। बड़ा बेटा पहले ही पढ़ाई के लिए विदेश में है, और अब यह भी चली जाएगी..."

उनकी उदासी को महसूस करते हुए बड़े पापा ने सिर हिलाया और बोले,
"सही कहा, लेकिन हमें उन पर गर्व होना चाहिए। वे जहां भी जाएंगी, हमारा नाम रोशन करेंगी।"

अर्चना ने भावुक होकर कहा,
"हां, जब बच्चे चले जाएंगे, तब इस घर की रौनक भी कम हो जाएगी।"

दादाजी ने मुस्कुराते हुए कहा,
"हमारी पोतियां इस घर के बेटों से भी ज्यादा टैलेंटेड हैं, खासकर हमारी प्यारी लाडो। देखना, सबसे ज्यादा नाम तो वही रोशन करेगी!"

दादी ने सहमति में सिर हिलाते हुए कहा,
"बिलकुल सही कह रहे हैं आप!"

सभी घरवाले बातचीत में खो गए। हर चेहरे पर अलग-अलग भाव थे—गर्व, खुशी और हल्की उदासी का मिला-जुला अहसास। लेकिन एक बात तय थी—अर्निका, सान्या और इनाया जहां भी जाएंगी, इस परिवार की यादें हमेशा उनके साथ रहेंगी।



शहर के सबसे बड़े मॉल में पहुंचते ही सान्या ने उत्साह से कहा,
"चलो, सबसे पहले अर्निका के लिए कुछ स्पेशल खरीदा जाए!"

अर्निका ने आँखें घुमाते हुए कहा,
"अरे यार, मैं खुद भी साथ में हूँ, लेकिन तुम लोग मुझसे ज्यादा एक्साइटेड हो मेरी शॉपिंग के लिए!"

अद्विक ने मजाक में कहा,
"हाँ, ताकि तेरा सामान पैक करने में हमारी मेहनत न लगे! सब यहीं से रेडी होकर मुंबई भेज देंगे।"

तीनों हँसने लगे और शॉपिंग मॉल के अंदर जाने लगे।

मॉल में घुसते ही इनाया ने जोश में कहा,
"चलो, सबसे पहले कपड़ों की शॉप पर चलते हैं!"

सान्या ने सिर हिलाते हुए कहा,
"नहीं, पहले जूते! अर्निका के पास वैसे भी ढेरों कपड़े हैं, लेकिन अच्छे जूते थोड़े कम हैं!"

अद्विक ने हंसते हुए कहा,
"पहले उसकी रूम में जाके शूज़ और हील्स का कलेक्शन देखो, फिर ऐसा बोलना! वैसे भी तुम तीनों के पास पहले से ढेरों हैं, और कितने खरीदोगी?"

तीनों ने घूरकर उसे देखा जैसे अभी खा जाएंगी। अद्विक ने हार मानते हुए हाथ उठाया और बोला,
"ठीक है, ठीक है! चलो, पहले शॉपिंग करते हैं!"

अर्निका ने मुस्कुराते हुए कहा,
"पहले कुछ पीते हैं, फिर आराम से शॉपिंग करेंगे!"

अद्विक ने हामी भरते हुए कहा,
"बिल्कुल सही! पहले पेट पूजा, फिर काम दूजा!"

सभी एक कैफे में जाकर बैठ गए और अपनी फेवरेट ड्रिंक्स ऑर्डर कीं।

कॉफी लेते हुए अर्निका बोली,
"पता नहीं क्यों, लेकिन ये दिन मुझे हमेशा याद रहेगा। तुम सबका प्यार और ये नोंक-झोंक बहुत मिस करूंगी!"

इनाया ने तुरंत कहा,
"हां यार, हम भी तुझे बहुत मिस करेंगे! लेकिन रोज वीडियो कॉल पर बातें होंगी!"

सान्या ने सहमति में सिर हिलाते हुए कहा,
"यादें तो बहुत मिस करेंगे, लेकिन मिलने का मौका कम ही मिलेगा..."

अद्विक ने मुस्कुराते हुए कहा,
"तो क्या हुआ? फ्लाइट पकड़कर आ जाना! और वैसे भी, छुट्टियों में तो घर वापस आ ही जाएगी, तब फिर से हमारी मस्ती शुरू!"

अर्निका ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
"पता नहीं, तब तक क्या-क्या बदल जाएगा..."

सान्या ने तुरंत उसकी बात काटते हुए कहा,
"कुछ नहीं बदलेगा! हमारा भाई-बहनों का प्यार, मस्ती और तेरा हमें डांटना—सब वैसे का वैसा रहेगा!"



इनाया ने चिढ़ाते हुए कहा,
"और हां, अगर वहां जाकर किसी राजकुमार से मुलाकात हो गई, तो हमें भूल तो नहीं जाएगी ना?"

अर्निका ने आँखें घुमाते हुए जवाब दिया,
"ओफ्फो! तुम लोग भी ना, कैसी फालतू बातें करने लगे! मुझे इन प्यार-व्यार के चक्कर में नहीं पड़ना!"

अद्विक ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा,
"मुझे तो पहले से ही शक है, मुंबई जाकर हमारी लाडो को कोई खास मिलने ही वाला है!"

सान्या ने मजाक में जोड़ा,
"हां, और फिर हमें बुलाना भी भूल जाएगी! बस इंस्टाग्राम पर तेरी और तेरे राजकुमार की रोमांटिक तस्वीरें देखने को मिलेंगी!"

अद्विक ने सिर हिलाते हुए कहा,
"ठीक है, ठीक है! अब ज्यादा मत छेड़ो, वरना सच में गुस्सा न हो जाए!"

अर्निका हंस पड़ी और बोली,
"तुम लोगों से बच पाना नामुमकिन है!"

तभी वेटर ऑर्डर लेकर आ गया, और सबने मज़े से अपनी-अपनी ड्रिंक्स पीनी शुरू कर दी। हंसी-मजाक और हल्की नोकझोंक के बीच माहौल खुशनुमा बना रहा।








आगे किया होगा जानने के लिये मेरी कहानी रूह से रूह तक पढ़ते रहिए 

अगर कहीं कोई गलती हो गई हो, तो मुझे माफ कर दीजिएगा।

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