Rooh se Rooh tak - 4 in Hindi Love Stories by IMoni books and stories PDF | रूह से रूह तक - चैप्टर 4

The Author
Featured Books
  • तस्वीर - भाग - 4

    सुरेश के मन में मकान बेचने के विचार ने उथल पुथल मचा रखी थी क...

  • भूत लोक -15

    तांत्रिक भैरवनाथ  जी एक बार फिर सभी की ओर देख कर इशारे से हा...

  • महाशक्ति - 5

    महाशक्ति – पाँचवाँ अध्याय: शिवतत्व गुफा की खोजअर्जुन और अनाय...

  • यह मैं कर लूँगी - भाग 4

    (भाग 4) क्षमा को सरप्राइज देने, जब बिना बताए मैं उसके घर पहु...

  • खोए हुए हम - 9

    खोए हुए हम - एपिसोड 9अयान बिस्तर पर बैठा था, उसकी आंखों में...

Categories
Share

रूह से रूह तक - चैप्टर 4

दादी के कहने के बाद सब अपने-अपने कमरों में जाकर फ्रेश होने लगे।

कुछ देर बाद, अर्निका बाल सुखाते हुए क्लॉथ रूम से बाहर आई तो देखा कि सान्या और इनाया उसकी रूम में सोफे पर बैठकर बातें कर रही थीं।

अर्निका मुस्कुराते हुए उनके पास आई और बोली,
"क्या चल रहा है?"

सान्या ने हंसकर कहा,
"कल सोमवार है ना, तू मंदिर जाने वाली है? तो हम दोनों भी तेरे साथ चलें?"

इनाया उत्साहित होकर बोली,
"हां कुकी, हमें भी ले चल! बहुत दिनों से तेरे मुंह से भजन नहीं सुना।"

अर्निका ने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा,
"ठीक है, तुम लोग भी साथ चल सकते हो।"


इनाया और सान्या खुशी से ताली बजाते हुए बोलीं,
"याय! तो कल सुबह तैयार रहना, हम भी तेरे साथ चलेंगे!"

अर्निका मुस्कुराते हुए बोली,
"पर याद रखना, सुबह जल्दी उठना पड़ेगा! फिर मत कहना कि नींद नहीं खुली!"

सान्या ने तुरंत कहा,
"तू चिंता मत कर, इस बार हम टाइम पर उठ जाएंगे!"

अर्निका ने हंसते हुए कहा,
"अभी तो बड़ी-बड़ी बातें कर रही हो, लेकिन सुबह अलार्म बंद करके सो जाओगी!"

सान्या ने नाटकीय अंदाज में कहा,
"तेरी कसम, इस बार टाइम पर उठूंगी!"

अर्निका और इनाया हंस पड़ीं।

तभी अद्विक दरवाजे पर आकर बोला,
"क्या प्लानिंग चल रही है, और मुझे क्यों नहीं बुलाया गया?"

इनाया ने उसे चिढ़ाते हुए कहा,
"क्योंकि यह सिर्फ लड़कियों का प्लान है!"

अद्विक ने आंखें घुमाते हुए कहा,
"अच्छा? चलो, मैं भी देखता हूं कि तुम लोग कैसे सुबह जल्दी उठती हो!"

अर्निका ने मुस्कुराकर पूछा,
"तो मतलब तू भी चल रहा है?"

अद्विक ने शरारती अंदाज में कहा,
"पहले नहीं सोचा था, लेकिन अब तुम्हें परेशान करने के लिए जरूर चलूंगा!"



अर्निका भौहें चढ़ाते हुए बोली,
"ओह! तो तू हमारे पीछे-पीछे सिर्फ हमें परेशान करने आ रहा है, भक्ति के लिए नहीं?"

अद्विक मुस्कुराकर बोला,
"भक्ति भी करूंगा, लेकिन तुम्हारा मजा खराब करना तो बनता है!"

इनाया हंसते हुए बोली,
"ठीक है, कल देख लेंगे कि कौन किसका मजा खराब करता है!"

अद्विक ने मजाक में हाथ जोड़कर कहा,
"बस मुझे सुबह उठाने मत आना, वरना अच्छा नहीं होगा!"

सान्या शरारती अंदाज में बोली,
"अरे! अब तो तुझे उठाने में और भी मजा आएगा!"

सब हंस पड़े। तभी अद्विक ने कहा,
"चलो, दादी ने बुलाया है, डिनर का टाइम हो गया!"

यह सुनते ही तीनों हंसते हुए डाइनिंग एरिया की तरफ बढ़ गए।

डाइनिंग टेबल पर पूरा परिवार पहले से मौजूद था।

दादी ने प्यार से मुस्कुराते हुए कहा,
"लो आ गए हमारे नवाबज़ादे-नवाबजादियां!"

फूफा जी ने मजाकिया अंदाज में कहा,
"अब जल्दी बैठो, वरना खाना ठंडा हो जाएगा!"


सबने अपनी-अपनी कुर्सियाँ संभालीं, और खाना परोसा जाने लगा।

बुआ ने मुस्कुराते हुए पूछा,
"तो बताओ, आज का खाना कैसा बना है?"

अद्विक ने पहला निवाला लेते ही आँखें बंद कीं और बोला,
"उफ्फ! क्या स्वाद है! आज का डिनर तो वाकई लाजवाब है!"

सब हंस पड़े और मजे से खाने लगे।

डिनर के दौरान हंसी-मजाक, पुरानी यादें और हल्की-फुल्की छेड़छाड़ का सिलसिला चलता रहा।

रात गहराने लगी, और धीरे-धीरे सब अपने कमरों की ओर बढ़ गए।

अर्निका बालकनी में खड़ी थी, ठंडी हवा उसके चेहरे को छू रही थी। तभी सान्या और इनाया भी वहां आ गईं।

इनाया ने हल्की आवाज़ में पूछा,
"क्या सोच रही हो? अभी तक नींद नहीं आई?"

अर्निका ने आसमान की ओर देखते हुए कहा,
"नहीं... बस यही कि ये पल कितने खूबसूरत हैं... काश, हमेशा ऐसे ही बने रहें!"




सुबह अलार्म की आवाज़ से अर्निका की नींद खुली। फ्रेश होने से पहले उसने सोचा कि पहले इनाया और सान्या को जगा दे, क्योंकि उसे अच्छी तरह पता था कि वे जल्दी नहीं उठेंगी। अगर अलार्म लगाया भी होगा, तो बंद करके फिर से सो जाएँगी।

वह उनके कमरे में पहुँची तो देखा, दोनों गहरी नींद में थीं। अर्निका ने उन्हें उठाने की कोशिश की, लेकिन इनाया करवट बदलकर कम्बल ओढ़ ली, और सान्या भी सुस्ती में बोली,
"थोड़ी देर और सोने दे ना!"

अर्निका ने गहरी सांस ली और सिर हिलाते हुए कहा,
"मुझे पता था, ऐसा ही होगा!"

उसने बिना समय गँवाए दोनों के कम्बल खींच दिए और ज़ोर से बोली,
"उठो महारानियों! मंदिर जाना था ना? अब कोई बहाना नहीं!"

इनाया ने अधखुली आँखों से कराहते हुए कहा,
"अर्निका... बस पाँच मिनट और..."

सान्या भी नींद में बड़बड़ाई,
"हाँ यार, थोड़ी देर और!" और फिर से कम्बल लपेटकर सो गई।

तभी दरवाजे पर खड़े अद्विक ने मुस्कुराते हुए कहा,
"मैंने पहले ही कहा था, ये लोग कभी टाइम पर नहीं उठेंगी!"

अर्निका ने परेशानी से पूछा,
"अब क्या करें?"

अद्विक के चेहरे पर शरारती मुस्कान आ गई।
"रुको, इन्हें जगाने का मज़ेदार तरीका है!"

उसने पास रखी पानी की बोतल उठाई। अर्निका ने चौंककर कहा,
"भाई, तुम यह क्या—"

लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कर पाती, अद्विक ने दोनों के ऊपर ठंडा पानी डाल दिया।

पानी गिरते ही इनाया हड़बड़ाकर चिल्लाई,
"अरे! बचाओ! ये क्या कर रहे हो?"

सान्या ने भी झट से आँखें खोलीं और गुस्से से बोली,
"अद्विक भाई! अब तो आप नहीं बचोगे!"

अद्विक हँसते हुए बोला,
"शुक्र मनाओ, सिर्फ बोतल का पानी था, बाल्टी नहीं डाली!"

अर्निका भी हँसते हुए बोली,
"अब जल्दी से तैयार हो जाओ, वरना मंदिर जाना कैंसिल!"

फिर उसने अद्विक की तरफ देखा और पूछा,
"वैसे, आप इतनी जल्दी कैसे उठ गए? क्या आप भी हमारे साथ मंदिर जाने वाले हैं?"

अद्विक ने सिर हिलाते हुए कहा,
"नहीं, मुझे ऑफिस में कुछ ज़रूरी काम है, इसलिए जल्दी निकलना पड़ेगा।"

अर्निका ने "ठीक है" कहते हुए अपने कमरे की तरफ कदम बढ़ाए, और अद्विक भी अपने कमरे में चला गया।

उनके जाने के बाद इनाया और सान्या ने एक-दूसरे को देखा, फिर जल्दी से उठीं और तैयार होने चली गईं।



कुछ देर बाद, चारों तैयार होकर नीचे आए तो देखा, दादी माँ और बाकी लोग चाय पी रहे थे।

दादी ने उन्हें देखते ही मुस्कुराकर कहा,
"अरे वाह! आज तो सब समय पर तैयार हो गए!"

बुआ ने हल्के मज़ाकिया अंदाज़ में कहा,
"लगता है बच्चे बड़े हो गए हैं!"

सान्या ने मुंह बनाते हुए कहा,
"हां बुआ, लेकिन किसी ने हमें जबरदस्ती उठाया!"

अद्विक हंसते हुए बोला,
"अगर मैं ना उठाता, तो अब तक तुम दोनों सो रही होती!"

दादी ने प्यार से कहा,
"चलो-चलो, बहस बाद में करना! पहले चाय पी लो और फिर मंदिर निकलो!"

अर्निका ने मुस्कुराते हुए कहा,
"नहीं दादी, हम मंदिर से लौटने के बाद ही कुछ खाएंगे।"

फिर उसने अपने दादाजी और पापा की ओर देखा और कहा,
"पापा, आज शाम को हमारे बैच के सभी लोग एक साथ पार्टी कर रहे हैं। कल से सब अपने-अपने रास्ते निकल जाएंगे, अपने सपनों को पूरा करने के लिए, तो हमने सोचा, आज एक साथ थोड़ा समय बिताएं। क्या हम भी जा सकते हैं?"

उसकी बात सुनकर दादाजी थोड़ा चिंतित हो गए और बोले,
"लेकिन रात को तुम लड़कियां अकेले—"

तभी बड़े पापा ने बीच में बात काटते हुए कहा,
"कोई बात नहीं, तुम लोग एंजॉय करो। लेकिन अगर किसी भी तरह की परेशानी हो, तो हमें तुरंत कॉल करना, ठीक है?"

अनिरुद्ध (पापा) ने भी हामी भरते हुए कहा,
"हाँ, तुम लोग जा सकते हो, लेकिन ध्यान रखना।"

यह सुनकर तीनों खुश हो गईं और सबको बाय कहकर मंदिर के लिए निकल गईं।

उनके जाने के बाद दादी ने चिंता जताते हुए कहा,
"रात को बच्चों को अकेले भेजना ठीक रहेगा क्या?"

इस पर बड़े पापा ने उन्हें समझाते हुए कहा,
"माँ, बच्चों को भी थोड़ा स्पेस देना जरूरी है। वैसे भी, वे अजनबियों के साथ नहीं, अपने दोस्तों के साथ जा रही हैं। और हमने उन्हें समझा दिया है कि कोई भी परेशानी हो तो तुरंत हमें कॉल करें।"



अनिरुद्ध ने सहमति जताते हुए कहा,
"हां मां, हमें अपनी बेटियों पर भरोसा करना चाहिए। वे समझदार हैं, और जरूरत पड़ने पर हम तो हैं ही! और मां, अगर वे हमेशा डर के साए में रहेंगी, तो बाहर जाकर अकेले कैसे संभलेंगी? हमारी घर की लड़कियां किसी से कम नहीं हैं, खासकर मेरी लाड़ो! अगर किसी ने उस पर या उसकी बहनों पर गलत नजर भी डाली, तो उसकी हड्डी-पसली एक कर देगी। घर में जितनी मासूम लगती है, बाहर उतनी ही खतरनाक है!"

अद्विक ने हंसते हुए कहा,
"सही कहा, दादी! कुकी तो फाइट में मुझे भी हरा देती है! और आप भूल गईं क्या? उसने मार्शल आर्ट्स में गोल्ड मेडल जीता है!"

दादी ने हल्की चिंता के साथ कहा,
"मुझे पता है कि हमारी बेटियां समझदार और मजबूत हैं, लेकिन फिर भी दिल नहीं मानता।"

फूफा जी मुस्कुराते हुए बोले,
"मां, जब ये बच्चे छोटे थे, तब भी आप इन्हें अकेले बाहर भेजने को लेकर चिंतित रहती थीं। लेकिन देखिए, आज ये कितने जिम्मेदार बन गए हैं! समय के साथ हमें भी अपने डर को थोड़ा कम करना होगा और इन्हें अपनी तरह से जीने देना होगा। अब दुनिया बदल चुकी है।"

दादाजी ने प्यार से कहा,
"बिल्कुल सही! हमें इन पर गर्व है। चलो, अब चिंता छोड़ो और बाकी तैयारी देखते हैं।"


---

उधर, अर्निका की गाड़ी मंदिर की ओर बढ़ रही थी। खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी, और हल्की-हल्की धूप पूरे माहौल को खूबसूरत बना रही थी।

इनाया ने बाहर देखते हुए कहा,
"सुबह की ताज़ी हवा कितनी सुकून देने वाली लग रही है!"

सान्या ने सिर हिलाते हुए कहा,
"सही कह रही हो, लेकिन अगर मुझे जबरदस्ती उठाया न जाता, तो और भी अच्छा लगता!"

अर्निका हंसते हुए बोली,
"अब ज्यादा ड्रामा मत कर! वरना मंदिर पहुंचने से पहले ही वापस भेज दूंगी!"




इनाया ने शरारत से कहा,
"अरे नहीं-नहीं, अब जब आ ही गए हैं तो दर्शन करके ही जाएंगे!"

अर्निका ने हल्की मुस्कान के साथ सिर झटककर गाड़ी आगे बढ़ाई।

कुछ समय बाद, जब वे मंदिर पहुंचे, तो अर्निका ने इनाया और सान्या से कहा,
"तुम दोनों प्रसाद और पूजा की थाली ले आओ, मैं तब तक कार पार्क कर देती हूं।"

इनाया और सान्या मंदिर के बाहर फूल और प्रसाद लेने चली गईं, जबकि अर्निका गाड़ी पार्क करने चली गई। जब वह लौटकर आई, तो देखा कि इनाया हाथ में पूजा की थाली लिए खड़ी थी और सान्या किसी बच्चे से बात कर रही थी।

अर्निका ने उत्सुकता से पूछा,
"क्या हुआ? सब ठीक है?"

सान्या मुस्कुराकर बोली,
"कुछ नहीं, बस यूं ही... चलो, मंदिर के अंदर चलते हैं!"

तीनों मंदिर के अंदर गईं।

जैसे ही वे मंदिर में दाखिल हुईं, एक सुकून भरी शांति ने उन्हें घेर लिया। घंटियों की मधुर ध्वनि से माहौल भक्तिमय हो गया था।

तीनों ने पूजा की थाल पंडित जी को दी। अर्निका ने मुस्कुराते हुए पूछा,
"पंडित जी, हमें आने में देर तो नहीं हुई?"

पंडित जी ने आशीर्वाद देते हुए कहा,
"बिल्कुल नहीं, बेटी! अभी आरती शुरू होने वाली है। और तुम्हारे बिना यह आरती अधूरी लगेगी! आज के बाद तुम्हारी आवाज में भजन सुनने का मौका कम ही मिलेगा!"

अर्निका हल्का मुस्काई और बोली,
"ऐसा मत कहिए, पंडित जी। मैं कहीं भी रहूं, भजन और आरती हमेशा मेरे दिल में रहेंगे। जब भी मौका मिलेगा, मैं यहां आकर गाऊंगी!"

पंडित जी ने प्रसन्न होकर कहा,
"भगवान तुम्हें हमेशा खुश रखें, बेटी। आज की आरती तुम्हीं करो और भजन भी गाओ।"

अर्निका ने सिर झुकाकर आशीर्वाद लिया, पूजा की थाली उठाई और मंदिर के बीचों-बीच जाकर खड़ी हो गई। जैसे ही आरती का दीपक जलाया गया, पूरा मंदिर भक्तिमय माहौल से गूंज उठा। अर्निका ने भावपूर्ण स्वर में भजन गाना शुरू किया, और धीरे-धीरे पूरा मंदिर उनकी आवाज में डूबने लगा।



अर्निका की मधुर और भावपूर्ण आवाज़ पूरे मंदिर में गूंज उठी—

"अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभं..."

उसकी सुरीली भजन गाने की शैली इतनी मनमोहक थी कि वहां मौजूद सभी भक्त मंत्रमुग्ध हो गए। मंदिर का वातावरण और भी भक्तिमय हो गया। कुछ लोगों ने आंखें बंद कर लीं और भक्ति में डूब गए, तो कुछ भजन के साथ झूमने लगे।

आरती समाप्त होते ही, पंडित जी ने प्रसाद बांटना शुरू किया।

इनाया ने उत्साहित होकर कहा,
"वाह! अर्निका, तेरी आवाज़ सच में जादू कर देती है!"

सान्या ने सिर हिलाते हुए कहा,
"सच में! ऐसा लग रहा था जैसे खुद भगवान को अपनी भक्ति से बुला लिया हो!"

अर्निका हल्का सा मुस्कुराई, लेकिन उसकी आंखों में हल्की उदासी झलक रही थी। उसे यह सोचकर भावुकता हो रही थी कि कल से वह यह सब छोड़कर दूर जा रही होगी।

पंडित जी ने प्रसाद देते हुए स्नेह से कहा,
"बेटी, भगवान तुम्हारे सारे रास्ते आसान करें। जब भी आना, हमें तुम्हारी भजन सुनने की बहुत इच्छा रहेगी।"

अर्निका ने हाथ जोड़कर पंडित जी को प्रणाम किया और फिर इनाया और सान्या के साथ मंदिर से बाहर निकल आई। वे तीनों सीढ़ियों पर बैठकर मंदिर का शांत वातावरण देखने लगीं, इस बात से अनजान कि कुछ लोग उन्हें दूर से देख रहे थे।

उधर, मंदिर के भीतर चार महिलाएं पंडित जी से पूछ रही थीं,
"पंडित जी, जो लड़की कुछ देर पहले भजन गा रही थी, वह कौन थी? उसकी आवाज़ इतनी मधुर थी कि मन को शांति मिल गई! क्या वह यहां रोज आती है?"

पंडित जी मुस्कुराए और बोले,
"वह अर्निका है, मेरी बेटी समान। बहुत भक्ति-भाव वाली लड़की है। वह हर सोमवार यहां आती थी, लेकिन अब शायद उसकी आवाज़ सुनने का मौका नहीं मिलेगा।"

उनमें से एक महिला ने पूछा,
"क्यों? क्या उसकी शादी होने वाली है?"

पंडित जी हल्के से हंसे और बोले,
"नहीं-नहीं, वह अपनी आगे की पढ़ाई के लिए शहर से बाहर जा रही है।"

महिला कुछ और पूछने ही वाली थी कि तभी किसी ने पंडित जी को बुला लिया। उन्होंने मुस्कुराकर उन महिलाओं से विदा ली और आगे बढ़ गए।



जैसे ही वे चारों महिलाएँ अपनी कार की ओर बढ़ीं, अचानक कुछ गुंडों ने उन्हें घेर लिया। चारों के चेहरे पर हल्की घबराहट छा गई, लेकिन सबसे बुजुर्ग महिला ने शांत और सख्त लहजे में कहा,

"तुम जानते हो कि तुम किससे बात कर रहे हो?"

गुंडों में से एक, जो सबसे लंबा और ताकतवर दिख रहा था, आगे बढ़ा और ठिठोली भरे अंदाज में बोला,
"अरे, हम सब जानते हैं, माताजी! और इसलिए ही तो आपको ले जाने आए हैं।"

दूसरी महिला, जो सबसे तेज-तर्रार लग रही थी, गुस्से से बोली,
"हिम्मत कैसे हुई हमारा रास्ता रोकने की? जानते हो, इसका अंजाम क्या होगा?"

गुंडा ठहाका मारकर हंसा,
"हमें किसी का डर नहीं, मैडम! हम तो बस अपने बॉस का ऑर्डर मान रहे हैं।"

चारों महिलाओं ने एक-दूसरे की तरफ देखा। सबसे बुजुर्ग महिला ने आँखें सिकोड़ते हुए कड़ाई से पूछा,
"कौन है तुम्हारा बॉस? और हमें किडनैप करने का हुक्म क्यों दिया गया है? तुम नहीं जानते कि हमसे टकराना तुम्हारे लिए कितना भारी पड़ सकता है!"



गुंडे का चेहरा गंभीर हो गया। उसने ठंडी आवाज़ में कहा,
"अगर हमारी बॉस को तुम लोगों से डर होता, तो हमें यहाँ भेजता ही नहीं!"

फिर उसने अपने आदमियों को इशारा किया,
"बहुत हो गया! इन सबको गाड़ी में डालो!"

गुंडे उनके करीब आने लगे, लेकिन तभी एक जोरदार लात हवा में लहराई और सीधे एक गुंडे के सीने पर लगी। वह दर्द से कराहते हुए जमीन पर गिर पड़ा। बाकी गुंडे चौंक गए और तुरंत सतर्क हो गए। तभी एक कड़क आवाज गूंजी,

"अगर किसी ने इन्हें हाथ भी लगाया, तो अगली बार सिर्फ लात नहीं पड़ेगी, हड्डी-पसली एक कर देंगे!"

सभी ने मुड़कर देखा—सामने अर्निका खड़ी थी, आँखों में गुस्से की लपटें और चेहरे पर आत्मविश्वास। उसके ठीक पीछे इनाया और सान्या भी खड़ी थीं, उनके चेहरे पर भी गुस्से का तेज था।

गुंडे का लीडर हंसा,
"अरे वाह! ये लड़कियाँ हमें रोकेंगी?"

अर्निका बिना एक पल गंवाए आगे बढ़ी और सीधा उसकी कॉलर पकड़कर उसे पास खींचते हुए बोली,
"तू सोच भी नहीं सकता कि तूने किससे पंगा लिया है। मुझसे निपटना इतना आसान नहीं है!"

इतना कहकर उसने गुंडे का हाथ इतनी ताकत से मरोड़ा कि वह दर्द से चिल्ला उठा। यह देखकर एक और गुंडा अर्निका पर हमला करने के लिए आगे बढ़ा, लेकिन अर्निका ने बिजली की फुर्ती से उसकी कलाई पकड़कर इतनी जोर से मरोड़ी कि उसकी चीख निकल गई। अगले ही पल, एक जोरदार लात मारकर उसे दूर धकेल दिया। वह घुटनों के बल गिर पड़ा, कराहता हुआ अपनी कलाई पकड़कर बैठ गया।

बाकी गुंडे अब घबराने लगे थे।



जैसे ही एक और गुंडा अर्निका की तरफ बढ़ा, इनाया ने बिना देर किए उसकी टांग पर एक तेज़ किक मारी, जिससे वह सीधे जमीन पर गिर पड़ा। इस बीच, सान्या सभी महिलाओं को सुरक्षित जगह पर ले गई।

वहीं, अर्निका और इनाया ने मिलकर गुंडों से मुकाबला करना शुरू कर दिया। यह देख बुजुर्ग महिला मुस्कुराते हुए बोली,
"ये दोनों तो सिर्फ दिखने में नाजुक हैं, असल में तो तूफान हैं!"

तभी एक दूसरी महिला बोली,
"अरे, यह तो वही लड़की है ना, जो मंदिर में भजन गा रही थी?"

बुजुर्ग महिला ने सिर हिलाते हुए कहा,
"हाँ, वही है! कमाल की टैलेंटेड लड़की है!"

अर्निका और इनाया ने गुंडों की अच्छी तरह से धुनाई कर दी। अब गुंडे घबराने लगे थे। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उनकी योजना इतनी बुरी तरह नाकाम हो जाएगी।

अर्निका ने लीडर की कॉलर पकड़कर कसते हुए कहा,
"अब तू बताएगा कि तुझे किसने भेजा है या फिर और मार खाएगा?"

गुंडे के चेहरे पर डर और गुस्से के मिले-जुले भाव थे। उसने हकलाते हुए कहा,
"हमें बस ऑर्डर मिला था कि इन महिलाओं को उठाकर हमारे बॉस के पास ले जाएं!"

इनाया ने सख्त आवाज़ में पूछा,
"कौन है तुम्हारा बॉस?"

तभी वहां तीन काली एसयूवी आकर रुकीं। उनमें से कुछ बॉडीगार्ड तेजी से बाहर निकले और उन महिलाओं के पास पहुंचे। एक गार्ड ने चिंतित स्वर में पूछा,
"बड़ी मैडम, आप लोग ठीक हैं? आपको किसने बताया बिना यहां आने दिया?"

गार्ड्स को देखकर अर्निका गुस्से से बोली,
"तो आप लोग इनके गार्ड हैं? जब ये गुंडे इन पर हमला कर रहे थे, तब आप सब कहां थे?"



गार्ड्स में से एक झेंपते हुए बोला,
"मैडम, हमें देर से खबर मिली कि बड़े मैडम और बाकी लोग मंदिर आए हैं। जैसे ही हमें पता चला, हम तुरंत यहां पहुंचे ताकि कोई खतरा ना हो।"

बुजुर्ग महिला ने गहरी सांस ली और गार्ड्स को आदेश दिया,
"सबसे पहले इन गुंडों को संभालो और इनसे पूछो कि इन्हें किसने भेजा है?"

गार्ड्स ने बिना समय गंवाए गुंडों को चारों ओर से घेर लिया। लीडर गुंडा अब भी अर्निका की पकड़ से छूटने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अर्निका ने उसे झटका देकर जमीन पर गिरा दिया और सख्त लहजे में कहा,
"ले जाइए इन्हें, ताकि ये दोबारा किसी को परेशान ना कर सकें।"

गुंडों को वहां से ले जाया जाने लगा। इसी बीच, अर्निका, इनाया और सान्या के मन में कई सवाल उठ रहे थे।

इनाया ने धीरे से फुसफुसाकर कहा,
"यार, ये लोग कौन हैं? और इनके पीछे कौन पड़ा है?"

सान्या ने सहमति में सिर हिलाया,
"बिल्कुल! यह सब कुछ सामान्य नहीं लग रहा।"

अर्निका ने बुजुर्ग महिला की ओर देखा और चिंतित स्वर में पूछा,
"आप लोग ठीक तो हैं? किसी को चोट तो नहीं आई?"

बुजुर्ग महिला ने मुस्कुराते हुए अर्निका का हाथ थामा और बोली,
"नहीं बेटी, हम सब ठीक हैं। अगर तुम लोग सही समय पर नहीं आते, तो पता नहीं क्या होता… खैर, अब सब ठीक है। वैसे, क्या हम तुम्हारा नाम जान सकते हैं?"

तभी उनके साथ खड़ी सबसे छोटी महिला बोली,
"हाँ, बताओ ना! लेकिन पंडित जी ने तुम्हारा नाम बताया था… हाँ, अर्निका!"

अर्निका ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया,
"हाँ, मेरा नाम अर्निका त्रिपाठी है, और ये मेरी बहनें—सान्या और इनाया। लेकिन मुझे लग रहा है कि आप लोग बनारस के नहीं हैं?"

बुजुर्ग महिला ने सिर हिलाते हुए कहा,
"तुम सही कह रही हो, बेटा। हम यहां के नहीं हैं। हम अपने पोते के काम से बनारस आए हैं, और मैंने अपनी बहुओं से ज़िद की कि थोड़ा घूम लेते हैं और मंदिर के दर्शन भी कर लेते हैं। लेकिन हमारा पोता हर वक्त बॉडीगार्ड को हमारे पीछे भेजता है। इसलिए हम बिना किसी को बताए ही यहां आ गए, लेकिन हमें नहीं पता था कि यह सब हो जाएगा।"



इनाया मुस्कुराकर बोली,
"कोई बात नहीं, कभी-कभी ऐसा करने का मन करता है। हर वक्त बॉडीगार्ड के बीच रहना भी मुश्किल होता होगा। लेकिन भगवान का शुक्र है कि आप सब सुरक्षित हैं।"

अर्निका ने आगे बढ़कर सभी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया, जिसे देख बाकी महिलाओं ने एक-दूसरे की ओर देखा और फिर स्नेहपूर्वक उसे आशीर्वाद दिया। सान्या और इनाया ने भी यही किया और फिर तीनों ने उन्हें विदा कहकर अपनी कार की ओर बढ़ गईं।

अर्निका, इनाया और सान्या के जाने के बाद वे महिलाएँ भी अपनी कार में बैठ गईं और गाड़ी आगे बढ़ गई।

जैसे ही गाड़ी चली, बुजुर्ग महिला ने ड्राइवर को निर्देश दिया,
"हमें सीधे होटल ले चलो। और रास्ते में सिक्योरिटी टीम को कॉल करके बता दो कि मंदिर में हम पर हमला करने की कोशिश की गई थी।"

पीछे बैठी सबसे छोटी महिला अब भी थोड़ा घबराई हुई थी।
"माँसा, ये लोग कौन थे? और हमें ही क्यों निशाना बनाया?"

बुजुर्ग महिला ने गहरी सांस ली, खिड़की से बाहर देखते हुए बोली,
"शायद ये सब उसी दुश्मनी का नतीजा है, जो हमारे परिवार के खिलाफ चल रही है। लेकिन जिस तरह आज उन तीनों लड़कियों ने हमें बचाया... खासकर अर्निका, उसकी फुर्ती और हिम्मत देखकर मुझे कुछ अलग ही एहसास हुआ।"

बाकी दोनों महिलाओं ने सहमति में सिर हिलाया।

तभी ड्राइवर ने पीछे मुड़कर कहा,
"छोटे बाबा का फोन आ रहा है, माँसा।"

बुजुर्ग महिला ने फोन उठाया और शांत स्वर में बोली,
"हैलो… हम सब ठीक हैं, चिंता मत करो। हम होटल वापस जा रहे हैं, वहाँ पहुँचकर बात करेंगे।"

फिर उन्होंने कॉल काट दिया।

तभी एक बहू उत्साहित होकर बोली,
"माँसा, अगर अर्निका हमारी घर की बहू बन जाए तो कैसा रहेगा? उसकी और प्रिंस की जोड़ी कितनी अच्छी लगेगी, ना?"

दूसरी महिला ने तुरंत हामी भरी,
"सही कह रही हो! बल्कि मुझे तो लगता है कि वे तीनों ही हमारे परिवार की बहू बनने के लायक हैं।"

बुजुर्ग महिला ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
"हूँ... घर पहुँचकर इस बारे में बात करूंगी।"

सभी ने सहमति में सिर हिलाया।

तभी सबसे छोटी बहू चहकते हुए बोली,
"माँसा, मैंने चुपके से उन लोगों की वीडियो भी बना ली थी! इसे घर जाकर सबको दिखाऊँगी।"

बुजुर्ग महिला हँसते हुए बोली,
"अच्छा किया! लगता है हमारी छोटी बहू अब समझदार हो गई है।"

यह सुन वह बोली,
"माँसा, आप हमेशा मुझे ऐसे ही छेड़ती हो!"

फिर उसने नाराजगी दिखाने के लिए मुँह फुला लिया, जिसे देख बाकी सब हँस पड़े।



दूसरी ओर…

अर्निका, इनाया और सान्या अपनी कार में बैठकर वापस लौट रही थीं, लेकिन तीनों के दिमाग में आज की घटना बार-बार घूम रही थी।

इनाया ने साइड मिरर में देखते हुए कहा,
"मुझे नहीं लगता कि ये मामला इतना सीधा है। पता नहीं कौन लोग हैं जो इनके पीछे पड़े हुए हैं।"

सान्या ने सहमति में सिर हिलाया,
"हाँ, लेकिन हमने जो कर सकते थे, वो किया। अब उनकी सिक्योरिटी आ गई है, तो हमें ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है।"

अर्निका ने गहरी सांस लेते हुए कहा,
"तुम सही कह रही हो, दी। और इस बारे में घर में किसी को कुछ पता नहीं चलना चाहिए।"

उसकी बात सुनकर दोनों ने एक साथ "बिलकुल!" कहा।

तभी इनाया ने ड्रामेटिक अंदाज़ में पेट पकड़ते हुए कहा,
"अरे, मेरे पेट में तो भूख से उथल-पुथल मच रही है! किसी अच्छे से रेस्टोरेंट पर कार रोको, आज तो मैं जमकर खाने वाली हूँ। उन गुंडों से लड़ाई करके भूख और बढ़ गई है!"

इनाया की बात सुनते ही अर्निका और सान्या ठहाका मारकर हंस पड़ीं।





आगे किया होगा जानने के लिये मेरी कहानी रूह से रूह तक पढ़ते रहिए 

अगर कहीं कोई गलती हो गई हो, तो मुझे माफ कर दीजिएगा।

अगर आप इस कहानी को पसंद कर रहे हैं, तो इसे ज्यादा से ज्यादा रेटिंग दें, लाइक कमेंट करें और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ जरूर शेयर करें।

आपका सपोर्ट बहुत जरूरी है। धन्यवाद! 🙏🙏🙏🥰🥰