कविता: आंसुओं की आवाज़ें / Tears Speak
हिंदी:
घनघोर घटा छाई, मैं घर की छत पर आई
बारिश की बूंद में भीगते हुएं मैं मुस्कुराई
कुछ देर बाद बारिश की बूंदे ने अनुभूति कराई
जैसे वहां ऐसा लगा कि कुछ आंसुओं की बूंदे हैं
ठंडी बूंदों के साथ यह गर्म बूंदें कैसे और नजरे आसमां में उठाई
क्या बादल भी रोते हैं यह सोचकर मैं छत से नीचे आई
लेखिका ✍️ ममता गिरीश त्रिवेदी