स्वरचित कविता -चारों ओर हरियाली,मन
को हर्षित करने वाली।
लंबे घने वृक्ष,उस पर सुशोभित पत्ते।
पत्तों पर औंस की बूंदें,
मानो हो उसके अश्रु।
अनंत आकाश का फैलाव,मानो हो शीतल छांव।
आकाश में फैला इंद्रधनुष,जैसे हो सपनों के रंग।
पंछियों की चहचहाहट,जैसे हो सितारों की टिमटिमाहट।
ऐसी प्रकृति की छटा को सौ सौ बार वंदन।