"बदले बदले से लोग"
बदले बदले से हैं मिज़ाज़ यहाँ,
हर किसी में कोई राज़ यहाँ।
कभी जो वफ़ा का दरिया थे,
अब ख़ामोश हैं वो साज़ यहाँ।
निगाहें मिलें तो शिकवे मिले,
न लफ़्ज़ रहे, न अंदाज़ यहाँ।
हमने तो दिल वही रक्खा है,
पर बदला सबका अंदाज़ यहाँ।
वक़्त के संग जो रंग बदले,
उनसे क्या माँगे हम नाज़ यहाँ।
कभी महफ़िल में हम भी थे,
अब बस यादों का साज़ यहाँ।
@आर्यमौलिक