वफ़ा के नकाब
तेरे वादों पे अब एतबार नहीं है,
दिल की वीरानियों में बहार नहीं है।
तेरे आँचल में पाया था चैन ज़माना,
अब वही आँचल मेरा सहारा नहीं है।
तेरे नकली वफ़ा के ये नक़ाब क्या हैं,
दिल की गहराइयों में करार नहीं है।
हमने चाहा था दिल से तुझे उम्रभर,
पर तेरे होंठों पे वह इकरार नहीं है।
"आर्यमौलिक" ने चाहा था दिल से वफ़ा,
पर ज़माने में सच्ची वफ़ा नहीं है।
DB-arymoulik