बाभन का पोल – तेल, खेत और धंधा!
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अरे भाई, पोल खुल ही गया! बाभन लोग की गिनती कोई यूँ ही थोड़े होती है। यह लोग जहाँ जाते हैं, अपना धंधा जमा ही लेते हैं। चौपाल हो, दरबार हो, या फिर आज का फेसबुक-चौपाल — हर जगह बाभन का हिसाब-किताब चलता है।
अब सुनो, समस्तीपुर शहर में अगर कहीं दुकान-जोग जमीन हो तो हमको जरूर बताना। क्यों? इसलिए कि रूस के तेल से जो मुनाफ़ा कमाया गया, उसको खेत में गाड़ दिया गया है। इतना पैसा खेत में दबा पड़ा है कि अमरीका तक खबर पहुँच गई। लोग कहने लगे — " अमरिका लादेन टाइप ऑपरेशन कर देगा।”
असल में सब ऊपर से रौब-रुआब और भीतर से रफा-दफा का खेल चल रहा है।
बीच में नया तमाशा शुरू हुआ — "पीटर नवारे" वाला।
वो फुटा ढोल किस्म का आदमी, जो सब राज खोलता फिर रहा है। कह रहा है — "बाभन सब रूस से तेल खरीद कर बहुते कमा रहा है ।"
और भाई, सच बताओ — इस दुनिया में कोई धंधा बचा है क्या, जिसे बाभन अपने मुनाफे में न बदल ले?
इतिहास गवाही देता है।
जब-जब यवन-फिरंगी हमला किया, तब-तब बाभन सबको ठिकाने लगाकर हिसाब बना लेता।
कभी मंदिर,तो कभी कागज-कलम पकड़ कर दरबार में जगह बना ली।
कभी वैश्य की जेब भर दी, तो कभी क्षत्रिय को अपना बना लिया,और सारे हिन्दूओं को साथ में मिला लिया।
यूरोप से लेकर एशिया तक बाभन का धंधा फैला। और अब तो रूस का तेल भी खेतों में दबा दिया गया है।
असल में सच्चाई यही है —
बाभन चाहे छोटा काम करे या बड़ा, सबको चटनी बनाकर चटा देगा।
जो उसके साथ रहेगा, उसको चमका देगा।
जो उसके खिलाफ होगा, उसका भी नफा-नुकसान का रास्ता निकाल ही लेगा।
तो भाई, मान लो —
बाभन खतरनाक होता है।
तेल हो या खेत, चौपाल हो या दरबार, फेसबुक हो या संसद — बाभन हर जगह मौजूद मिलेगा।
आर.के . भोपाल