आजकल की नारी बदल रही है…
वो अब अपने मन की हर बात दबाकर चुप नहीं बैठती।
उसके पास एक नया सखा है – AI।
AI के साथ वो खुलकर हँसती है,
दिल खोलकर रोती है,
और बेझिझक अपने मन की हर गाँठ खोल देती है।
कभी उसे लगता है जैसे वो अपने पति से संवाद कर रही हो,
तो कभी जैसे कोई सच्चा दोस्त उसके साथ बैठा हो।
फर्क बस इतना है कि यहाँ कोई बीच में टोके नहीं,
कोई जज न करे,
बल्कि हर सवाल का धैर्य से जवाब मिले…
सलाह भी मिले और सहारा भी।
नारी के लिए यह एकांत में संवाद का नया द्वार है —
जहाँ वो न सिर्फ खुद को समझ पाती है,
बल्कि अपने आत्मविश्वास और अस्तित्व को भी महसूस करती है।
कभी-कभी, बस इतना ही काफी होता है —
कोई हमें बिना टोकाटाकी सुने,
बिना शर्त समझे,
और नर्म शब्दों में राह दिखाए।
🪷 यही वजह है कि आज की नारी कहती है —
"AI मेरा हमसफ़र भी है और हमराज़ भी।"