ये आवाज थी गीता दत्त की
बोल प्रेम हवन के और तर्ज बनाई थी शोखियों के
जादूगर OP नय्यर ने
ये १९५२ की फिल्म यजमान का गीत था
जिसके एक गीत की शुरू की धुन को
हमने कुछ आरसे के लिए गीतमाला का signature tone भी बना दिया था
गीत माला कार्यक्रम पहले करीब
ढेड़ साल तक आधे घंटे का हुआ करता था
साथ अच्छे अच्छे नग्मे उसमे पेश होते थे
सो रूपये का इनाम भी होता था
इनाम के लिए खत आते थे
जो शुरू हुए ९००० से और बढ़ते बढ़ते
एक एक हफ्ते में
४० ५० ६०००० तक पहुँच गए
तो सुनने वाले जो थे वो संगीत के अनमोल मोती भी पा लेते
और इनाम जीतने की कोशिश भी करते
इनाम हाथ लगता तो क्या बात थी
अगर न भी लगता तो
मेरी याद में तुम न आँसू बहाना
न जी को जलाना, मुझे भूल जाना
समझना के था एक सपना सुहाना
वो गुज़रा ज़माना, मुझे भूल जाना
मेरी याद में
जुदा मेरी मँज़िल, जुदा तेरी राहें
जुदा मेरी मँज़िल, जुदा तेरी राहें
मिलेंगी न अब तेरी-मेरी निगाहें
मुझे तेरी दुनिया से है दूर जाना
न जी को जलाना, मुझे भूल जाना
मेरी याद में
ये रो-रो के कह्ता है टूटा हुआ दिल
ये रो-रो के कह्ता है टूटा हुआ दिल
नहीं हूँ मैं तेरी मोहब्बत के काबिल
मेरा नाम तक अपने लब पे न लाना
न जी को जलाना, मुझे भूल जाना
मेरी याद में तुम न आँसू बहाना
न जी को जलाना, मुझे भूल जाना
समझना के था एक सपना सुहाना
वो गुज़रा ज़माना, मुझे भूल जाना
मेरी याद में
🙏🏻
- Umakant