वर्षा की बूंदें बरसे झमाझम,
हरी भरी धरती नाचे छमाछम।
गीत गाये नदियां, पंछियों के सरगम,
झरनों के झर झर दृश्य ये मनोरम।
चमकती बिजलियां खनकती घटाएं,
चन्द्रमा की लुकाछिपी दमकती कलाएं।
रात की सौगात, मचलती भावनाएं,
सपनों के संग संग महके समागम।
वर्षा की बूंदे बरसे झमाझम।
देश वेश,खान पान, लोकरंग मधुर तान,
पावस अमावस में दादुरों के टरर गान।
बादलों के फाहे बीच टिमटिमाते तारेगण,
जुगनुओं के झिलमिल रात भी चमाचम।
वर्षा की बूंदे बरसे झमाझम।