यह इंसान इतना खुदगर्ज क्यों?
यह इंसान इतना खुदगर्ज क्यों?
दिए दो हाथ, दिए दो पैर,
ऐसा नहीं कि यह बोल नहीं सकता,
ऐसा नहीं कि यह सुन नहीं सकता,
फिर भी इतना खुदगर्ज क्यों?
हे! देख —
पीड़ा में किसी को देखता है तमाशा,
लेकिन अगर हो ये खुद पीड़ा में,
तो क्यों कोसता भगवान को?
यह इंसान इतना खुदगर्ज क्यों?
पशुओं को हर वक्त मारता,
हंसकर बनाता है तमाशा उन मासूमों से।
पर बात आए खुद पर,
तो चीख-चीख कर चिल्लाता है।
यह इंसान इतना खुदगर्ज क्यों?